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चुनौतियां और संकल्प

आत्मनिर्भरता और सुरक्षा को प्राथमिकता
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पंद्रह अगस्त पर लाल किले से प्रधानमंत्री का राष्ट्र के लिये संबोधन महज एक औपचारिकता नहीं होता, बल्कि समकालीन राष्ट्रीय चुनौतियों व अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर सरकार की रीति-नीति का परिचय होता है। आने वाले समय की योजनाओं का खाका और राष्ट्रीय संकल्पों की बानगी होता है। देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन निस्संदेह, इन्हीं रीति-नीतियों का विस्तार था। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा थोपे गए टैरिफ के बीच स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर बल दिया। साथ ही यह भी दोहराया कि विश्व में पहुंच बनाने के लिये हमारी प्राथमिकता गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की होनी चाहिए। उन्होंने रक्षा उत्पाद निर्माण को वरीयता देने की जरूरत बतायी। उन्होंने कहा कि साल के अंत तक पहली मेड इन इंडिया सेमीकंडक्टर चिप आ जाएगी। निश्चय ही यह कामयाबी हमारी तकनीकी व सुरक्षा जरूरतों के लिये महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने क्रिटिकल मिनरल्स के उत्पादन पर भी जोर दिया, जो रक्षा उत्पादों में बड़ी भूमिका निभाते हैं। पं. नेहरू के बाद लगातार बारहवीं बार लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करने वाले मोदी का यह संबोधन अब तक का सबसे लंबा अवधि वाला था। लेकिन समकालीन चुनौतियों के मद्देनजर यह तार्किक था। उन्होंने उर्वरकों, परमाणु ऊर्जा, जीएसटी, अर्थव्यवस्था के लिये रिफोर्म टास्क फोर्स के गठन, अंतरिक्ष अभियान जैसे तमाम मुद्दों को संबोधित किया। निश्चित रूप से आत्मनिर्भरता के प्रयासों से जहां हम अपने आर्थिक लक्ष्य पा सकते हैं, वहीं हम अपनी संप्रभुता की रक्षा भी कर सकने में सक्षम हो सकेंगे।

निश्चित रूप से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के परिदृश्य के बीच भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद बढ़ाने के लिये उत्पादन क्षेत्र में आशातीत वृद्धि करनी होगी। तभी हम चीन के साथ लगातार बढ़ते व्यापार असंतुलन को दूर कर पाने में किसी हद तक सफल हो सकते हैं। फिर हम वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अपनी भूमिका बढ़ा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने देश के लिये चुनौती बनती घुसपैठ की समस्या को भी संबोधित किया और उच्च शक्ति वाला डेमोग्राफी मिशन चलाने की बात कही। दरअसल, आज घुसपैठ जनसांख्यिकीय बदलाव की स्थिति तक पहुंच गई है। देश में अवैध बांग्लादेशियों की घुसपैठ डेढ़ करोड़ बतायी जा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी का जिक्र करके देश को सुरक्षा का भरोसा दिलाया। आने वाले दशक में उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों के मुकाबले को उन्होंने ‘सुदर्शन चक्र’ नामक राष्ट्रीय सुरक्षा कवच तैयार करने की बात कही। जिसमें रक्षा उत्पादों का आधुनिकीकरण भी शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि बाह्य दबाव अस्वीकार करके किसानों, पशुपालकों व मछुआरों के हितों की रक्षा की जाएगी। उनका मानना था कि हम इतने मजबूत बनें कि चुनौतियां हमारी सफलता का मार्ग तय करें। कुल मिलाकर उन्होंने देश के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों को संबोधित करते हुए समाधान की राह का विस्तार से जिक्र किया। विश्वास किया जाना चाहिए कि देश के आंतरिक मोर्च पर उन्होंने किसानों के संरक्षण व प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना के मुद्दे पर जो कहा, उसे यथाशीघ्र हकीकत बनाया जाएगा।

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