सुखद योग संयोग
आज पूरा देश व दुनिया ग्यारहवां विश्व योग दिवस उल्लास के साथ मना रही है। लाखों लोगों का बड़े आयोजनों के साथ उत्साह व उल्लास से जुड़ना, इस बात का प्रमाण है कि देश ने अपनी सदियों पुरानी योग की विरासत का अंगीकार कर लिया है। सुखद संयोग देखिए कि जल-थल और नभ में योग करते चित्र मीडिया में तैर रहे हैं। केंद्र व राज्य सरकारों के मंत्री से लेकर संत्री तक योग करते नजर आ रहे हैं। सेना के तीनों अंगों व अर्द्ध सैनिक बलों की अनुशासित टुकड़ियां जब योग करती नजर आती हैं तो योगमय आभा निखर आती है। राष्ट्रीय राजधानी व राज्यों की राजधानियों में विशेष योग समारोह आयोजित हो रहे हैं। हरियाणा सरकार ने तो पिछले एक महीने से कुरुक्षेत्र में आयोजित होने वाले मुख्य योग समारोह के लिये पूरी ताकत लगा दी है। यूं तो सारे राज्य में योग चेतना अभियान, रैलियां,मैराथन के साथ स्कूल-कालेजों में योग प्रशिक्षण कार्यक्रम योग प्रोटोकॉल के तहत आयोजित किए जाते रहे हैं, लेकिन सरकार का खास ध्यान कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में होने वाले कार्यक्रम पर केंद्रित है। जिसमें एक लाख लोगों के जुटने की तैयारी युद्ध स्तर पर की गई है। सरकार की कोशिश है कि ग्यारहवें विश्व योग दिवस पर राज्यभर में होने वाले योग समारोहों में ग्यारह लाख लोग भाग लें। कोशिश है नया विश्व रिकॉर्ड बने, जब ग्यारह लाख लोग राज्य के बाईस जनपदों और 121 खंडों के विभिन्न स्थानों पर एक साथ योगाभ्यास करेंगे। कमोबेश, ऐसा ही उत्साह देश के अन्य राज्यों में नजर आ रहा है और मुख्यमंत्री, मंत्रियों से लेकर तमाम बड़े अधिकारी योग दिवस समारोहों में शिरकत करते नजर आएंगे। निश्चित रूप से विश्व योग दिवस पर समारोहपूर्वक आयोजन योग के प्रति उत्साह जगाएंगे। लेकिन जरूरी है कि स्वस्थ जीवन शैली के लिये बाकी 364 दिन भी योग हमारी दिनचर्या का अटूट हिस्सा बने। निस्संदेह, स्वस्थ नागरिक किसी भी देश की अमूल्य पूंजी है। वहीं रोगग्रस्त नागरिक किसी राष्ट्र की बड़ी क्षति है।
ऐसे समय में जब हमारी जीवन शैली में आए आमूल-चूल बदलावों से मनोकायिक रोगों का उफान है, योग ही हमें स्वस्थ जीवन की गारंटी दे सकता है। योग गुरु कहते भी हैं कि यह समय दवा से नहीं, विचार से उपचार का है। दवाओं के साइड इफेक्ट सर्वविदित हैं। लगातार महंगी होती चिकित्सा प्रणाली रोग के तात्कालिक उपचार में तो सक्षम है लेकिन रह-रहकर रोग भी उभर आते हैं। जरूरी है कि हमारी योगमय जीवन शैली ऐसी हो कि रोगवर्धक तत्व हमारे शरीर को अपना घर न बना सकें, जो रोग फैलाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। योग हमारी सकारात्मक सोच व सात्विक जीवन शैली को वरीयता देता है। जिससे हमारा तन-मन शुद्ध हो सके। आज अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों के शोध बता रहे हैं कि हमारे प्रदूषित विचार पहले मन को बीमार करते हैं, फिर बीमार मन हमारे शरीर को रोगी बनाता है। अष्टांग योग यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि पर बल देता है। जब हम इसके पहले अंग यम के अंतर्गत अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य व अपरिग्रह का पालन करते हैं तो योग साधने में सफल होते हैं। हमारे समाज में बढ़ता तनाव व आक्रामकता तमाम तरह के अपराधों की जननी है। यदि हम योग-ध्यान से मन को शांत रख पाते हैं तो कई तरह के विकारों से मुक्ति पा सकते हैं। दरअसल, आज देश में लगातार बढ़ते मनोकायिक रोगों का समाधान हमारी सदियों पुरानी जीवन शैली में निहित है। हम रात में जल्दी सो जाएं और सुबह जल्दी उठकर आसन-प्राणायाम का नियमित अभ्यास करें तो कई मनोकायिक रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। विडंबना है कि जीवन शैली में आए बदलावों और मोबाइल की महामारी ने हमारी रातों की नींद चुरा ली है। हमारे शरीर में उच्च रक्तचाप, मधुमेह व दिल के रोगों की वजह हमारी बिगड़ी दिनचर्या और फास्टफूड संस्कृति ही है। योग हमें संयमित खानपान, गहरी नींद और संयमित जीवन का भी संदेश देता है। योग सिर्फ आसन ही नहीं है। हम यौगिक जीवनशैली अपनाकर खुद,परिवार व देश को स्वस्थ बना सकते हैं। तभी विश्व योग दिवस मनाना सार्थक होगा।