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हमले से पस्त ईरान

आक्रामक इस्राइली कार्रवाई से भारी तबाही
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सुनियोजित व ठोस खुफिया जानकारियों के साथ इस्राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों व शीर्ष सैन्य अधिकारियों पर बड़े सधे हमले किए हैं। ईरान के नतान्ज स्थित मुख्य परमाणु संवर्धन केंद्र को भी निशान बनाया गया। शुक्रवार की सुबह इस्राइल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के जरिये वायु रक्षा प्रणाली व मिसाइलों को ध्वस्त करते हुए ईरान के हवाई क्षेत्र में सैकड़ों लड़ाकू जहाजों के जरिये भारी तबाही मचायी। इस्राइली खुफिया एजेंसी मोसाद की बड़ी भूमिका वाले इस ऑपरेशन के जरिये न केवल ईरान की मिसाइल क्षमता को कमजोर किया बल्कि हवाई रक्षा प्रणाली को भी बेअसर किया। जिसके बाद इस्राइली एयरफोर्स ने ताबड़तोड़ हमलों से ईरानी वायुक्षमता को बेदम कर दिया। लंबी खुफिया तैयारी के साथ इस्राइल ने ईरान के भीतर विस्फोटक ड्रोन बेस स्थापित किए और शुक्रवार तड़के इन ड्रोन ने ईरान के सैन्य ठिकानों में तबाही मचा दी। जिससे ईरान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस्राइल ने ईरान के सुरक्षा प्रतिष्ठानों, सैन्य अधिकारियों और परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिकों व प्रमुख लोगों पर लंबी तैयारी के बाद सटीक हमले किए। कई बड़े अधिकारियों को उनके घरों में ही मार दिया गया। दरअसल, इस्राइल का मानना था कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के करीब है। यहां तक कि परमाणु कार्यक्रम की निगरानी करने वाली संस्था आईएईए ने स्पष्ट शब्दों में ईरान पर परमाणु अप्रसार समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। हमले में सेना प्रमुख के अलावा ईरानी सेना की सबसे ताकतवर शाखा रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर हौसेन सलामी को भी मार डाला गया। हमले में न केवल यूरेनियम संवर्धन प्रतिष्ठान पर हमला किया गया, बल्कि कई परमाणु वैज्ञानिकों को भी मार दिया गया। ईरान ने इस्राइल पर नागरिक ठिकानों पर हमला करने के आरोप लगाए। उत्तर पूर्वी ईरान के अलावा नतांज परमाणु केंद्र पर भी धमाके सुने गए। जहां इस्राइल इन हमलों को अपने अस्तित्व को बचाने की कार्रवाई बता रहा है, वहीं ईरान जवाबी कार्रवाई कर शीघ्र बदला लेने की बात कर रहा है।

वहीं दूसरी ओर इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को चेताया है कि जब तक ईरान की ओर से खतरे की आशंका खत्म नहीं हो जाती, ये हमले आगे भी जारी रहेंगे। दरअसल, इस्राइल का मानना रहा है कि ईरान संवर्धित यूरेनियम से परमाणु हथियार बनाने के करीब है, जो उसके अस्तित्व के लिये चुनौती है। इस्राइल ने ईरान पर उसके क्षेत्र में सैकड़ों ड्रोन दागने के भी आरोप लगाये हैं। वहीं दूसरी ओर ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने अमेरिका व इस्राइल को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। दूसरी ओर ईरान के सरकारी मीडिया ने इस्लामिक रिवॉल्यूश्नरी गार्ड्स कोर के कमांडर इन चीफ हौसैन सलामी सहित पांच शीर्ष सैन्य अधिकारियों की मौत की बात स्वीकारी है। साथ ही दो महत्वपूर्ण परमाणु वैज्ञानिकों के मारे जाने की पुष्टि की गई है। दरअसल, ईरान अमेरिका व इस्राइल के दावों को खारिज करते हुए कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की दलील है कि ईरान की बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। वह संवर्धित यूरेनियम से जुड़े प्रश्नों के तार्किक जवाब नहीं दे पाया है। कहा जा रहा है कि ईरान के गुप्त परमाणु ठिकानों का पता चलने के बाद उसके परमाणु कार्यक्रम की मंशा संदिग्ध बन गई है। उसने संवर्धित यूरेनियम भंडार के बारे में सटीक जानकारी भी नहीं दी। आईएईए की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि ईरान इतना यूरेनियम संवर्धित कर चुका है कि वह नौ परमाणु बना सकता है। हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री इस हमले में अमेरिका की सीधी भूमिका होने से इनकार कर रहे हैं। लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिये कहा है कि ईरान ने परमाणु कार्यक्रम पर समझौते के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रस्ताव को बार-बार खारिज किया है। बहरहाल, इस घटनाक्रम से मध्यपूर्व में इस्राइल-ईरान के बीच सीधे युद्ध की आशंका बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि इस्राइल और हमास, हिजबुल्ला व हूती विद्रोहियों के बीच पहले से जारी संघर्ष से संवेदनशील बने इलाके में पूर्ण युद्ध की आशंका बढ़ गई है।

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