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टैरिफ और कारोबार

ट्रंप-मोदी मुलाकात से जगी नई उम्मीदें
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यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि अमेरिका की नीतियां ‘अमेरिका से शुरू होकर अमेरिका’ पर ही समाप्त हो जाती हैं। दूसरी बार सत्ता में आए ट्रंप ने जिस आक्रामक तरीके से कनाडा,मैक्सिको व चीन आदि पर टैरिफ लगाए हैं, वैसी आक्रामकता उन्होंने भारत के प्रति नहीं दिखायी। हाल में व्हाइट हाउस में संपन्न प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की बातचीत कई मायनों में सकारात्मक रही। उसमें किसी तरह की तल्खी नजर नहीं आई। यह निर्विवाद सत्य है कि अमेरिका हमेशा अपने कारोबारी हितों को ही प्राथमिकता देता है। इस मुलाकात में यही नजर आया कि ट्रंप दोनों देशों के व्यापार संतुलन का पलड़ा अमेरिका के पक्ष में करने को कटिबद्ध है। इस मुलाकात में उन्होंने टैरिफ का मुद्दा भी उठाया और व्यापार घाटे को कम करने के लिये अधिक तेल, गैस और सैन्य साजो-सामान खरीदने की जिम्मेदारी भारत पर डाल दी। दरअसल, भारत कुछ उन देशों में शामिल हैं जिनके साथ व्यापार का पलड़ा अमेरिका के पक्ष में नहीं है। यही वजह है कि ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ तो की, लेकिन साथ ही भारत में अमेरिकी सामान पर तर्कसंगत कर लगाने की बात भी कही। यदि ट्रंप की मौजूदा नीतियां सिरे चढ़ी तो व्यापार की परिस्थितियां अमेरिका के अनुकूल भी हो सकती है। ट्रंप ने मोदी को अपनी तुलना में बेहतर सख्त वार्ताकार बताया। दोनों नेताओं ने वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दुगना करने तथा लाभप्रद व्यापार समझौते के लिये बातचीत करने का संकल्प भी जताया। भविष्य में व्यापार समझौता अमेरिका के पक्ष में न झुके, इसमें पीएम मोदी के कूटनीतिक कौशल की परीक्षा भी होनी है। यहां उल्लेखनीय है कि मोदी-ट्रंप मुलाकात में रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में बातचीत सकारात्मक रही। दोनों देशों ने एक दस वर्षीय रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। जिसमें प्रमुख हथियारों और प्लेटफार्मों के सह-उत्पादन को आगे बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना का मार्ग प्रशस्त किया गया। वहीं दूसरी ओर यदि भारत को अमेरिकी एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों की प्रस्तावित आपूर्ति परवान चढ़ती है तो पड़ोसी देशों की बेचैनी और बढ़ जाएगी।

इस यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण घोषणा यह भी रही है कि 26/11 के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी गई है। यह पाकिस्तान को चेतावनी भी है कि वह अपनी जमीन से आतंकवादियों को सीमापार आतंकी हमलों को अंजाम देने में मदद बंद करे। अब इस्लामाबाद पर मुंबई और पठानकोट के आतंक हमलों के साजिशकर्ताओं को सजा देने का दबाव भी बढ़ जाएगा। निस्संदेह, ट्रंप का ‘टैरिफ आतंकवाद’ निगलने वाली कड़वी गोली हो सकती है, लेकिन भारत की रक्षा तैयारियों में अमेरिका की बड़ी भूमिका एक आकर्षक प्रस्ताव होगा। हालांकि, ट्रंप ने भारत पर टैरिफ को लेकर कोई सीधी घोषणा तो नहीं की लेकिन यह जरूर कहा कि जितना टैरिफ अन्य देश अमेरिकी सामान पर लगाते हैं, अमेरिका भी उसी अनुपात में टैरिफ लगाएगा। उल्लेखनीय है कि जिस समय पीएम मोदी अमेरिका यात्रा के लिये निकले, अमेरिका से अपमानजनक तरीके से भारत भेजे गए कथित अवैध प्रवासियों का मुद्दा गर्म था। ट्रंप के साथ मुलाकात में भारत ने अवैध रूप से आए भारतीयों को वापस लेने की बात भी कही। पत्रकार वार्ता में मोदी ने कहा कि इस मुद्दे पर हमारे विचार एक जैसे हैं। यदि अमेरिका में अवैध भारतीय प्रवासियों की पुष्टि होती है तो हम उन्हें वापस लेने के लिये तैयार हैं। उन्होंने इसे मानव तस्करों की करतूत बताया। कहा कि तब नहीं मालूम होता कि उन्हें अमेरिका ले जाया जा रहा है। ये बहुत आम परिवारों के बच्चे हैं, जिन्हें बड़े सपने दिखाए जाते हैं और बड़े-बड़े वायदे किए जाते हैं। उन्होंने भोले लोगों को इस साजिश से बचाने हेतु मानव तस्करों पर शिकंजा कसने की बात कही। पिछले दिनों भारतीय विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत व अमेरिका यह तय करने का प्रयास कर रहे हैं कि वापस भेजने की प्रक्रिया के दौरान किसी भारतीय नागरिक के साथ दुर्व्यवहार न किया जाए। वहीं दूसरी ओर ट्रंप ने दुनिया में इस्लामी चरमपंथ के खतरे से निपटने के लिये भारत और अमेरिका के मिलकर काम करने की भी मंशा जाहिर की। ट्रंप ने नागरिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र सहयोग में प्रगति की बात भी कही।

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