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ड्रोन और ड्रग्स

संकट से मुक्ति को पंजाब की मदद करे केंद्र
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यह अच्छी बात है कि केंद्र की राजग सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को नशा मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। राज्य सरकारों ने भी प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को भरपूर समर्थन का वायदा किया है। हालांकि, यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य तब तक हासिल नहीं किया जा सकता है, जब तक कि अंतर्राष्ट्रीय साजिश से नशे के संकट को झेल रहे राज्यों में सबसे संवेदनशील पंजाब के हालात पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। पंजाब में सीमा पार से चलाये जा रहे नशे के कारोबार की साजिश से पंजाब किस हद तक त्रस्त है, इस सप्ताह की शुरुआत में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी की 2024 की रिपोर्ट से वह भयावह तसवीर उभरती है। एनसीबी की रिपोर्ट के अनुसार पिछले चार वर्षों में पाकिस्तान से इस सीमावर्ती राज्य में आये ड्रग्स से लदे ड्रोनों के देखे जाने और बरामद होने की घटनाओं में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि देखी गई है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने चिंता जतायी है कि सीमा पार से नशीले पदार्थों की तस्करी के लिये ड्रोन का इस्तेमाल भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये भी एक बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। इन हालात को देखकर कानून प्रवर्तन और सीमा सुरक्षा एजेंसियों के हाथ-पांव फूल रहे हैं। दरअसल, चिंता की बात यह है कि ड्रग तस्करी करने वाले गिरोह जोखिम भरे पारंपरिक जमीनी तरीके अपनाने के बजाय हवाई मार्ग से तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। यह स्थिति कितनी विकट है नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा पेश आंकड़ों से यह पता चलती है। एनसीबी के अनुसार पिछले साल भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन के जरिये नशीले पदार्थों की तस्करी के 179 मामले दर्ज किए गए, जिसमें सबसे अधिक 163 मामले पंजाब में थे। उसके बाद राजस्थान में पंद्रह और जम्मू-कश्मीर में एक मामला सामने आया। इससे इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता कि बरामदगी की बहुत ज्यादा घटनाओं के बावजूद पंजाब सीमा पार के नशे तस्करों के लिये सबसे अच्छा विकल्प बना हुआ है।

नशा तस्करों के खतरनाक मंसूबे देखिए कि हाल में पंजाब में बाढ़ के दौरान नशा तस्कर आपदा में अवसर तलाशते रहे। इन आपराधिक तत्वों ने हाल में आई बाढ़ का फायदा उठाकर नावों और टायर-ट्यूबों के जरिये भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी की है। इसके साथ यह भी चिंताजनक स्थिति है कि विदेशी गैंगस्टर नशीले पदार्थों के देश के तस्करों और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर इस संकट को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। जो पंजाब के लोगों के लिये जानलेवा साबित हो रहा है। राज्य में, देश में पकड़ी गई हेरोइन का 45 फीसदी बरामद होना पंजाब की नशे की दलदल की गहराई को दर्शाता है। वहीं राज्य में पिछले साल 2.9 करोड़ नशे की गोलियां बरामद होना बताता है कि नशे का संकट कितना भयावह हो चला है। दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में 51 लाख नशे की गोलियां बरामद की गई। पहले व दूसरे नंबर का अंतर भी स्थिति की विकटता को ही दर्शाता है। विडंबना यह है कि राज्य के ग्रामीण इलाकों के युवा हेरोइन और कोकीन के तस्करों के लिये आसान निशाना बन रहे हैं। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कुछ महीने पहले सही ही कहा था कि नशीले पदार्थों का संकट अब केवल व्यक्तिगत लत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने सार्वजनिक व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून के शासन के लिये खतरा पैदा करना शुरू कर दिया है। निस्संदेह, पंजाब सरकार के ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान को केंद्र सरकार की नशा मुक्त पहल के साथ जोड़ कर चलाया जाना चाहिए। यह स्पष्ट है कि पंजाब में आने वाली नशीली दवाओं की आपूर्ति अब अन्य राज्यों में भी की जा रही है। देश के सीमावर्ती राज्यों पंजाब, असम, मिजोरम, राजस्थान, पश्चिम बंगाल व जम्मू-कश्मीर में यह संकट गहरा रहा है। जहां विदेशों में बैठे नशा तस्करों द्वारा देश में नशे का जहर भेजा जा रहा है। नार्को आतंकवाद से निपटने के लिये केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तथा राज्यों के बीच भी बेहतर तालमेल वक्त की जरूरत है।

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