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हर उम्र में हैल्दी रहने को जरूरी है सावधानी का खानपान

आहार से प्राप्त पोषण रोजमर्रा की गतिविधियों को करने में हमें ऊर्जा प्रदान करता है। वहीं पोषक तत्व शारीरिक-मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं और बीमारियों से बचाने में भी सहायक हैं। खुराक उम्र, शारीरिक बनावट, दिनचर्या और एक्टिविटीज के...
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आहार से प्राप्त पोषण रोजमर्रा की गतिविधियों को करने में हमें ऊर्जा प्रदान करता है। वहीं पोषक तत्व शारीरिक-मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं और बीमारियों से बचाने में भी सहायक हैं। खुराक उम्र, शारीरिक बनावट, दिनचर्या और एक्टिविटीज के हिसाब से बदलती रहती है। इसी संबंध में लखनऊ स्थित एक नामी अस्पताल में न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. चेतना बंसल से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

हमारी मूलभूत जरूरतों में एक आहार, खासकर संतुलित आहार, हमारी स्वस्थ जिंदगी का आधार है। आहार की भूमिका सिर्फ स्वाद तक ही सीमित नहीं है। हम जो भी खाते हैं, उसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। संतुलित भोजन स्वास्थ्य से जुड़ी ढेरों समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और व्यक्ति निरोगी जीवन जी सकता है। आहार से प्राप्त पोषण न केवल रोजमर्रा की गतिविधियों को करने में हमें ऊर्जा प्रदान करता है। बल्कि शारीरिक-मानसिक विकास के लिए भी जरूरी है और बीमारियों से बचाने में सहायक है। लेकिन कई स्थितियों में आहार से शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता जिससे कई समस्याएं, रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। डाइट उम्र, शारीरिक बनावट, दिनचर्या और एक्टिविटीज के हिसाब से बदलती रहती है। इसलिए सभी को सही आहार चुनना और उसकी न्यूट्रिशियन वेल्यू को जानना जरूरी है यानी स्वस्थ पोषण के लिए क्या खाया जाए।

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डाइट के मानक

विशेषज्ञों के हिसाब से हेल्दी डाइट के फंडे को समझने के लिए कई मानक हैं जिनके आधार पर आहार संयोजन स्वास्थ्यप्रद है- प्लेट को 4 हिस्से में बांटना चाहिए। एक-चौथाई हिस्से में कार्बोहाइड्रेट से भरपूर अनाज, दूसरे में मौसमी सब्जियां हों तीसरे में प्रोटीन फूड हो और चौथे हिस्से में सलाद, मौसमी फल और दूध से बनी चीजें होनी चाहिए। ब्रेकफास्ट,लंच और डिनर में यह मानक लागू किया जाना चाहिए। न्यूट्रीशन पिरामिड से तय किया गया है कि अच्छी डाइट में सबसे ज्यादा भाग फल-सब्जियां और साबुत अनाज होते हैं। इसके बाद दालें, बीन्स सोया आते हैं। इसके बाद नट, बीज, बीन्स व मांसाहारी भोजन को रखा गया है। फिर कम वसा वाला दूध और दूध से बने पदार्थ आते हैं। आखिर में रिफाइंड ऑयल, फास्ट फूड और रिफाइंड अनाज कम से कम मात्रा में लें।

ऐसा हो संतुलित आहार

आहार विशेषज्ञों की मानें तो हमें ब्रेकफास्ट राजा की तरह, लंच मध्यवर्गीय व्यक्ति की तरह और डिनर गरीब की तरह खाना चाहिए। मॉडरेशन में संतुलित आहार लें। हरेक मील में सभी फूड ग्रुप का सेवन करना जरूरी है। यानी खाने की प्लेट में एनर्जी गिविंग (कार्बोहाइड्रेट), बॉडी बिल्डिंग (प्रोटीन, कैल्शियम) और प्रोटेक्टिव (विटामिन और मिनरल) फूड, फाइबर और पानी सही मात्रा में शामिल करने चाहिए। आहार में माइक्रो (विटामिन, मिनरल, ओमेगा 3 फैटी एसिड) और मैक्रो (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट) न्यूट्रेंट्स समुचित मात्रा में शामिल करना जरूरी हैं। इनकी कमी से कुपोषण, एनीमिया के अलावा कई बीमारियां होने की आशंका रहती है।

सही पोषण हर उम्र में

बचपन से लेकर हर उम्र के अनुसार पोषण की आवश्यकता अलग होती है। अलग-अलग मानक तय किए गए हैं जिनके अनुसार भोजन में पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए। बचपन से अच्छी डाइट फॉलो करना हमें व्यस्क होने और वृद्धावस्था में भी कई बीमारियों से दूर रखता है। अमूमन एक व्यस्क व्यक्ति को रोजाना 2000-2200 कैलोरी की आवश्यकता होती है। शारीरिक विकास के लिए 10 साल से छोटे बच्चों और बुजुर्गों को बॉडी सेल्स की रिपेयरिंग और मांसपेशियों की मजबूती के लिए प्रोटीन रिच डाइट की जरूरत होती है। शरीर में खून की कमी दूर करने के लिए महिलाएं और बच्चे आयरन-कैल्शियम रिच डाइट लें।

