इंदौर में शर्मनाक
देश में स्वच्छता के तमाम मानक सिद्ध करने वाले इंदौर में दो आस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटरों का पीछा किए जाने और छेड़छाड़ की घटना देश को शर्मसार करने वाली है। ऐसे वक्त में जब देश वर्ष 2030 में राष्ट्रमंडल और 2036 में ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने का दावा कर रहा है, इस तरह की घटनाएं भारत की छवि को धूमिल करने वाली हैं। आईसीसी महिला क्रिकेट विश्वकप में हिस्सा लेने आई ये खिलाड़ी गुरुवार की सुबह अपने होटल से बाहर निकलीं और एक कैफे की ओर जा रही थीं। इस बीच एक मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति ने उनका पीछा करना शुरू किया। उसने इन खिलाड़ियों में से एक को गलत तरीके से छुआ और फिर घटनास्थल से भाग खड़ा हुआ। विडंबना देखिए कि पुलिस को अभियुक्त को पकड़ने में डेढ़ दिन का समय लगा। बताया जाता है कि उसका आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई ने इस निंदनीय कृत्य पर प्रतिक्रिया देने में समय लगाया। वहीं दूसरी ओर राज्य क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों ने संकेत दिया कि दोनों खिलाड़ियों ने संभवत: सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है। वहीं दूसरी ओर आस्ट्रेलियाई टीम ने सिरे से इसका खंडन किया है। निस्संदेह, यह चूक और ज्यादा गंभीर है क्योंकि इंदौर को मेहमान टीमों के लिये एक सुरक्षित शहर माना जाता है। जाहिर है कि खिलाड़ियों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं थी। निस्संदेह, यह परेशान करने वाला मामला देश में अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के आयोजकों के लिये एक चेतावनी जरूर है।
यह भारत की छवि के लिये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि देश में विदेशियों, खासकर पर्यटकों को यौन उत्पीड़न का आसान निशाना माना जाता है। इस साल, राजस्थान में एक फ्रांसीसी पर्यटक के साथ दुराचार हुआ, वहीं दूसरी ओर कर्नाटक में एक इस्राइली पर्यटक का यौन उत्पीड़न किया गया। विदेशी खिलाड़ियों की सीमित आवाजाही से उनके यौन अपराधों का शिकार होने की आशंका कम होनी चाहिए। लेकिन इंदौर की शर्मनाक घटना बताती है कि सुरक्षा में जरा सी चूक का फायदा अपराधी उठा सकते हैं। अगले महीने होने वाली राष्ट्रमंडल खेल महासभा, अहमदाबाद में 2030 के खेलों की मेजबानी के लिये अपनी मुहर लगाने वाली है। इतने बड़े आयोजन का सुरक्षित ढंग से निष्पादित किया जाना, कई चुनौतियों की ओर भी इशारा करता है। ऐसे में दुनिया भर से आने वाली महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। निस्संदेह, इंदौर जैसी घटनाओं से भारत की वैश्विक छवि दांव पर लगती है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि वसुधैव कुटुम्बकम् का उद्घोष सिर्फ नारा नहीं रहना चाहिए। हम सब को मिलकर उसे व्यवहार में लाना चाहिए और इसके मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। समाज विज्ञानियों को इस बात पर मंथन करना चाहिए कि हमारे समाज में यौन अपराधों का ग्राफ इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है। समाज में नैतिक मूल्यों को सशक्त बनाने का प्रयास शिक्षा व अन्य माध्यमों से करना चाहिए। फिलहाल जो हालात हैं, वे हमारी वैश्विक छवि को धूमिल ही करते हैं।
