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जीवनदायी उपचार

तुरंत मुफ्त मदद बचाएगी घायलों की जान
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सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अक्सर कहते हैं कि बुरा लगता है कि देश में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों का आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है। एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश में एक दशक में सड़क दुर्घटनाओं में 15 लाख लोगों की मौत हुई । हर साल कोई डेढ़ लाख से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि मरने वाले ज्यादातर युवा व परिवार के कमाने वाले होते हैं। उनके मरने से परिवार गरीबी के दलदल में जा धंसता है। यदि दुर्घटना होने पर घायलों को तुरंत व मुफ्त उपचार मिले तो लाखों जानें बचायी जा सकती हैं। इस संकट के मद्देनजर ही सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति का शुरुआती गोल्डन ऑवर में नि:शुल्क उपचार कराया जाएगा। दुर्घटना के बाद सात दिनों के भीतर घायल को डेढ़ लाख रुपये तक उपचार मुफ्त मिल सकेगा। हरियाणा पुलिस ने भी इस योजना की शुरुआत कर दी है। प्रदेश की सड़कों को नागरिकों के लिये सुरक्षित बनाने की पहल को विस्तार दिया जा रहा है। दरअसल, यह पायलेट प्रोजेक्ट नेशनल हेल्थ अथॉरिटी द्वारा स्थानीय पुलिस और राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनुबंधित अस्पतालों के साथ तालमेल करते हुए संयुक्त रूप से लागू किया जाएगा। इसमें अस्पताल प्रबंधन सॉफ्टवेयर में घायल व्यक्ति का डेटा अपलोड करके संबंधित पुलिस थाने को भेजेगा। थाना छह घंटे के भीतर दुर्घटना की पुष्टि करेगा, फिर घायल को कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी।

निश्चित रूप से सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की पहल पर शुरू की गई इस योजना का स्वागत किया जाना चाहिए। यदि समय रहते घायलों को उचित व मुफ्त उपचार मिल जाए तो हर साल हजारों जानें बचायी जा सकती हैं। लेकिन जरूरत इस बात की है कि अस्पतालों व पुलिस में बेहतर तालमेल स्थापित हो। निश्चित रूप से घायलों के प्रति संवेदनशील व्यवहार व औपचारिकताओं के बिना तुरंत उपचार जीवन रक्षक ही साबित होगा। उन बाधाओं को दूर करने की भी जरूरत है जिसकी वजह से लोग घायलों की मदद करने से कतराते हैं। इसके अलावा उन बिंदुओं पर विस्तार से काम करने की जरूरत है, जिसकी वजह से सड़क दुर्घटनाओं में तेजी आती है। जरूरी है कि जन-जागरुकता अभियान चलाकर लोगों को दुर्घटनाओं को टालने के लिये सतर्क रहने को प्रेरित किया जाए। उन स्थानों को चिन्हित किया जाए जहां दुर्घटना उन्मुख क्षेत्र स्थित हैं। इंजीनियरिंग विभाग की मदद से उन तकनीकी खामियों को दूर किया जाए जो दुर्घटना का कारण बनती हैं। इसी तरह स्कूली बसों की सुरक्षा की भी नियमित जांच होनी चाहिए। इस दिशा में हरियाणा पुलिस ने बड़ी पहल करते हुए 19 हजार से अधिक स्कूल बसों की जांच की है और खामी पाये जाने पर करीब साढ़े चार हजार से अधिक बसों के चालान भी किए हैं। इसी तरह ओवरलोडिंग करने वाले वाहनों का भी चालान किया जाना चाहिए, ताकि दुर्घटना की आशंका को टाला जा सके। निस्संदेह, सरकार, पुलिस-प्रशासन तथा नागरिकों की जागरूकता से ही दुर्घटनाएं टाली जा सकती हैं।

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