हृदय विदारक हादसा
गुजरात स्थित अहमदाबाद हवाई अड्डे के पास एयर इंडिया के विमान की भयावह दुर्घटना ने पूरे देश को दुख और गम में डुबो दिया। हाल के वर्षों में हुई यह बड़ी दुखद दुर्घटना हवाई यात्रा से जुड़े जोखिमों पर नये सिरे से गंभीर मंथन की जरूरत को बताती है। निश्चित रूप से यह हादसा नागरिक उड्डयन के लिये भी एक बड़ा झटका है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में शामिल है। आज भारत दुनिया के अग्रणी विमानन बाजारों में शुमार है। विडंबना यह है कि अभी दो महीने पहले ही नई दिल्ली में विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो यानी एएआईबी में अत्याधुनिक डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया था। करीब नौ करोड़ रुपये की लागत से बनी इस प्रयोगशाला को केंद्र सरकार ने विमानन सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया था। जिसका मकसद हवाई दुर्घटनाओं की पहचान करना और जवाबदेही सुनिश्चित करना था। ताकि सुरक्षा उपायों को लेकर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये तंत्र में सुधार किया जा सके। अब विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो को गुरुवार को बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के दुर्घटनाग्रस्त होने की जांच का काम सौंपा गया है। एएआईबी के पास अब यह पता लगाने की जिम्मेदारी होगी कि गुरुवार को हुई दुर्घटना के असल कारण क्या थे। बल्कि निकट भविष्य में हवाई यात्राओं को सुरक्षित बनाने के लिए भी सुझाव दिए जा सकेंगे। इसके अंतर्गत ब्यूरो बोइंग के सुरक्षा रिकॉर्ड और परिचालन निरीक्षण की भी गहराई से जांच करेगा। निश्चित रूप से परिचालन प्रक्रिया कड़ी जांच के दायरे में होगी। उल्लेखनीय है कि तकनीकी खामियों के चलते बोइंग के कई अन्य 787 ड्रीमलाइनरों की सुरक्षा प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाये जाते रहे हैं। हाल के वर्षों में कई व्हिसल ब्लोअर्स ने 787 ड्रीमलाइनर के सुरक्षा उपायों को लेकर गंभीर चिंताए जताई थीं। जिसके बाद यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफएए ने ड्रीमलाइनर विमान के उत्पादन और असेंबली प्रक्रियाओं की गहन जांच की थी।
उल्लेखनीय है कि बोइंग की सुविधाओं के एफएए द्वारा ऑडिट करने पर निर्माण की प्रक्रिया में अनियमितताओं और कंपनी की सुरक्षा संस्कृति में खामियों का पता चला था। बल्कि व्हिसल ब्लोअर्स ने तो यहां तक भी आरोप लगाए थे कि बोइंग की कार्यप्रणाली में खामियों को उजागर करने के लिए उन्हें बदले की कार्रवाई का सामना भी करना पड़ा था। उल्लेखनीय है कि रिपब्लिक एयरवेज के सीईओ ब्रायन बेडफोर्ड, जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा एफएए का प्रमुख नियुक्त किया गया है, ने बुधवार को कहा था कि वर्ष 2018 और 2019 में दो बोइंग 737 मैक्स दुर्घटनाओं से जुड़ी एक प्रमुख सुरक्षा प्रणाली की विफलता के बारे में कुछ वास्तविक व गंभीर सबक सीखे गए हैं, जिसमें 346 लोगों की मृत्यु हो गई थी। निश्चित रूप से अहमदाबाद विमान हादसे के बाद भारतीय अधिकारियों को अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ गंभीर विमर्श करना चाहिए। उससे मिले इनपुट गुजरात दुर्घटना की गहन जांच करने में सहायक साबित हो सकते हैं। बहरहाल, अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट एआई 171 के हादसे ने सैकड़ों परिवारों को गहरे जख्म दे दिए हैं। हादसे में दो सौ से अधिक लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है, वहीं एक व्यक्ति के जीवित बचने को कुदरत का करिश्मा माना जा रहा है। दूसरी ओर रिहाइशी इलाके में विमान के गिरने से हुई क्षति भी दुखद है। पुलिस द्वारा चालीस लोगों के अस्पताल में उपचाराधीन होने की बात भी कही जा रही है। कहना कठिन है कि यह कैसी स्थिति है कि एक मेडिकल कालेज के पास हुई इस दुर्घटना में घायलों को तुरंत उपचार देना संभव हो पाया है। उल्लेखनीय है कि विमान मेडिकल कालेज के छात्रों के मैस पर गिरा। उस समय छात्र लंच कर रहे थे। जिसमें कई छात्र भी घायल हुए हैं। जिनमें कई की हालत गंभीर है। निश्चय ही यह विमान हादसा हवाई यात्राओं से जुड़ी चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत को बताता है। हवाई हादसे के कारणों की हकीकत जांच के बाद सामने आएगी लेकिन यदि हवाई यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक हुई है, तो उसकी जवाबदेही तय करने की जरूरत है।