चुनावी बयार व कोरोना संकट की तीसरी लहर के बीच बजट सत्र की शुरुआत, राष्ट्रपति के संबोधन और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण के रूप में हुई, जिसका सार मीडिया के जरिये नवनियुक्त आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने आम जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास किया। सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था के 9.2 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद जतायी गई। वहीं उम्मीद है कि आगामी वित्तीय वर्ष में विकास दर आठ से 8.5 तक रह सकती है। ऐसा अनुमान अर्थव्यवस्था के सूक्ष्म संकेतों के जरिये लगाया जा रहा है। यह भी कि कृषि व औद्योगिक उत्पादन वृद्धि में सुधार से विकास दर बढ़ने में मदद मिलेगी। आर्थिक सर्वेक्षण की समीक्षा में संकेत दिया गया कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ सफल टीकाकरण अभियान से जहां नागरिकों का स्वास्थ्य सुनिश्चित हुआ, वहीं अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिली। देश की सत्तर फीसदी वयस्क आबादी को टीके की दोनों खुराक लगाया जाना अभियान की सफलता को दर्शाता है। दावा किया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2022-23 में आने वाली चुनौतियों से निपटने में सक्षम रहेगी, जिसका आधार निर्यात में वृद्धि तथा पूंजीगत व्यय में तेजी की गुंजाइश को बताया गया है। साथ ही निजी निवेश में तेजी की उम्मीद जगी है। आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में सरकारी कर्मचारियों के वेतन आदि खर्चों में 22.9 फीसदी की वृद्धि हुई। वहीं दूसरी ओर सब्सिडी बिल में 51 फीसदी की कमी आई है। वेतन वृद्धि की वजह जनवरी, 2020 से जून, 2021 तक कोरोना संकट के कारण फ्रीज किये गये डीए को इस वित्तीय वर्ष में दिया जाना बताया गया है। चालू वित्तीय वर्ष के बजट अनुमान के आधार पर कहा गया है कि रक्षा सेवाओं के खर्च में 3.1 फीसदी की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर ब्याज भुगतान में 18.7 में वृद्धि की बात कही गई है। वहीं रेवेन्यू एक्सपेंडिचर में 5.1 फीसदी की गिरावट की बात कही गई है।
आर्थिक सर्वेक्षण में आगामी बजट के संकेतों को शेयर बाजार ने हाथों हाथ लिया है, सेंसेक्स ने बड़ी छलांग लगाई। वहीं सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से हुई। संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा हेतु दृढ़ संकल्पित है और रक्षा क्षेत्र में लगातार आत्मनिर्भरता बढ़ी है। देश में 44 करोड़ लोग जनधन-आधार-मोबाइल के जरिये बैंकिंग सिस्टम से जुड़े हैं, जिससे महामारी के दौरान करोड़ों लोगों को विभिन्न योजनाओं के तहत नगद हस्तांतरण संभव हो पाया है। आर्थिक सुधारों से देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हुआ है। तेजी से बढ़ता विदेशी निवेश इसका प्रमाण है। सरकार अंत्योदय के मूलमंत्र को प्राथमिकता देते हुए समानता व सामाजिक न्याय के लक्ष्य हासिल कर रही है। राष्ट्रपति ने सरकार द्वारा योग, आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को लोकप्रिय बनाने का जिक्र किया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का जिक्र करते हुए ग्यारह करोड़ से अधिक किसान परिवारों को एक लाख अस्सी हजार करोड़ दिये जाने का उल्लेख किया। साथ ही कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ सुनियोजित लड़ाई के चलते देश के कृषि निर्यात में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है। बहरहाल, आज पेश होने वाले बजट को लेकर उम्मीदें उफान पर हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव सामने होने के कारण इसका असर बजट पर पड़ना स्वाभाविक है। चुनावी दौर के मायने होते हैं लुभावना बजट। अपने लक्षित वर्ग को खुश करने की कोशिश आम बजट में होगी, ऐसे कयास अर्थशास्त्री लगा रहे हैं। जाहिर है नौजवान, किसान, ग्रामीण वर्ग, महिलाएं, लक्षित जातीय समूह व कर्मचारी तथा छोटे व्यापारी आदि को लुभाने की कोशिश होगी। खासकर वह वर्ग जिसे सत्तारूढ़ दल अपना लक्षित वोट बैंक मानता है। यह उम्मीद कम ही रहेगी कि सरकार बड़े आर्थिक सुधारों के लिये सख्त फैसले ले। कर्मचारी वर्ग को आयकर टैक्स में छूट की उम्मीद है, लेकिन संकेत कम ही हैं। आशा है कि कोरोना संकट से आहत वर्ग को सरकार मलहम लगाने के प्रयास जरूर करेगी।