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कला क्षेत्र में ए रामचन्द्रन होने के मायने

केरल स्थित कोल्लम में नवस्थापित ए रामचन्द्रन संग्रहालय ख्यात चित्रकार व मूर्तिकार ए रामचन्द्रन के स्वप्न का साकार रूप है कि उनकी पेंटिंग्स, मूर्तियों से संग्रहालय में आने वाली पीढ़ियां रूबरू हों। इसके भीतर ए रामचन्द्रन की कला का विशाल...

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केरल स्थित कोल्लम में नवस्थापित ए रामचन्द्रन संग्रहालय ख्यात चित्रकार व मूर्तिकार ए रामचन्द्रन के स्वप्न का साकार रूप है कि उनकी पेंटिंग्स, मूर्तियों से संग्रहालय में आने वाली पीढ़ियां रूबरू हों। इसके भीतर ए रामचन्द्रन की कला का विशाल संग्रह है जिसमें भेंट की गयी उनकी बेशकीमती कृतियां हैं। रामचंद्रन अपने गहरे रंगों, सशक्त आकृतियों और केरल लोक शैलियों को वैश्विक आधुनिकता से जोड़ने के लिए जाने जाते हैं।

कला के प्रति अटूट समर्पण के चलते अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त चित्रकार और मूर्तिकार ए रामचन्द्रन उस तकलीफदेह समय में भी अनवरत कैनवास पर पेंटिंग करते रहे जब वे किडनी की बीमारी से लंबे समय से पीड़ित थे। अपनी इसी जिजीविषा के बल पर ही उन्होंने अपने जीते जी एक स्वप्न देखा था। उनका स्वप्न था कि उनकी पेंटिंग्स, मूर्तियों का एक ऐसा संग्रहालय हो, जिससे आने वाली पीढ़ियां उनके काम से रूबरू हो सकें। बता दें कि बीते साल 2024 में 10 फरवरी को 89 वर्षीय ए रामचन्द्रन इस फानी दुनिया से रुखसत हो गए।

ताकि भावी पीढ़ी हो कला से रूबरू

ए रामचन्द्रन के इस स्वप्न को पूरा करने के लिए कई निजी कम्पनियां सामने आई किन्तु ए रामचन्द्रन का स्वप्न आर्थिक लाभ के गुणा-भाग की परिधि से बाहर था। दरअसल, उनका स्वप्न था कि उनके काम को भावी पीढ़ी भी जाने-समझे, और इसके लिए उनकी पेंटिंग्स, मूर्तियों को संरक्षित करने हेतु सरकार के नियंत्रण में ही एक संग्रहालय की आवश्यकता थी। इसके लिए ए रामचन्द्रन ने अपने गृह राज्य केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को एक पत्र देकर राज्य सरकार को अपनी पेंटिंग्स सौंपने की इच्छा व्यक्त भी की थी किन्तु इसी बीच ए रामचन्द्रन बीमारी की गंभीर जकड़ में आ गये और दस फरवरी 2024 को इस फानी दुनिया को अलविदा कह गये ।

परिजनों का संकल्प

ए रामचन्द्रन के निधन के बाद एक प्रतिष्ठित चित्रकार व गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की दत्तक पुत्री के रूप में पहचान रखने वाली उनकी पत्नी चमेली रामचंद्रन और नासा में वैज्ञानिक उनके पुत्र राहुल रामचन्द्रन ने अपने पिता के स्वप्न को हर हाल में साकार करने का बीड़ा उठाया। आखिरकार केरल के कोल्लम स्थित श्री नारायण गुरु सांस्कृतिक परिसर में संग्रहालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया।

भेंट की बेशकीमती कलाकृतियां

ए रामचन्द्रन की इच्छानुसार उनकी पत्नी और बेटे ने ए रामचन्द्रन की 38 पेंटिंग्स और मूर्तियां जिनकी कीमत कला बाजार में लगभग 300 करोड़ रुपये आंकी गई है,केरल सरकार के सुपुर्द कर दी। कला की दुनिया में यह पहला अवसर था जब किसी कलाकार की तीन सौ करोड़ कीमत की पेंटिंग्स और मूर्तियां सरकार को निशुल्क दी गयी हों। साथ ही उनकी पत्नी चमेली रामचन्द्रन ने भी अपनी दस पेंटिंग्स संग्रहालय के लिए नि:शुल्क भेंट की।

