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साइबर क्राइम का शिकंजा

जागरूकता व सख्त कानूनों में समाधान
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देश में साइबर अपराधों में लगातार आ रही तेजी सरकार और आम जनता की चिंता का सबब बनी हुई है। हालांकि सरकार के नियामक संगठन और खुफिया एजेंसियां लगातार सक्रिय हैं लेकिन अपराधी अपराध के नये-नये तौर-तरीकों से अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने में लगे हैं। यद्यपि, यह संकट विश्वव्यापी है, लेकिन देश में डिजिटलीकरण के प्रयासों के बाद इन अपराधों में तेजी आई है। इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर के इस माह के शुरुआत में आए आंकड़ों में बताया गया कि इस साल सितंबर तक देश में साइबर धोखाधड़ी से 11,333 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान स्टॉक ट्रेडिंग घोटालों में सर्वाधिक सवा दो लाख शिकायतें आईं और करीब साढ़े चार हजार करोड़ का नुकसान बताया गया। यह बताता है कि देश में साइबर अपराध का जाल कितना दायरा बढ़ा चुका है। उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय की साइबर अपराधों पर नजर रखने वाली एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार देश में नवंबर तक साइबर धोखाधड़ी की बारह लाख शिकायतें आईं, जिनमें से 45 फीसदी मामलों को म्यांमार, लाओस व कंबोडिया आदि से अंजाम दिया गया। इस तरह ऑनलाइन वित्तीय सेवाओं में साइबर सेंधमारा का मकड़जाल लगातार उपभोक्ताओं की मुसीबतों का सबब बन रहा है। मोबाइल स्पाइवेयर भी एक बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं, जो उपभोक्ताओं की आवश्यक गुप्त रूप से जानकारियां चुरा लेते हैं। जिसके सहारे वित्तीय फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है।

हाल के दिनों में साइबर अपराधों में नया तरीका डिजिटल अरेस्ट जुड़ गया है, जिसके जरिये देश की वित्तीय नियामक एजेंसियों व पुलिस के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये वसूले जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि साइबर हमलों के अलावा ऑनलाइन फ्रॉड और सेक्सटार्शन के मामले भी सामने आ रहे हैं। साथ ही डाटा चोरी, रैनसमवेयर, ऑनलाइन घृणा फैलाने, साइबर बुलिंग तथा नागरिक सेवाओं व अस्पतालों पर हमले के मामले सामने आते रहते हैं। इसमें शत्रु देशों की तरफ से देश की अर्थव्यवस्था व आंतरिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी शामिल होती है। विडंबना यह है कि देश में साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिये अलग से कड़ा कानून नहीं है। दूसरी ओर आईटी एक्ट में संशोधन कर लाए गए प्रावधान इन साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। साइबर अपराधों पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिये केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए साइबर को-ऑर्डिनेशन सेंटर को और अधिक प्रभावशाली बनाये जाने की जरूरत है, जिसने पिछले दिनों दक्षिण पूर्व एशिया से सक्रिय साइबर अपराधियों पर अंकुश लगाने की दिशा में पहल की थी। निस्संदेह, इस संकट के मुकाबले के लिये जहां सरकारों को सख्त कानून बनाने की जरूरत है, वहीं नागरिकों को इन अपराधों से बचने के लिये जागरूक करने की जरूरत है। जिसमें केंद्र व राज्य स्तर पर साइबर नियंत्रक पुलिस बल की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है।

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