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जिंदगी की मेगा मुहिम

गैर संक्रामक रोगों के विरुद्ध बड़ी पहल
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देश में अस्सी प्रतिशत मौतों के लिये जिम्मेदार गैर संक्रामक रोगों के खिलाफ केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बड़ी मुहिम शुरू की है। इसके अंतर्गत पूरे देश में तीस साल से अधिक उम्र वाले करीब नब्बे करोड़ लोगों की शुगर, बीपी और कैंसर की जांच होगी। गत गुरुवार को शुरू हुई यह देशव्यापी मुहिम 31 मार्च तक चलेगी। हालांकि, फ्रंटलाइन स्वस्थ्य कार्यकर्ता,आशा वर्कर,एएनएम आदि घर-घर इस अभियान के लिये संपर्क करेंगे, लेकिन जिन तक संपर्क न हो पाए वे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर अपना डेटा राष्ट्रीय पोर्टल तक पहुंचा सकते हैं। दरअसल, वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार देश में तीस व उससे अधिक उम्र वालों की संख्या करीब 64 फीसदी है। जिन्हें इस अभियान के केंद्र में रखा गया है। हाल के वर्षों में देखा गया है कि देश में मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईसीएमआर के अनुसार देश में गैर संक्रामक रोगों से मरने वालों का प्रतिशत कुल रोगों से मरने वालों में अस्सी प्रतिशत है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012 से 2030 के बीच गैर संक्रामक रोगों से 305 लाख करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है। दरअसल, स्वास्थ्य मंत्रालय की इस मुहिम का मकसद है कि गैर संक्रामक रोगों व मुंह, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की स्थिति का पता लगाया जाए। जिससे समय रहते इन रोगों के नियंत्रण के लिये नीति तैयार की जा सके। उम्मीद की जा रही है कि इस अभियान के सिरे चढ़ने के बाद स्वास्थ्य सेवा की लागत कम की जा सकेगी। इस अभियान की रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी और स्क्रीनिंग, उपचार व उसके फॉलोअप के आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय के पोर्टल पर अपडेट किए जा सकेंगे। दरअसल,भारत में कैंसर व अन्य गैर संक्रामक रोगों का पता समय रहते नहीं चल पाता। जिसके कारण उपचार मिलने के बावजूद इनके नुकसान से बचा नहीं जा सकता है। निश्चित रूप से इस अभियान से लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आएगी।

दरअसल, हाल के वर्षों में खानपान व जीवन शैली में बदलाव से गैर संक्रामक रोगों की आधारभूमि तैयार हुई है। रोग का समय से पता न चल पाने के कारण जीवनभर इन रोगों का उपचार चलता रहता है। महंगी होती चिकित्सा प्रणाली के चलते तमाम परिवार गरीबी के दलदल में फंसकर रह जाते हैं। विडंबना यह है कि तंबाकू के सेवन से कैंसर के मामले बढ़े हैं। करीब 44 फीसदी पुरुष व करीब सात फीसदी महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं। वहीं पुरुषों में मोटापा 12 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी हुआ है तो महिलाओं में यह बारह फीसदी से बढ़कर बीस फीसदी हुआ है। जिसका मूल कारण शारीरिक सक्रियता में कमी भी है। जिसमें 13 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। आंकड़े बताते हैं कि देश में गैर संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में 45 फीसदी भूमिका हृदय रोगों, स्ट्रोक व उच्च रक्तचाप की है। वहीं बाइस फीसदी मौतें सांस संबंधी बीमारियों के चलते होती हैं। वहीं दूसरी ओर बारह फीसदी मौतें कैंसर से व तीन प्रतिशत मौतें मधुमेह से होती हैं। हालांकि, देश के तीस साल से अधिक उम्र के नब्बे करोड़ लोगों का आंकड़ा जुटाना कठिन कार्य है, लेकिन कोरोना काल में हमने वैक्सीनेशन अभियान के जरिये दुनिया में एक मिसाल कायम की है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आंकड़े जुटाने की मुहिम से देश मे स्वास्थ्य के प्रति चेतना जाग्रत होगी। लोग सेहत के प्रति जागरूक होंगे। यह हकीकत है कि लोग यदि खानपान में संयम बरतें, शारीरिक सक्रियता बढ़ाएं और योग-व्यायाम को जीवन का हिस्सा बना लें तो कई रोगों को भगा सकते हैं। वैसे भी यदि समय रहते इन गैर संक्रामक रोगों का पता चलता है तो समय रहते इनका उपचार भी संभव है। निश्चित रूप से हम इलाज पर होने वाले बड़े खर्च को कम कर सकते हैं। इससे हम स्वस्थ भारत के संकल्प को हकीकत बना सकते हैं। स्वस्थ भारत का संकल्प ही कालांतर विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने में मददगार हो सकता है।

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