अमेरिकी समाचारपत्र ‘द न्यूयार्क टाइम्स’ के खुलासे से कि वर्ष 2017 में भारत के इस्राइल से हुए दो अरब डॉलर के रक्षा सौदे के साथ ही इस्राइली स्पाइवेयर पेगासस भी खरीदा गया था, देश की राजनीति इस मुद्दे पर फिर गरमा गई है। रिपोर्ट के खुलासे की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है कि पहले की तरह ही यह संसद सत्र से ठीक पहले आई है, लेकिन मुद्दा बेहद गंभीर है और विशिष्ट लोगों की निजता के हनन से जुड़ा है। यह मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट ने इस बाबत स्वतंत्र विशेषज्ञों वाली समिति जांच के लिये गठित की है। लेकिन अब तक सरकार ने यह नहीं बताया था कि उसने स्पाइवेयर खरीदा था या नहीं। निस्संदेह ताजा खुलासे से राजग सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, जिसके चलते बजट सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं। साथ ही पांच राज्यों के चुनाव, खासकर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश करेगा। इसी गहमागहमी के बीच सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर की गई है और चुनिंदा लोगों की जासूसी कराने पर आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की गई है। जैसा कि तय था विपक्ष ने इस मुद्दे को हाथोंहाथ लपक लिया और सोशल मीडिया के जरिये मोदी सरकार पर हमले तेज कर दिये। निस्संदेह विपक्ष आगामी बजट सत्र में संसद के भीतर इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार की जवाबदेही तय करने की मांग करेगा।
दरअसल, विगत वर्ष भी इस मुद्दे पर विवाद के चलते मानसून सत्र धुल गया था। कुछ अंतर्राष्ट्रीय मीडिया समूहों के संगठन ने आरोप लगाया था कि कई भारतीय राजनेताओं, मंत्रियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बिजनेसमैन तथा मीडियाकर्मियों के विरुद्ध इस्राइली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिये जासूसी की गई थी। विपक्ष का आरोप है कि इस मुद्दे पर संसद व शीर्ष अदालत को अंधेरे में रखा गया। आरोप है कि इस संवेदनशील मामले में सरकार की खामोशी संदेह पैदा करती है। तमाम सवाल उठाये जा रहे हैं कि साइबर हथियार की खरीद, प्रयोग व लक्ष्यों के निर्धारण की अनुमति किसने दी। साथ ही यह कि यह जुटाई जानकारी किसे दी गई। विपक्ष का आरोप है कि देश की प्राथमिक संस्थाओं से जुड़े लोगों की जासूसी लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है। नये खुलासे के बाद रविवार को सुप्रीम कोर्ट में पेगासस मामले में नई याचिका दायर की गई और 2017 में हुए भारत-इस्राइल रक्षा सौदे की जांच के लिये आदेश का आग्रह किया गया। आरोप लगाया गया कि सरकार अवैध जासूसी में लिप्त है। याचिका में सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग का भी आरोप लगाया गया। उल्लेखनीय है कि गत 27 अक्तूबर को तीन सदस्यीय स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करके सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बताकर सरकार सुलगते सवालों से नहीं बच सकती। बहरहाल, आने वाले दिनों में अवैध जासूसी के मुद्दे पर भारतीय राजनीति के हंगामेदार होने के आसार बन गये हैं।