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मोटापे के विरुद्ध अभियान

जागरूकता से ही पूरा होगा स्वस्थ भारत का संकल्प
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निष्क्रिय जीवन व प्रसंस्कृत खाद्य-पेय पदार्थों के सेवन वाली पश्चिमी भोजनशैली का अंधानुकरण मोटापे के मुख्य कारण हैं। विडंबना यह है कि हम मोटापे को गंभीरता से नहीं लेते, जबकि यह अनेक गंभीर गैर संक्रामक रोगों की वजह बनता है। दरअसल, मोटापे के कारण मधुमेह व उच्च रक्तचाप के साथ ही उच्च कोलेस्ट्राेल की स्थिति पैदा होती है, जो कालांतर में हृदय रोग का कारण भी बनती है। प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय मेडिकल पत्रिका लैंसेट के अनुसार वर्ष 2022 में भारत में करीब सात करोड़ लोग मोटापे से पीड़ित थे। जिसमें 4.4 करोड़ संख्या महिलाओं की थी। सबसे ज्यादा गंभीर बात यह है कि सवा करोड़ बालक-बालिकाएं भी मोटापे से पीड़ित थीं। वहीं आईसीएमआर की रिपोर्ट तो बड़े खतरे की ओर इशारा करती है। जिसके अनुसार देश में करीब बारह करोड़ लोग मोटापे से होने वाली बीमारियों मसलन डाइबिटीज, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रोल आदि से पीड़ित हैं। निश्चित रूप से यह स्थिति स्वस्थ भारत के मिशन के लक्ष्य पर पानी फेरने वाली है। तभी पिछले दिनों राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटापे की गंभीर होती समस्या पर चिंता जताई थी। उन्होंने देश में मोटापे के खिलाफ जन अभियान शुरू करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री की इस अपील को देश की प्रसिद्ध हस्तियों का भरपूर समर्थन मिला है। इतना ही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्व एशिया इकाई ने प्रधानमंत्री की सार्थक पहल का स्वागत करते हुए नियमित शारीरिक सक्रियता, पौष्टिक व संतुलित भोजन की प्राथमिकता के साथ मोटापे के विरुद्ध मुहिम की बात कही।

उल्लेखनीय है कि मोटापे के खिलाफ राष्ट्रव्यापी मुहिम की जिम्मेदारी देश के सात सौ मेडिकल कॉलेजों को सौंपी गई है। मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य विशेषज्ञों व कार्यकर्ताओं की टीमें घर-घर जाकर संदेश देंगी कि मोटापा सिर्फ समस्या नहीं बल्कि गंभीर बीमारियों का कारक है। इस मुहिम में शामिल होते हुए दिल्ली एम्स के चौदह डॉक्टरों ने मोटापे के हमारी सेहत पर पड़ने वाले घातक प्रभावों पर विमर्श करते हुए, नागरिकों से सक्रिय व स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का आह्वान किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि शीघ्र ही देश के सभी सरकारी अस्पतालों में मोटापे के खिलाफ अभियान के क्रम में विशेष ओपीडी संचालित होंगी। यहां अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अलावा आहार विशेषज्ञ भी पौष्टिक व संतुलित भोजन के साथ योग व व्यायाम की जानकारी देंगे। चिकित्सकों का मानना है कि मोटापे की वजह से फेफड़ों पर भी दबाव बढ़ता है। इससे अस्थमा व नींद की अनियमितता से जुड़ी बीमारियां पैदा हो सकती हैं। वहीं जोड़ों पर अधिक दबाव बढ़ने से गठिया और आर्थराइटिस जैसी बीमारियां भी पैदा हो सकती हैं। यही वजह है कि डब्ल्यूएचओ मोटापे को एक वैश्विक महामारी के रूप मे देख रहा है। जो पिछले पांच दशकों में तीन गुना बढ़ चुका है। सबसे बड़ी चुनौतियां गृहिणियों के स्वास्थ्य को लेकर हैं। दरअसल, महिलाओं में वर्ष 2022 में मोटापे की दर 9.8 फीसदी हो गई है। निश्चित रूप से देश में मोटापे के खिलाफ लड़ाई कई मोर्चों पर लड़नी होगी। योग व अन्य शारीरिक व्यायाम इसमें खासे मददगार हो सकते हैं।

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