मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

खतरनाक मंसूबे

पाक ड्रग-माफियाओं से बचाएं पंजाब के बच्चों को
Advertisement

नापाक पाक की ओर से सीमावर्ती राज्य पंजाब को अस्थिर करने की साजिश पिछली सदी से लगातार की जा रही है। लेकिन अब नशे का नश्तर सुनियोजित ढंग से इसके सीने पर जिस ढंग से चलाया जा रहा है, वह परेशान करने वाला है। पंजाब के पाक सीमा से लगे जिलों में नशीले पदार्थों की आपूर्ति लगातार जारी है। लेकिन अब इस साजिश में एक विचलित करने वाला अनैतिक मोड़ देखने को मिल रहा है। इसमें पाक स्थित ड्रग माफिया भारतीय सीमा में नाबालिगों को एक नशा आपूर्तिकर्ता के तौर पर भर्ती कर रहे हैं। यह कोई मामूली साजिश नहीं है, बल्कि एक खतरनाक प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जा रहा है। ये तकनीकी बदलावों, कानून की खामियों और सबसे बढ़कर बच्चों की मासूमियत का फायदा उठाने का कुत्सित प्रयास ही है। दरअसल, सीमा पार बैठे नशा माफिया कानून के छिद्रों व परिस्थितियों का लाभ उठाने से नहीं चूकते। अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का के किशोरों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। इन किशोरों में कई आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों से हैं। जिन्हें चंद रुपयों का प्रलोभन दिया जाता है। उन्हें स्मार्टफोनों का लालच भी दिया जाता है। इसके अलावा जो किशोर नशे की दलदल में धंस चुके हैं उनकी कमजोर नस को पकड़कर उन्हें मुफ्त ड्रग्स का लालच दिया जाता है। किसी भी देश के किशोरों का नशे के संजाल में फंसना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। बच्चे भविष्य के भारत के कर्णधार होते हैं। यदि वे अभी से नशे की दलदल और नशीले पदार्थों की आपूर्ति में लग जाएंगे तो देश-समाज का भविष्य कैसा होगा, अंदाजा लगाना कठिन नहीं है। जिस काम को किशोर लालच से अंजाम दे रहे हैं, सही मायनों में वह बेहद खतरनाक है। वे ड्रोन से गिराए गए हेरोइन के पैकेट व कुछ मामलों में खतरनाक अवैध हथियार उठाते हैं और उन्हें ड्रग माफिया द्वारा बताए गए एजेंटों तक पहुंचाते हैं।

दरअसल, आमतौर पर किशोरों की सामान्य सक्रियता को संदिग्ध नहीं माना जाता। उनका साफ-सुथरा रिकॉर्ड उन्हें कानून प्रवर्तन अधिकारियों की नजर से बचा लेता है। यदि नाबालिगों की गिरफ्तारी होती भी है तो वे भारतीय कानूनों के हिसाब से गंभीर सजा से बच जाते हैं। इस तरह, उनकी कम उम्र ही उन्हें सीमा पार बैठे नशे के तस्करों के लिये उपयोगी बना देती है। इन बच्चों के खिलाफ कार्रवाई करते समय प्रवर्तन एजेंसियों को उदार रवैया अपनाना चाहिए। दरअसल, कुछ बच्चे परिस्थितियों के मारे भी होते हैं। वे मूलत: अपराधी नहीं होते। कुछ शातिर अपराधी उनका इस्तेमाल करके इस अपराध की दलदल में धकेल देते हैं। सही मायनों में वे सीमा पार से रची गई साजिश और हमारी अपनी व्यवस्था की कमजोरियों के कुचक्र व उससे उपजी आपराधिक व्यवस्था में आसानी से फंस जाते हैं। असल में, भारतीय किशोर न्याय कानून का उद्देश्य नाबालिगों को सुधारना और सुरक्षा करना होता है। लेकिन इस कानून की मूल भावना का लाभ संगठित नेटवर्कों द्वारा अपने मंसूबों को अंजाम देने को उठाया जा रहा है। हम 21वीं सदी में नशे की तस्करी का मुकाबला बीसवीं सदी के उपायों से नहीं कर सकते हैं। कभी-कभार होने वाली गिरफ्तारियां, छिटपुट छापे और उदार चेतावनी अपर्याप्त कही जा सकती हैं। निश्चित रूप से अपराध की घातकता के अनुरूप ही प्रतिक्रिया देने की जरूरत है। सीमा की निगरानी व्यवस्था को अत्याधुनिक बनाये जाने की सख्त आवश्यकता है। स्कूलों, पंचायतों, सामुदायिक नेताओं और नागरिक समाज को पहले ही चेतावनी प्रणालियां बनानी चाहिए, ताकि पहचान हो सके कि बच्चों की परवरिश किस ढंग से की जा सके। इस दिशा में अभिभावकों को भी जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे बच्चों के पथभ्रष्ट होने के खतरे के प्रति सचेत रहें। समुदायों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। साथ ही जोखिम के दायरे में आ सकने वाले युवाओं को बेहतर शिक्षा, कार्य कौशल और वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि वे किसी प्रलोभन में आकर गलत राह न चुने। निश्चित तौर पर नाबालिगों का यह दुरुपयोग पंजाब के सामाजिक ताने-बाने व भारत की सुरक्षा पर हमला है।

Advertisement

Advertisement
Show comments