पहली नजर में बड़े पद की चमक-दमक का अपना सम्मोहन होता है, लेकिन हकीकत में जिम्मेदारी-जवाबदेही व विपरीत चुनौतियों में सामंजस्य बैठाना कांटों का ताज पहनने जैसा ही होता है। अंतहीन जन-अपेक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरना उतना ही कठिन होता है। वैसे किसी सत्ता का एक साल बहुत लंबी अवधि नहीं होती। उसके आधार पर अंतिम मूल्यांकन करना भी जल्दबाजी ही कही जाएगी, लेकिन इससे किसी नेतृत्व या सरकार की दिशा-दशा को बोध तो हो जाता है। कमोबेश, यह कसौटी हरियाणा में एक साल पूरा कर रही नायब सैनी सरकार के लिये भी है। सामाजिक न्याय के समीकरण संतुलन की कवायद के क्रम में भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने वाले नायब सैनी की इस पद पर ताजपोशी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पसंद रही है। जब नरेंद्र मोदी चंडीगढ़-हरियाणा में संगठन का दायित्व निभा रहे थे, तो सैनी उनके कार्यालय सहयोगी थे। इस मायने में बिना राजनीतिक व समृद्ध आर्थिक पृष्ठभूमि के राज्य के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने को एक बड़ी कामयाबी कहा जा सकता है। उनके राजनीतिक विरोधी भी उनकी सदाबहार मुस्कान-विनोदप्रियता के कायल रहे हैं। वे विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं को सम्मान सार्वजनिक रूप से देते नजर आते हैं, लेकिन पिछले विधानसभा सत्र में मुद्दों पर विपक्षी नेताओं को आड़े हाथों लेने से भी वे नहीं चूके। वैसे तो उनके एक साल के कार्यकाल में कई चुनौतियां सामने आती-जाती रही हैं, लेकिन हाल ही में एडीजीपी वाई.पूरन कुमार व एएसआई संदीप लाठर की आत्महत्या ने सरकार के सामने असहज स्थिति व बड़ी चुनौती पेश की। हालांकि, देर से ही सही फौरी तौर पर मामले का पटाक्षेप हुआ, लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री ने मुद्दे की संवेदनशीलता को महसूस कर कदम बढ़ाए। एडीजीपी द्वारा आत्महत्या की खबर उन्हें जापान दौरे के दौरान मिली तो उन्होंने दौरे में शामिल उनकी पत्नी अमनीत को अधिकारियों के साथ तुरंत भारत भेजा। भारत आते ही खुद भी वे सीधे एडीजीपी के घर संवेदना व्यक्त करने पहुंचे, तो एएसआई संदीप लाठर के घर भी परिवार को संबल देने गए।
बहरहाल, ट्रिपल इंजन सरकार का लाभ नायब सैनी को जरूर मिला है। कई विकास योजनाएं कायदे से सिरे चढ़ी हैं। लेकिन लाडो लक्ष्मी योजना ट्रंप कार्ड साबित हुई है। विधानसभा चुनावों में इस योजना के वायदे का छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र चुनावों की तर्ज पर हरियाणा में भी भाजपा को खासा लाभ मिला। मिले परिणामों ने तमाम कयासों को निरर्थक साबित किया। हर जरूरतमंद महिला को सरकार की तरफ से 21 सौ रुपये मिलना, उन्हें आर्थिक स्वावलंबन देना ही है। पहले चरण में बाइस लाख महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलेगा। निस्संदेह, कमजोर वर्ग के लोगों के लिये अपनी छत का सपना पूरा करना एक दुष्कर कार्य है। हरियाणा सरकार ने दस हजार से अधिक आबादी वाले महाग्रामों में गरीबों को पचास-पचास गज व छोटे गांवों में सौ-सौ गज के प्लाट उपलब्ध कराये। शहरों में ये 25 गज के रहे। वहीं प्रधानमंत्री आवास निर्माण योजना के तहत मिलने वाले ढाई-ढाई लाख रुपये ने उनके घर के सपने को हकीकत बनाया। मुख्यमंत्री नायब सैनी की खासियत लोगों के साथ सहज उपलब्धता है। उनकी सुबह कबीर कुटीर में जन संवाद से शुरू होती है और रात फाइलों के साथ खत्म होती है। जनता के लिये सहज उपलब्धता और निरंतर संवाद लोकतंत्र की अपरिहार्य शर्त होती है। उनके चंडीगढ़ आवास में सुबह से ही मिलने वाले लोगों का तांता लगा रहता है। निस्संदेह, आम जन ही सरकार को बेहतर फीडबैक दे सकते हैं, जो नौकरशाही की जटिलताओं के चलते सहज अभिव्यक्ति नहीं दे पाते। बेरोजगारी की समस्या किसी भी सरकार के लिये बड़ी चुनौती होती है। राज्य में चौबीस हजार बेरोजगारों को ग्रुप सी की नौकरियां देना राज्य सरकार की उपलब्धि के तौर पर देखा गया। वहीं लोकसेवा आयोग के माध्यम से 1311 पदों पर चयन और एचकेआरएन पोर्टल को पारदर्शी भर्ती प्रणाली के रूप में विकसित करना, राज्य सरकार की रोजगार के साथ स्थायित्व की नीति का संकेत माना जा सकता है। विश्वास किया जाना चाहिए कि नायब सरकार आने वाले चार सालों में जनाकांक्षाओं की कसौटी पर पूरी तरह खरी उतर पाएगी।