Weather Alert उत्तर भारत में समय से पहले सर्दी : असमय बर्फबारी और भारी बारिश से मौसम पलटा
Weather Alert उत्तर भारत में सर्दी ने इस बार तय वक्त से पहले कदम रख दिया है। हिमाचल की पहाड़ियों पर असमय बर्फबारी और पंजाब-हरियाणा में रुक-रुक कर हो रही तेज बारिश ने मौसम को अक्तूबर के पहले ही हफ्ते में सर्द बना दिया है। मौसम विभाग ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के कई जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। तापमान में गिरावट के साथ फसलों पर नमी का असर और खेतों में पानी भरने से किसानों की चिंता बढ़ गई है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, मंगलवार को पंजाब के पूर्वी जिलों पठानकोट, होशियारपुर, नवांशहर, रूपनगर, मोहाली, फतेहगढ़ साहिब और पटियाला में हल्की से मध्यम बारिश के साथ तेज हवाएं (30-40 किमी प्रति घंटे) चलने की संभावना है। पश्चिमी जिलों में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है।
हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी और छर्की दादरी में भी बिखरी हुई बारिश की संभावना है। बारिश का यह दौर न केवल धान की कटाई रोक रहा है, बल्कि खेतों में पानी भरने से अगली बुवाई की तैयारी भी प्रभावित हुई है। किसान खुले में रखे धान और भूसे को बचाने में जुटे हैं।
हिमाचल के ऊंचे इलाकों में बर्फबारी, ठंड ने बढ़ाई सिहरन
हिमाचल प्रदेश में मौसम अचानक पलट गया है। किन्नौर, लाहौल-स्पीति, कुल्लू और कांगड़ा में पिछले दो दिनों से बर्फबारी हो रही है, जबकि शिमला, मंडी और बिलासपुर में लगातार बारिश से ठंड ने रफ्तार पकड़ ली है।
आईएमडी के मुताबिक, सात अक्टूबर को राज्य के अधिकांश हिस्सों में गरज-चमक के साथ बारिश जारी रहेगी, जबकि आठ अक्टूबर को कुछ इलाकों में हल्की वर्षा होने की संभावना है।
अक्तूबर की शुरुआत में ही रिकॉर्ड तोड़ बारिश
पश्चिमी विक्षोभ के असर से इस बार अक्तूबर का पहला हफ्ता ही रिकॉर्ड तोड़ बारिश लेकर आया है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, छह अक्तूबर तक पंजाब में 415 प्रतिशत बारिश हो चुकी है।
- पंजाब में 415%,
- हिमाचल प्रदेश में 248%, और
- हरियाणा में 129% अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
पिछले कई वर्षों में यह सबसे बड़ा पोस्ट-मानसून वर्षा अंतर माना जा रहा है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बारिश आने वाले हफ्तों में तापमान को सामान्य से तीन से चार डिग्री तक कम कर सकती है।
बांधों में बढ़ने लगी चिंता : जलस्तर पर नजर
लगातार हो रही बारिश से क्षेत्र के प्रमुख जलाशयों भाखड़ा और पोंग डैम में जलस्तर बढ़ने की संभावना है। फिलहाल दोनों डैमों में पानी का स्तर सुरक्षा सीमा से नीचे रखा गया है ताकि अतिरिक्त वर्षा के दौरान किसी भी आकस्मिक प्रवाह को संभाला जा सके। अगस्त-सितंबर में पोंग में जलस्तर ऊपरी सीमा से पांच फीट ऊपर चला गया था, जो अब फिर बढ़ने लगा है।
आईएमडी के अनुसार, छह अक्तूबर तक कुल्लू में 5353%, मंडी में 1963%, और कांगड़ा में 1367% अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
शिमला में यह आंकड़ा 554%, बिलासपुर में 1417%, जबकि किन्नौर में 73% कमी रही है।
नदियों में उफान, जलभराव से बढ़ी मुश्किलें
सतलुज और रावी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र किन्नौर, मंडी, बिलासपुर, कांगड़ा, चंबा, पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर — में भारी वर्षा के कारण जलस्तर बढ़ गया है।
रावी नदी के थीन डैम और सतलुज के भाखड़ा जलाशय में पानी की आवक तेज हो गई है। प्रशासन ने संभावित बाढ़ की आशंका के मद्देनज़र नियंत्रण उपाय शुरू कर दिए हैं।
किसानों की दुहाई : ‘धान भीग गया, खेत दलदल बने’
मोहाली, रूपनगर और फतेहगढ़ साहिब के किसानों का कहना है कि बारिश ने धान की कटाई रोक दी है और खुले में रखा अनाज खराब होने लगा है। खेतों में पानी भर जाने से रबी फसलों की तैयारी भी ठप हो गई है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह नमी रबी की बुवाई के लिए लाभकारी हो सकती है, लेकिन खरीफ सीजन की अंतिम फसलें इस बारिश से सबसे अधिक प्रभावित होंगी।