रेलवे भर्ती बोर्ड की विभिन्न श्रेणियों की परीक्षाओं की विसंगतियों को लेकर बिहार व उत्तर प्रदेश में परीक्षार्थियों का हिंसक विरोध इस बात का संकेत है कि नौकरियों के लिये होने वाली परीक्षाओं को लेकर धैर्य चूकने लगा है। हालांकि, इन आंदोलनों के पीछे कुछ अन्य घटक भी होते हैं, लेकिन बेरोजगारी की चिंताजनक स्थिति आक्रोश को बढ़ाने का ही काम कर रही है। यह तंत्र की नाकामी का ही उदाहरण है कि वर्ष 2019 में रेलवे के विभिन्न वर्गों के पदों के लिये घोषित नौकरियों की परीक्षाएं अब तक पूरी नहीं हो पायी हैं। ऐसे में बढ़ते विलंब से प्रतियोगी परीक्षाओं की आयु सीमा निकलते देख बेरोजगारों का धैर्य जवाब देना स्वाभाविक ही है। लेकिन इसके बावजूद हिंसक प्रदर्शनों व रेलवे की संपत्ति को क्षति पहुंचाने को कतई तार्किक नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि, छात्रों के उग्र प्रदर्शन के बाद अब रेलवे ने कुछ परीक्षाओं को स्थगित किया है और छात्रों की समस्याओं को सुनने के लिये पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति रेलवे भर्ती बोर्ड की गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणी के लेवल-1 की परीक्षा में पास हुए व फेल हुए छात्रों से बात करके रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंपेगी। यह जांच पहले चरण की परीक्षा के परिणाम तैयार करने के तरीकों के बारे में होगी। यद्यपि परीक्षा में पास छात्रों की सूची में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा। कमेटी दूसरे चरण की परीक्षा पर अपने सुझाव देगी। कमेटी की रिपोर्ट आने तक पंद्रह फरवरी, 2022 को होने वाली दूसरे चरण की परीक्षा और 23 फरवरी, 2022 को होने वाली परीक्षाओं की तिथि आगे बढ़ा दी गई है। दरअसल, रेलवे भर्ती बोर्ड के गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणी यानी एनटीपीसी की पहले चरण की परीक्षा के परिणाम को लेकर बिहार व उत्तर प्रदेश के छात्र नाराज हैं। वैसे सवाल उठाया जा रहा है कि 14 जनवरी को घोषित परीक्षा परिणामों को लेकर 24 जनवरी को आंदोलन क्यों हुआ। यह भी कि आंदोलन बिहार व उत्तर प्रदेश में ही क्यों हुआ।
दरअसल, रेलवे की इन नौकरियों के लिये वर्ष 2019 में आवेदन मांगे गये थे। उसी वर्ष सितंबर माह में ये परीक्षाएं आयोजित होनी थीं। इसमें विलंब हुआ और दिसंबर 2020 और जुलाई 2021 में देशभर में पहले चरण की भर्ती परीक्षा आयोजित की गई जिसके परीक्षा परिणाम 14 जनवरी को घोषित हुए। दरअसल, ग्रुप सी- लेवल-1 के लिये वर्ष 2019 में एक लाख नौकरियों हेतु आवेदन मांगे गये थे। इसके लिये करीब एक करोड़ पंद्रह लाख आवेदन मिले। इतनी बड़ी संख्या में आवेदकों के आवेदन की वजह से भी परीक्षा आयोजन में व्यवधान उत्पन्न हुआ जिसके चलते पहले चरण की परीक्षा 23 फरवरी 2022 को आयोजित होनी थी, जिसे अब टाल दिया गया है। आवेदकों की संख्या को देखते हुए रेलवे ने परीक्षा को अब दो चरणों में करवाने का फैसला किया है। ये परीक्षाएं लेवल दो से लेवल छह तक विभिन्न पदों के लिये होनी थीं। एक विसंगति यह है कि एनटीपीसी परीक्षा के कुछ पदों के लिये शैक्षिक योग्यता बारहवीं पास है तो कुछ के लिये स्नातक है। जिन परीक्षाओं के लिये न्यूनतम योग्यता बारहवीं पास है, उसमें स्नातक योग्यता वाले आवेदकों ने भी आवेदन किया है। इससे पहली श्रेणी वाले आवेदकों को लगता है कि उनके लिये नौकरी की संभावना कम हो जायेगी। रेलवे ने विज्ञापन में कहा था कि पहले चरण में रिक्त पदों के बीस गुना छात्रों को पास किया जायेगा, जिससे दूसरे चरण में ज्यादा आवेदकों को जगह मिल सकेगी। छात्रों को लगता है कि एक ही आवेदक के कई पदों के लिये चयनित होने से प्रथम चरण में चयनित छात्रों की संख्या कम हो जायेगी। वे एक छात्र एक रिजल्ट की मांग कर रहे थे। अब ग्रुप सी की लेवल-1 परीक्षा दो चरणों में घोषित होने से छात्रों में रोष बढ़ा है। वहीं रेलवे का कहना है कि पद आवेदन में कई तकनीकी विसंगतियों की वजह से मामला कैट तक पहुंचा है। ऑनलाइन आवेदन में करीब पांच लाख आवेदन रद्द किये गये।