ऐसे वक्त में जब रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थता की नीति अमेरिका व यूरोपीय संघ को रास नहीं आ रही है, अमेरिका के करीबी पार्टनर ब्रिटेन के मुखिया बोरिस जानसन की यात्रा भारतीय कूटनीतिक कामयाबी को दर्शाती है। निस्संदेह, जरूरतें ब्रिटेन की भी हैं। बोरिस जानसन कई राजनीतिक मामलों में घिरे हैं और ब्रेग्जिट के चलते उसे अपनी अर्थव्यवस्था को ईंधन देने के लिये नये बाजार की जरूरत है। लेकिन यह मैत्री बराबर की है, दोनों देश एक-दूसरे के मददगार साबित हो सकते हैं। सही मायनों में रोडमैप-2030 दीर्घकालीन पारस्परिक हितों की बानगी दिखाता है। भारत अपनी सामरिक चुनौतियों के चलते रूस समेत दुनिया के तमाम देशों से हथियार खरीदता है, इसी कड़ी में भारत और ब्रिटेन रक्षा व ऊर्जा के क्षेत्र में संबंध मजबूत करने को तैयार हुए हैं। ब्रिटेन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व स्वास्थ्य में निवेश बढ़ाएगा। साथ ही हिंद प्रशांत महासागर में ब्रिटेन के सक्रिय होने के वायदे से चीनी चुनौती का मुकाबला संभव होगा। सही मायने में यूरोपीय संघ से अलग होकर ब्रिटेन का भारत की तरफ उन्मुख होना हमारी मजबूत स्थिति को ही दर्शाता है। सोलह लाख भारतवंशी ब्रिटेन की राजनीति व आर्थिकी में बड़ा योगदान दे रहे हैं। भारतीयों का दबदबा देखिये कि कभी भारत जिस ब्रिटेन के अधीन रहा है, वहां भारतीय मूल की दो शख्सियतें ब्रिटेन के गृह व वित्त मंत्रालय संभाल रही हैं।
भारत प्रतिभाओं के अलावा तमाम उत्पाद ब्रिटेन को निर्यात करता है। करीब सोलह अरब डॉलर का कारोबार दोनों देशों में प्रतिवर्ष होता है। एक लाख से अधिक भारतीय विद्यार्थी वहां अध्ययन कर रहे हैं। ब्रिटेन ने वायदा किया है कि भारतीय प्रतिभाओं को वीजा आसानी से मिलेगा। वहीं महत्वपूर्ण यह कि भारत व ब्रिटेन तेजी से मुक्त व्यापार समझौते की तरफ बढ़ रहे हैं। उम्मीद है कि दीवाली तक यह तार्किक परिणति हासिल कर लेगा जो दोनों देशों के आयात-निर्यात को नये आयाम देगा। हाल के दिनों में जानसन के अलावा जापान के प्रधानमंत्री, चीनी विदेश मंत्री व अमेरिकी प्रतिनिधियों की भारत यात्रा तथा अमेरिकी राष्ट्रपति व आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से वर्चुअल वार्ता विश्व राजनीति में भारत की बढ़ती धमक की ओर इशारा करती है। ब्रिटेन यूक्रेन में रूसी हमले का घोर विरोधी है और बोरिस जानसन युद्ध के बीच यूक्रेन होकर आये हैं,लेकिन रूस के साथ पुराने रिश्तों के चलते हमारी तटस्थता नीति के बाबत उन्होंने कोई चुभने वाला बयान नहीं दिया। जाहिर है उन्होंने भारत-रूस के भावनात्मक रिश्तों को तरजीह दी है और अपने आर्थिक हितों पर ध्यान लगाया है। दुनिया की महाशक्तियों काे साफ संदेश है कि भारत की विदेशी नीति गुटनिरपेक्षता की है और वह अपने हितों की कीमत पर किसी पाले में नहीं खड़ा होगा। यही वजह है कि भारत ने रूस से संबंधों को बनाये रखते हुए यूक्रेन हमले को खारिज करते हुए स्वतंत्र जांच व वार्ता की टेबल पर आने की बात कही है। यह भी महत्वपूर्ण है कि जानसन ने भारत के आर्थिक अपराधियों व पृथकतावादियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।