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कैब नियमन मानक

चालक व यात्रियों के हित में संतुलनकारी पहल
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समय की जरूरत और नई पीढ़ी के रुझान के मद्देनजर पिछले कुछ वर्षों में देश में कैब सेवाओं का आधार व्यापक हुआ है। कैब सेवाएं उपलब्ध कराने वाली देशी-विदेशी कंपनियों की कड़ी प्रतिस्पर्धा ने इस क्षेत्र को आशातीत विस्तार दिया है। लेकिन साथ ही चालकों के हित संरक्षण और उपयोगकर्ताओं के हितों के नियमन की आवश्यकता भी लंबे समय से महूसस की जा रही थी। इन सवारी सेवाओं पर लागू होने वाले नये दिशा-निर्देशों का मकसद कैब एग्रीगेटर्स को अधिक अवसर प्रदान करना, ड्राइवरों के कल्याण को सुनिश्चित करना और उपयोगकर्ताओं के हितों की रक्षा के बीच संतुलन बनाना है। सरकार ने उबर,ओला,इन-ड्राइव और रैपिडो जैसे एग्रीगेटर्स को पीक ऑवर्स के दौरान बेस किराए से दुगना तक चार्ज करने की अनुमति दी है। उल्लेखनीय है कि पहले यह बेस किराए से डेढ़ गुना अधिक था। जिसे सेवाओं में दबाव की स्थिति में किराये की तेजी के रूप में दर्शाया जाता था। इसके साथ ही, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशा निर्देश-2025 में गैर-पीक ऑवर्स के शुल्क को बेस किराए से पचास प्रतिशत से कम नहीं रखा गया है। दरअसल, यह कदम ये सुनिश्चित करने के लिये है कि पीक ऑवर्स के दौरान यात्रियों पर बोझ न पड़े और एग्रीगेटर्स अन्य समय में भारी छूट के माध्यम से प्रतिस्पर्धा को कम न करे। केंद्र सरकार के अनुसार, वर्ष 2020 के दिशा-निर्देशों के संशोधित संस्करण के नए मानदंड उपयोगकर्ता की सुरक्षा और चालक के कल्याण के मुद्दों पर ध्यान देते हुए एक हल्की-फुल्की नियामक प्रणाली प्रदान करने का एक प्रयास है। इसमें शामिल अन्य प्रावधानों के अनुसार एग्रीगेटर्स को वाहन की लोकेशन और ट्रैकिंग डिवाइस लगानी होगी। इसका मकसद यात्रा करने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान करना भी है। ट्रैकिंग डिवाइस लगाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें वाहन की स्थिति की जानकारी मिलती रहे। जिसका राज्य सरकारों के एकीकृत कमांड और कंट्रोल सेंटर से जुड़ा रहना भी जरूरी है। निश्चय ही यह महिला सवारियों की सुरक्षा के मद्देनजर अपरिहार्य कदम है।

इसके अलावा ड्राइवरों के हितों का भी ध्यान रखा गया है। उनके लिये बेहतर कमाई का प्रतिशत अनिवार्य किया गया है। उनके पास क्रमश: कम से कम पांच लाख और दस लाख रुपये का स्वास्थ्य और टर्म बीमा होना चाहिए। केंद्र सरकार के इस हालिया प्रयास ने राज्यों के लिये बाइक टैक्सियों को अनुमति देने का रास्ता भी खोल दिया है। निस्संदेह, ये प्रयास जहां अधिक राजस्व पैदा करने का जरिया बन सकता है, वहीं रोजगार सृजनकर्ता भी साबित हो सकता है। देश में जिस तरह बेरोजगारी की समस्या है, उसमें रोजगार के नये क्षेत्र पैदा करना वक्त की जरूरत है। यदि चालकों के लिये बेहतर कार्य परिस्थितियां और सम्मानजनक आय की व्यवस्था हो पाती है तो कई बेरोजगार इस दिशा में पहल कर सकते हैं। लेकिन जरूरी है कि एग्रीगेटर चालकों के साथ मनमानी न कर सकें। हर छोटे-बड़े व्यक्ति को आत्मसम्मान के साथ जीविका उपार्जन का अधिकार है। किसी भी काम को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। कई छात्र बेहतर कैरियर की चाह में अपनी पढ़ाई के खर्च के लिये पार्ट टाइम कार व बाइक टैक्सियां चलाते हैं। उन वाहनों में सफर करने वाले यात्रियों को भी इनके साथ सम्मानजनक ढंग से पेश आना चाहिए। उनके जीवन संघर्ष को हमें संबल देना चाहिए। नये प्रावधानों में राज्य सरकारों को सभी वाहनों, यहां तक कि ऑटो-रिक्शा और बाइक टैक्सियों के लिये भी आधार किराया अधिसूचित करना होगा। उन्हें अगले तीन महीने के भीतर नये मानदंडों को अपनाने की सलाह दी गई है। निश्चित रूप से सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशा निर्देश-2025 मौजूदा वक्त की जरूरतों के अनुरूप ही हैं। जो एक ओर कैब चालकों के हितों की रक्षा करते हैं, वहीं यात्रा करने वालों की सुरक्षा व आर्थिक हितों को भी संरक्षण प्रदान करते हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नये प्रावधानों के नियमन के लिये कितनी पारदर्शी व्यवस्था बनायी जाती है। निश्चित रूप से कानून बनाने से महत्वपूर्ण यह भी है कि उनके क्रियान्वयन में सजगता व सतर्कता सुनिश्चित की जाए।

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