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खलनायिकी का अनूठा किरदार

अभिनेता कन्हैया लाल
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अभिनेता कन्हैया लाल का भारतीय सिनेमा में विशेष योगदान है जिनका ‘मदर इंडिया’ में सूदखोर सुखी लाला का किरदार खास तौर पर लोकप्रिय हुआ। उनके जीवन व अभिनय यात्रा से दर्शकों को रूबरू कराने का प्रयास है डॉक्यूमेंट्री‘ कन्हैया लाल’। इसमें दिग्गज कलाकारों ने अपनी यादें साझा की।

हिंदी फिल्मों की दुनिया में कन्हैया लाल एक ऐसा नाम रहा है जिनके बिना हिंदी फिल्मों को अधूरा माना जाता था। चरित्र अभिनेता कन्हैया ने अपनी हर फिल्म में अपने खास अंदाज से अभिनय की छाप छोड़ी। हालांकि कन्हैया को इस दुनिया से गए हुए भी काफी वर्ष हो गए हैं। लेकिन उनकी बेटी हेमा सिंह ने उनके जीवन चरित पर एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म का निर्माण किया है। इसमें बॉलीवुड के दिग्गजों से कन्हैयालाल के योगदान को लेकर चर्चा की गई। निर्देशक पवन कुमार व मुकेश सिंह की यह डॉक्यूमेंट्री कन्हैया के जीवन का अक्स है। इस डॉक्यूमेंट्री ‘नाम था कन्हैया लाल’ में ‘पहन के धोती कुर्ते का जामा’ गीत उस अप्रतिम कलाकार को श्रद्धांजलि है। कई बड़े सितारों ने डॉक्यूमेंट्री में उनके बारे अपनी यादें बयां की जैसे अमिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह, जावेद अख्तर, अनुपम खेर आदि।

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दरअसल, कन्हैया लाल का जन्म 10 दिसंबर, 1910 को वाराणसी में हुआ। उनके पिता रामलीला मंडली के संचालक थे। कन्हैयालाल की अभिनय में रुचि थी। तो मुंबई चले आए और जूनियर आर्टिस्ट के रूप में काम किया। सन 1939 में फिल्म ‘एक ही रास्ता’ में उन्हें ब्रेक मिला। उनके गंवई अंदाज ने उन्हें पहचान दिलाई। साल 1940 में महबूब खान की ‘औरत’ में कन्हैया लाल ने यादगार भूमिका निभाई। वर्ष1957 में ‘मदर इंडिया’ के रूप में इसी फिल्म का रीमेक आया तो उनकी भूमिका यानी सुखी लाला का उनका किरदार अमर हो गया। कन्हैयालाल का निधन सन 1982 में हुआ। उन्होंने करीब 105 फ़िल्में की। कन्हैया ने अपने कैरियर की शुरुआत ‘साधना’ फिल्म में गीत लिखकर की थी। अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का मानना है कि यह डॉक्यूमेंट्री उन्हीं कन्हैयालाल को फिर से जिंदा करने का प्रयास है जिन्होंने ‘मदर इंडिया’ में सूदखोर, सुखी लाला का किरदार निभाया था। कन्हैयालाल को उनकी जिन फ़िल्मों के लिए सराहा गया, उनमें ‘भूख’ , ‘गंगा जमुना’ , ‘गोपी , ‘उपकार’ , ‘अपना देश’ , ‘जनता हवलदार’ , ‘दुश्मन’ , ‘बंधन’ , ‘भरोसा’ , ‘धरती कहे पुकार के’ शामिल हैं। चौदह अगस्त, 1982 को 72 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। लेकिन अपनी अभिनय कला के रूप में कन्हैया लाल हमेशा जिंदा रहेंगे।

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