बच्चे की खुराक

वैज्ञानिकों के अनुसार, मां का दूध विशेषकर डिलीवरी के तुरंत बाद वाला ‘कोलस्ट्रम’ नवजात शिशु के लिए अमृत के समान होता है। इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, मिनरल्स, वसा जैसे पोषक तत्व जहां शिशु के विकास में सहायक होते हैं वहीं इम्यूनोग्लोब्यूलिन ए, लिंफोसाइट, लैक्टोफेरिन, बाइफीडिस जैसे एंटीऑक्सीडेंट तत्व उसके लिए लाइफ लाइन का काम करते हैं। ये तत्व शिशु के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। छह महीने के बाद शिशु को मां के दूध के अलावा सप्लीमेंटरी फूड भी देने शुरू कर देने चाहिए। टॉप फार्मूला मिल्क या अर्द्ध-ठोस आहार दिया जाता है- मैश किया केला, सेब, कस्टर्ड, जूस, दाल का पानी, कम मसालों वाली पिसी दाल, खिचड़ी, दूध-दही, सब्जियों का जूस आदि दिया जा सकता है। बारह महीने में दांत निकलने लगते हैं तो उन्हें रोटी का टुकड़ा, बिस्कुट या फल का टुकड़ा दे सकते हैं। वहीं 2-10 साल की उम्र के बच्चों का मानसिक विकास, सोचने-समझने की क्षमता, स्मरणशक्ति, शारीरिक गतिविधियों का विकास शुरू हो जाता है। उनकी डाइट में विटामिन और मिनरल्स से भरपूर दूध और दूध से बने पदार्थ, फल-सब्जियां, हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें शामिल करनी चाहिए। पूरे दिन में 30-35 ग्राम प्रोटीन, 20-25 ग्राम फाइबर, 15-20 ग्राम फैट देना चाहिए। मिनरल्स और विटामिन लेने बहुत जरूरी हैं। फल, सब्जी-सलाद ,एक-दो कटोरी अनाज, दाल हर मील में जरूरी है। दूध जरूर दें। वहीं 30-35 प्रतिशत कैलोरी ऑयल या घी, मक्खन, नट्स फैट से देनी चहिए।

किशोरों के लिए डाइट

किशोरों में होने वाले शारीरिक और हार्मोनल बदलावों के लिए प्रोटीन, फैट, आयरन और कैल्शियम रिच डाइट देनी जरूरी है। फैट एनर्जी प्रदान करने और ब्रेन डेवलेपमेंट में , प्रोटीन मसल्स को मजबूती प्रदान कर शारीरिक विकास में मदद करता है। इसके लिए गाजर, ब्रोकली, हरी पत्तेदार सब्जियां और केला, सेब व अनार जैसे फल दिए जा सकते हैं। करीब 500 मिली दूध या डेयरी प्रोडक्ट दिए जा सकते हैं।

वयस्क व्यक्ति का भोजन

20 साल के बाद शारीरिक विकास पूरा हो जाता है, उसे मेंटेन करने के लिए न्यूट्रीएंट्स जरूरी हैं। पुरुषों की डाइट में खास फर्क नहीं आता। लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए प्रोटीन, कैल्शियम, फैट, विटामिन और मिनरल्स बढ़ाए जाते हैं। रोजाना 2-3 लीटर पानी पीना चाहिए। व्यस्क व्यक्ति की हेल्दी डाइट में प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट्स पोषक तत्व जरूर शामिल करना चाहिए। जिसमें एक कटोरी दाल, एक कटोरी सब्जी, दो रोटी, एक कटोरी दही, सलाद और फल हो सकते हैं। हड्डियों और मसल्स के स्वास्थ्य के लिए डाइट में कैल्शियम-प्रोटीन रिच खाद्य पदार्थ जरूर शामिल करें- दूध और दूध से बने पदार्थ, हरी पत्तेदार सब्जियां, राजमाह, सोयाबीन, बादाम, सफेद तिल, दालें, अंडे का सफेद भाग। रिफाइंड चीजें- मैदा, नमक और चीनी अवायड करें। ऑयली फूड या तला-भुना खाने से परहेज करें। आहार में अनसेचुरेटिड या गुड क्वालिटी हैल्दी फैट को ही शामिल करना चाहिए। दिन में 2-3 चम्मच देसी घी, ऑलिव ऑयल, सरसों का तेल, राइस ग्राइंड ऑयल ले सकते हैं। चौकरयुक्त आटा, सब्जियां, फल, सलाद,ड्राई फ्रूट्स, साबुत अनाज को आहार में शामिल करें।

बुजुर्गों का खानपान

इनका मेटाबॉलिज्म रेट कम होने, ऑर्गन्स धीरे काम करने व एक्टिविटी कम होने से डायजस्टिव सिस्टम और इम्यून सिस्टम गड़बड़ा जाता है। उनकी खुराक कम हो जाती है। उन्हें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दो-ढाई घंटे के अंतराल पर न्यूट्रीशियस डाइट देनी चाहिए। सेल्स रिपेयरिंग और मांसपेशियों की मजबूती के लिए बुजुर्गों को दालें, पनीर,अंडा आदि प्रोटीन रिच डाइट लेनी आवश्यक है। उचित मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स हरी सब्जियों और फलों से प्राप्त होते हैं। कैल्शियम पाने के लिए बुजुर्गों को दिन में दो गिलास दूध पीना जरूरी है।

 

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