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नस्लभेदी नजरिया

पंजाबी ड्राइवरों के खिलाफ अमेरिका में दुराग्रह
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यूं तो जब से अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आए हैं विदेशियों, खासकर भारतीयों के खिलाफ अमेरिका में नस्लभेदी नजरिया लगातार अपनाया जा रहा है। पहले अाप्रवासी भारतीय कामगारों के खिलाफ कथित अवैध आव्रजन का आरोप लगाकर उन्हें अपमानित करके अमेरिका से निकाला गया। यहां तक कि उनके साथ अमानवीय व्यवहार करके उत्पीड़न किया गया। उन्हें हथकड़ियां तक लगाई गईं। कभी आदर्श लोकतंत्र व उच्च मानवीय मूल्यों का दंभ भरने वाला अमेरिका आज ट्रंप की नस्लवादी नीतियों से अपनी प्रतिष्ठा खो बैठा है। पिछले दिनों ट्रंप ने आईटी उद्योग व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के शीर्ष पदों पर बैठे भारतीयों को हटाने तक की बात कही थी। तंग नजरिये के राष्ट्रवाद के प्रचार से सत्ता में आए ट्रंप लगातार भारत विरोधी नजरिया अपनाए हुए हैं। अतार्किक टैरिफ उसकी गवाही देते हैं। अब नया मुद्दा अमेरिका को खून-पसीने से सींचने वाले पंजाबी ट्रक ड्राइवरों की रोजी-रोटी से जुड़ गया। परदेस गए करीब डेढ़ लाख ट्रक ड्राइवरों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। दरअसल, अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में पिछले दिनों एक भारतीय ट्रक चालक द्वारा गलत टर्न लेने से तीन अमेरिकी नागरिकों की मौत को बड़ा मुद्दा बना दिया गया है। उसके बाद अमेरिका में ट्रक चलाने वाले विदेशी चालकों को निशाने पर लिया जा रहा है। दलील दी जा रही है कि अमेरिका में लगातार बढ़ते विदेशी ट्रक चालकों की वजह से अमेरिकी नागरिकों का जीवन खतरे में पड़ गया है। जिसके चलते विदेशी ट्रक चालकों के वर्क वीजा और कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस पर रोक लगा दी गई है। जिसके चलते पंजाब से अमेरिका गए करीब डेढ़ लाख पंजाबी ट्रक ड्राइवरों की जीविका पर संकट पैदा हो गया है। दरअसल, दमखम रखने वाले पंजाबी गबरुओं का सपना रहा है कि अमेरिका में भारी-भरकम कमर्शियल वाहन चलाएं। वे भारत में प्रशिक्षण लेकर किसी भी देश का वीजा हासिल करके बाद में अमेरिका चले जाते हैं। वे महीने में पांच से छह सौ किलोमीटर ट्रक चलाकर पांच-छह लाख तक कमा लेते हैं।

नस्लीय नजरिये से ग्रस्त ट्रंप शासन-प्रशासन यह नहीं देख रहा है कि इन ट्रक चालकों ने अमेरिका की समृद्धि में कितना योगदान दिया। इन हृष्ट-पुष्ट पंजाबी गबरुओं का विकल्प तलाशने में अमेरिका को भी खासी परेशानी होगी। वजह यह भी है कि अमेरिका मूल के लोग प्रवासियों की तुलना में भारी-भरकम मेहनताना मांगते हैं। अमेरिका के पास इतनी श्रमशक्ति नहीं है कि वह पंजाबी ट्रक चालकों का सहज विकल्प तलाश सके। लेकिन हकीकत को नजरअंदाज करके भारतीय चालकों को निशाना बनाया जा रहा है। इससे पहले ट्रक चालकों को इस बात को लेकर निशाना बनाया गया कि वे धाराप्रवाह अंग्रेजी नहीं बोल सकते। अंग्रेजी की अनिवार्यता के बाद करीब ढाई हजार लाइसेंस निलंबित किए गए। जाहिर, उनके परिवारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। दलील दी जा रही है कि अमेरिका फर्स्ट की नीति के तहत विदेशी ट्रक चालकों के लिये अंग्रेजी भाषा में दक्षता अनिवार्य है। इतना ही नहीं लाइसेंस जारी करने वाले उन ट्रेनिंग स्कूलों को भी निशाने पर लिया जा रहा है जो कम समय में लाइसेंस जारी कर देते हैं। जैसा कि अपेक्षित था पंजाब की राजनीति में यह मुद्दा जोरशोर से उछलने लगा है। आम आदमी पार्टी, अकाली दल और कांग्रेस के नेताओं ने इस मुद्दे पर विदेश मंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की है। उनकी मांग है कि प्रवासी भारतीय ड्राइवरों की समस्या का तुरंत समाधान किया जाए। खासकर भारतीय ट्रक चालकों का वर्क वीजा फ्रीज करने के मुद्दे को जोरशोर से उठाने की मांग की जा रही है। जाहिर है ऐसी स्थिति में पंजाबी ट्रक चालकों को नये रोजगार के विकल्प तलाशने होंगे।

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