कला का विशाल संग्रह

अब कोल्लम स्थित श्री नारायण गुरु सांस्कृतिक परिसर में संग्रहालय तैयार हो चुका है। इस संग्रहालय का नाम ए रामचन्द्रन संग्रहालय रखा गया है, जिसका उद्घाटन पांच अक्तूबर 2025 को केरल के मुख्यमंत्री द्वारा किया जाना तय है। इस संग्रहालय के भीतर दर्शकों को ए रामचन्द्रन की कला का विशाल संग्रह देखने को मिलेगा। रंगों से भरे कैनवास, मंदिर परंपराओं की गूंज लिए भित्ति चित्र, और प्रयोगात्मक कृतियां जो उनके छह दशक के लंबे कैरियर को दर्शाती हैं। रामचंद्रन अपने गहरे रंगों, सशक्त आकृतियों और केरल की लोक शैलियों को वैश्विक आधुनिकता के साथ अनूठे ढंग से जोड़ने के लिए जाने जाते हैं। भारतीय कला जगत की सबसे विशिष्ट आवाज़ों में से एक ए रामचन्द्रन के कला संसार को देखकर निसन्देह कला प्रेमी ही नहीं अपितु समूचा केरल राज्य भी गौरवान्वित होगा ।

सांस्कृतिक शिक्षा का जीवंत केंद्र

ललित कला अकादमी के अध्यक्ष मुरली चीरोथ कहते हैं कि केरल राज्य ही नहीं, देश भर के गौरव चित्रकार ए रामचन्द्रन के नाम पर बनाया गया यह संग्रहालय केवल संग्रहालय भर नहीं होगा, यह संग्रहालय सांस्कृतिक शिक्षा का केंद्र भी बनेगा, जहां कार्यशालाएं, व्याख्यान और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया जा सके। वहीं 1978 में जामिया मिलिया में ए रामचन्द्रन के छात्र रहे चित्रकार देशराज जो लगभग साढे़ चार दशक से एक शिष्य के रूप में ए रामचन्द्रन के साथ रहे ,संग्रहालय के प्रति ए रामचन्द्रन की दीवानगी को बयां करते हुए बताते हैं कि अपने जीवन के अन्तिम समय में अस्पताल में उनकी चिंता संग्रहालय की ही थी। उन्होंने मुझसे वचन लिया था कि जब तक संग्रहालय नहीं बन जाता, मैं इस काम में उनकी पत्नी और बेटे राहुल को पूरा सहयोग करूंगा, मैं गुरु को दिया वचन निभा सका, यह मेरे जीवन की सार्थकता है।

दस्तावेजीकरण की सार्थक परिणति

ख्यात कला समीक्षक विनोद भारद्वाज लगभग पांच दशक से ए रामचन्द्रन के काम पर लिखते रहे हैं। उन्होंने ए रामचन्द्रन पर अनेक लेख लिखने के अलावा एक किताब ‘ए रामचन्द्रन की कला’ और मोनोग्राफ भी लिखा है। भारद्वाज कहते हैं कि प्रसिद्ध कलाकार ए रामचन्द्रन अपनी कला का दस्तावेजीकरण करने में बहुत सावधानी बरतते थे। अपने निधन से पहले, उन्होंने अपनी कृतियों, कला और जीवन के विवरणों को बड़े सलीके से व्यवस्थित किया था। केल्लाम में निर्मित संग्रहालय उसी दस्तावेजीकरण की महत्वपूर्ण परिणति है ।

आम आदमी को कला से जोड़ने का मुकाम

पटना में बिहार म्यूजियम जैसे दिव्य म्यूजियम की परिकल्पना कर उसे साकार करने वाले बिहार म्यूजियम के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह कहते हैं कि ए रामचन्द्रन संग्रहालय इस मायने में भी एक सार्थक प्रयास है कि म्यूजियम में केवल कलाकार ही नही जायेंगे, आम आदमी, छात्र-छात्राएं भी जायेंगे, जिसके फलस्वरूप कला का आम आदमी से रिश्ता बनेगा।

बहरहाल, ए रामचन्द्रन का स्वप्न आज साकार हो रहा है। यह संग्रहालय केवल एक संस्थान नहीं है बल्कि यह उस महान कलाकार की अंतिम इच्छा की पूर्ति है, जिसने तीन सौ करोड़ कीमत की अपनी पेंटिंग्स और मूर्तियां निशुल्क सरकार को उपलब्ध कराकर जता दिया है कि ए रामचन्द्रन होने के मायने क्या हैं।

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