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जश्न में फायरिंग

खाप ने दिखायी घातक प्रथा रोकने की राह
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यह दुर्भाग्यपूर्ण ही कि विवाह आदि खुशी के मौके पर जानलेवा फायरिंग से मातम का माहौल बनने की तमाम घटनाओं के बावजूद इस बुराई पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। विगत में ऐसी अनेक घटनाओं में कई लोगों की जान चली गई और परिवारों के लिये जीवनभर का दुख छोड़ गए। इस बाबत कई बार अदालतों ने सख्त टिप्पणियां की और सामाजिक स्तर पर भी आवाजें उठी। लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात ही रहे। पिछले महीने पंजाब और हरियाणा में ऐसी ही तीन दर्दनाक घटनाएं इस आत्मघाती लापरवाही से सामने आईं। जो इस घातक प्रथा के गंभीर परिणामों को ही उजागर करती हैं। ऐसी ही एक घटना में हरियाणा के चरखी दादरी इलाके में एक बारात के दौरान तेरह साल की एक किशोरी की दर्दनाक मौत हर्ष फायरिंग में हो गई। साथ ही उसकी मां भी गंभीर रूप से घायल हो गई। ऐसे ही एक अन्य वाकये में फिरोजपुर में, एक दुल्हन तब गंभीर रूप से घायल हो गई, जब उसके भाई ने विदाई समारोह के दौरान लापरवाही से पिस्तौल चला दी। वहीं दूसरी ओर अमृतसर में ऐसी ही एक घटना सामने आई जब एक रिसॉर्ट में आयोजित विवाह समारोह में एक महिला हर्ष फायरिंग से घायल हो गई। निश्चित रूप से संवेदनहीनता से उपजी त्रासदियों को रोकने के लिये तत्काल कार्रवाई की जरूरत महसूस की जा रही है। यकीनी तौर पर इस कुप्रथा को रोकने के लिये जो गंभीर पहल समाज की ओर से होनी चाहिए, वह होती नजर नहीं आ रही है। इन हालात में एक आशा की किरण तब जगी जब सर्वजातीय अठगामा खाप ने जश्न के दौरान होने वाली हर्ष फायरिंग पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय सामाजिक स्तर पर लिया। निश्चित रूप से खाप पंचायत का यह निर्णय स्वागत योग्य कदम ही कहा जाएगा। उसने चरखी दादरी की दुर्घटना में किशोरी की मौत के बाद यह प्रतिबंध लगाया है।

निस्संदेह, खाप पंचायत की ओर से इस बुराई को दूर करने की यह कोशिश उसके सामाजिक दायित्वों के प्रति प्रतिबद्धता को ही उजागर करती है। खाप ने फैसला लिया है कि ऐसी दुर्घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवायी जाएगी। उस व्यक्ति या परिवार पर जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसी घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार भी होगा। वक्त की नजाकत को समझते हुए लिया गया खाप का यह फैसला इस खतरनाक परिपाटी के खिलाफ शून्य सहिष्णुता को ही दर्शाता है। इस जानलेवा फायरिंग के खतरों को महसूस करते हुए जागरूकता अभियान चलाने का फैसला भी खाप की ओर से लिया गया, ताकि भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने हेतु ठोस पहल की जा सके। निस्संदेह, समाज में इस घातक दिखावे की सोच बदलने हेतु खाप की रचनात्मक पहल से शादियों व अन्य खुशी के अवसरों पर बंदूकों के दुरुपयोग की प्रवृत्ति को खत्म किया जा सकेगा। उम्मीद करें कि पंजाब व हरियाणा में विभिन्न सामाजिक संगठनों को इस घातक प्रथा को समाप्त करने के खाप के सामूहिक संकल्प से प्रेरणा मिलेगी। बेहतर हो कि खाप की पहल का अनुपालन हो। हालांकि, सामाजिक स्तर पर यह जमीनी प्रयास महत्वपूर्ण पहल है, लेकिन प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों को भी इस मामले में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम व हाईकोर्ट बार-बार जश्न मनाने में गोलीबारी की अवैधता व खतरों की ओर ध्यान दिलाते रहते हैं। साथ ही इसे जीवन के प्रति लापरवाही से उपजा खतरा बताते रहे हैं। बल्कि यहां तक कि कोर्ट ने ऐसे कृत्यों में गैर इरादतन हत्या की कोशिश के रूप में कार्रवाई किये जाने की भी बात कही है। वहीं दूसरी ओर बंदूक से जुड़े नियमों को भी सख्ती से लागू करने की जरूरत है। साथ ही कानूनों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अतिरक्त बंदूक लाइसेंसिंग मानदंडों के अतिक्रमण के मामलों को रोकने के लिये सुरक्षा प्रोटोकॉल की शिक्षा दी जानी अनिवार्य की जानी चाहिए। लोगों को जागरूक होकर यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी उत्सव में हर्ष फायरिंग जैसी त्रासदियों की छाया से मुक्त होकर खुशियाें के पल बरकरार रहें।

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