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बिश्नोई गैंग पर कार्रवाई

कनाडा की पहल भारतीय चिंताओं के अनुरूप

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भारत और विदेशों में भय और असुरक्षा का माहौल बनाने वाले बिश्नोई गिरोह को कनाडा द्वारा आतंकवादी संगठन की सूची में डालने के कारण समझना कठिन नहीं है। यह कदम इस अंतर्राष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट के बारे में भारत की चिंताओं को सही साबित करने वाला ही है। वहीं दूसरी ओर यह गैंगस्टर व आतंकवादी गठजोड़ पर कार्रवाई करने का एक स्वागत योग्य प्रयास भी है। जिसने दोनों देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सतर्क भी किया है। दरअसल, यह गिरोह लॉरेंस बिश्नोई के नेतृत्व में भय व आतंक का पर्याय बना हुआ है। जिसने अनेक हाई-प्रोफाइल अपराधों को समय-समय पर अंजाम दिया है। यह विडंबना है और तंत्र की विफलता भी है कि गैंग का मुखिया पिछले एक दशक से अधिक समय से जेल में बंद है, इसके बावजूद गंभीर अपराधों की योजना बनाता रहा है। बिश्नोई गिरोह पर हाल के वर्षों में कई हाई-प्रोफाइल हत्याओं को अंजाम देने का आरोप है। इन हाई-प्रोफाइल हत्याओं में प्रसिद्ध पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला, करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दिकी भी शामिल हैं। अपराधियों के गठबंधन ने बार-बार बॉलीवुड स्टार सलमान खान को हत्या की धमकी दी है। इस सिंडिकेट ने सलमान खान के मुंबई स्थित घर के बाहर भी हमले करवाए हैं। इसी तरह कनाडा में पंजाबी कलाकार ए.पी. ढिल्लों और गिप्पी ग्रेवाल के घरों के बाहर गोलाबारी में भी इस गिरोह की भूमिका बतायी गई है। दरअसल, भारत सरकार व कनाडा सरकार ने इस आपराधिक सिंडिकेट के खिलाफ कार्रवाई के लिये इसलिए भी सहयोग बढ़ाया है क्योंकि बिश्नोई गिरोह पर कनाडा में सक्रिय गैंगस्टर गोल्डी बराड़ के साथ मिलकर जबरन वसूली का कारोबार चलाने का आरोप बराबर लगता रहा है। बताया जाता है कि गैंगस्टर गोल्डी बराड़ के खालिस्तान समर्थक आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल से करीबी संबंध रहे हैं। जो दोनों देशों की कानून व्यवस्था के लिये एक बड़ी चुनौती बना रहा है।

हाल के दिनों में खबरें आती रही हैं कि बिश्नोई गैंग अपने भीतरी टकराव से जूझ रहा है। गिरोह में लगातार जारी आपसी झड़पों और विश्वासघात की निरंतर बढ़ती घटनाओं ने बिश्नोई गैंग को भीतर से भी कमजोर कर दिया है। इस स्थिति को भारत तथा कनाडा की सरकारों की कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों ने इन कुख्यात अपराधियों पर चारों ओर से शिकंजा कसने के अवसर के रूप में देखा है। दरअसल, कनाडा सरकार के द्वारा बिश्नोई गैंग को आतंकवादी संगठन की सूची में शामिल करने के बाद अधिकारियों को उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में सुविधा रहेगी। वहां के कानून के अनुसार बिश्नोई गैंग को आतंकवादी संगठन घोषित करने के बाद अब कनाडाई अधिकारियों को आतंकवादी मामलों में इन अपराधियों के खिलाफ अपराध साबित करने के लिये अतिरिक्त साधन व सुविधा मिल सकेगी। सरल शब्दों में कहें तो आतंकवादी संगठन घोषित करने के बाद कनाडाई अधिकारियों को बिश्नोई गिरोह की संपत्ति, वाहन और धन जब्त करने का अधिकार मिल जाएगा। इसमें वित्त पोषण से संबंधित मामलों में की जाने वाली कार्रवाई भी शामिल है। जिसके जरिये भारत में अपराध व हिंसा फैलाने की साजिश रची जाती रही है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सार्वजनिक सुरक्षा कनाडा सरकार की प्राथमिकता रही है। जो यह भी दर्शाता है कि कनाडा सरकार ने अपने नागरिकों के लिए कुख्यात गैंगस्टरों, आतंकवादियों और अलगाववादियों द्वारा उत्पन्न गंभीर खतरे को पहचाना है। निस्संदेह, देर-सवेर इस ज़ीरो टॉरलेंस की नीति से भारत को अपने आंतरिक सुरक्षा प्रयासों को भी मजबूती देने में मदद मिलेगी। भारत लंबे समय से कनाडा की धरती से भारत के खिलाफ अभियान चलाने वाले अलगाववादी संगठनों व व्यक्तियों के खिलाफ शिकंजा कसने की मांग करता रहा है। बिश्नोई गैंग के खिलाफ ताजा कार्रवाई से अब उम्मीद जगी है कि देर-सवेर कनाडा सरकार भारत की चिंताओं को गंभीरता से लेते हुए इन संगठनों पर कार्रवाई करेगी, जो भारत के खिलाफ लगातार विषवमन करते रहे हैं और भारत विरोधी अभियानों का वित्तीय पोषण करते रहे हैं।

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