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योग से मानसिक थकान का समाधान

मानसिक थकान धीरे-धीरे व्यक्ति की कार्यक्षमता और उत्साह कम कर देती है। बिना किसी वजह निराशा छा जाती है। दरअसल, तेज रफ्तार जीवनशैली के चलते मस्तिष्क की कार्यक्षमता धीमी पड़ जाती है। लेकिन दिमाग को हर मानसिक चुनौती से पहले...
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मानसिक थकान धीरे-धीरे व्यक्ति की कार्यक्षमता और उत्साह कम कर देती है। बिना किसी वजह निराशा छा जाती है। दरअसल, तेज रफ्तार जीवनशैली के चलते मस्तिष्क की कार्यक्षमता धीमी पड़ जाती है। लेकिन दिमाग को हर मानसिक चुनौती से पहले विश्राम चाहिए। ऐसे में योगाभ्यास मन को हल्का और तनावमुक्त बनाता है।

दुनियाभर में एक अरब से अधिक लोग मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जूझ रहे हैं। इनमें से कई विकार इतने चुपचाप असर डालते हैं कि हमें उनकी गंभीरता का अहसास ही नहीं होता। मानसिक थकान भी ऐसा ही एक विकार है। यह अचानक आपकी दिनचर्या को नहीं बिगाड़ता, बल्कि धीरे-धीरे आपकी कार्यक्षमता, एकाग्रता और जीवन के प्रति उत्साह को कम कर देता है। बिना किसी ठोस कारण के जीवन बोझिल लगने लगता है, निराशा छा जाती है। इस स्थिति में जीवन को फिर पटरी पर लाने की जरूरत होती है।

मानसिक थकान की वजह

तेज रफ्तार जीवनशैली में समय सबसे कीमती वस्तु बन गया है। हम हर पल को अधिकतम उपयोग करने की होड़ में रहते हैं, पर मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। घर हो या दफ्तर, हर जगह हम भाग-दौड़ में व्यस्त रहते हैं। लगातार मानसिक परिश्रम से मस्तिष्क की कार्यक्षमता धीमी पड़ जाती है। दिमाग को हर नयी मानसिक चुनौती से पहले विश्राम चाहिए, ताकि वह अपनी ऊर्जा पुनः प्राप्त कर सके। लेकिन लगातार जल्दबाजी और काम टालने के डर से यह विश्राम लगभग असंभव बन जाता है। ऐसे में नींद पूरी होने के बावजूद थकावट बनी रहती है और मन बेचैन हो उठता है।

ऐसे करें पहचान

इसे अक्सर साधारण थकान समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। मगर यदि लगातार शरीर में दर्द, गर्दन में तनाव, दिमागी धुंध (ब्रेन फॉग), असामान्य चिड़चिड़ापन या काम में रुचि की कमी महसूस हो रही है, तो यह चेतावनी है कि आपकी मानसिक सेहत को देखभाल की जरूरत है। लंबे समय तक बनी रहने वाली मानसिक थकान न केवल आपके विचारों को धूमिल करती है बल्कि शारीरिक प्रदर्शन को भी प्रभावित करती है। अनुसंधान बताते हैं कि मानसिक थकान मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है जो निर्णय लेने, योजना बनाने और कार्य-नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होते हैं।

योग विचारों-भावनाओं का संतुलनकर्ता

मानसिक थकान में तंत्रिका तंत्र अक्सर सिम्पैथेटिक मोड में फंस जाता है, जिससे मन हर समय भाग-दौड़ और तनाव की स्थिति में रहता है। योग इसके विपरीत मस्तिष्क में नई न्यूरल पाथवे बनाता है और पैरासिम्पैथेटिक टोन को सक्रिय करता है। नियमित योगाभ्यास से एंडोर्फिन नामक ‘फील-गुड’ हार्मोन का स्राव बढ़ता है, जो मन को हल्का और तनावमुक्त बनाता है। एमआरआई स्कैन से यह भी सिद्ध हुआ है कि योग मस्तिष्क के उन हिस्सों को मजबूत करता है जो विचार, भावनाओं और ध्यान के लिए जिम्मेदार हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी मानसिक स्वास्थ्य सुधार हेतु योग को प्रभावी पूरक उपाय मानता है।

थकान के स्रोत पर योग का असर

योगिक दृष्टिकोण के अनुसार, हर प्रकार का मानसिक विकार शरीर की नाड़ियों में प्राण के अवरोध से उत्पन्न होता है। हमारी हर थकाने वाली मानसिक अनुभूति अनजाने में शरीर की संरचना में संगृहीत हो जाती है और वहां शारीरिक जकड़न के रूप में बनी रहती है। योगिक मूवमेंट्स इन्हीं क्षेत्रों को लक्ष्य करते हैं, जहां थकान की स्मृति संगृहीत रहती है और उन्हें धीरे-धीरे शिथिल करते हैं। यह प्रक्रिया शरीर को लचीलापन प्रदान करने के साथ-साथ एक विशेष प्रकार की आंतरिक अनुभूति (इंटरसेप्टिव अवेयरनेस) भी विकसित करती है। जब व्यक्ति अपनी शारीरिक संवेदनाओं के प्रति सजग होता है, तब मानसिक थकान खुद कम होने लगती है।

योग से दूर करें मानसिक थकान

मानसिक थकान की स्थिति में कभी-कभी ध्यान (मैडिटेशन) भी भारी लगता है और ध्यान करते हुए नींद आने लगती है। ऐसे में बेहतर होता है कि शुरुआत शारीरिक योगाभ्यास से की जाए। बालासन, अधोमुख श्वानासन, वीरभद्रासन, सुप्त बद्ध कोणासन, शशांकासन, सेतुबंधासन जैसे आसनों से प्रारंभ करें। इसके बाद योगमुद्रा और विपरीतकरणी मुद्रा का अभ्यास करें। अंत में भ्रामरी और नाड़ीशोधन प्राणायाम के साथ शवासन में विश्राम करें। यह क्रम शरीर और मन दोनों को संतुलित करता है और मानसिक थकान को घटाने की प्रक्रिया को तेज करता है।

योग का प्रभावः शांति की ओर

योग का प्रभाव आप अभ्यास के पहले ही दिन से महसूस कर सकते हैं। अभ्यास के अंत में जब आप शवासन में लेटते हैं, तब शुरुआत में उदासी, निराशा जैसे भाव या आंसू भी आ सकते हैं। यह मन का स्वाभाविक शुद्धिकरण है। समय के साथ यही भावनाएं बदलकर प्रसन्नता, उत्साह और हल्केपन में बदल जाएंगी। धीरे-धीरे आपकी नींद सुधरने लगेगी, एकाग्रता लौटेगी और मन हल्का महसूस होगा। जब मानसिक थकान पूरी तरह दूर हो जाएगी, तब मन में शांति, संतोष और सुरक्षा का भाव प्रकट होगा और जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण पुनः सकारात्मक हो जाएगा।

 

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