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बीपी नियंत्रण में मददगार समय पर जांच और संतुलित जीवनशैली

रक्तचाप समस्या

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बड़ी संख्या में लोग ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान हैं। यह जानलेवा रोग युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। दरअसल, इस विकार के प्रति लापरवाही इसे साइलेंट किलर में बदल देती है। रक्तचाप को काबू में रखने के लिए जहां समय-समय पर डॉक्टरी जांच करवाना जरूरी है वहीं जीवनशैली में परिवर्तन भी मददगार हैं।

कभी मध्यम आयु तक सीमित रहने वाला ब्लडप्रेशर आज हर उम्र के लोगों के लिए खतरे की घंटी बन चुका है और अपने ‘साइलेंट किलर’ होने का खौफ पूरी दुनिया से मनवा चुका है। कामकाजी दबाव, असंतुलित जीवनशैली, नींद की कमी, तनाव और जंक फूड की बढ़ती खपत ने बीपी को एक वैश्विक महामारी बना दिया है।

जीवनशैली के बदलाव से बढ़ा जोखिम

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दरअसल बीपी यानी रक्तचाप इसलिए बेहतर खतरनाक हो चुका है, क्योंकि इस डिजिटल युग ने काम को आसान किया है, पर मानसिक दबावों को कई गुना ज्यादा बढ़ा दिया है। लगातार स्क्रीन टाइम, प्रतिस्पर्धा, आर्थिक असुरक्षा और अस्थिर नौकरी का माहौल युवाओं में हाई बीपी का बड़ा कारण बन गया है। फास्ट फूड, पैक्ड स्नैक्स, नमक, सोडियम की अधिकता, चीनी और ट्रांसफैट्स का सेवन, ये सब चीजें रक्तचाप बढ़ने का प्रमुख कारण हैं। भारतीय भोजन में अत्यधिक नमक और तेल पहले से ही बहुत बड़ा जोखिम है। इस पर भी शहरी जीवनशैली में करीब 60 प्रतिशत तक घटी शारीरिक गतिविधियां मसलन पैदल चलना, योग या व्यायाम में आयी कमी, एक तरह से वीकेंड की गतिविधि बनकर रह गई हैं। इससे शरीर की मेटाबॉलिक गति घटती है, नतीजतन रक्तचाप बढ़ता है। सबसे बड़ी बात यह है कि आज हर भारतीय की नींद में औसतन डेढ़ से दो घंटे की कमी आ चुकी है, जिसका सबसे बड़ा कारण मोबाइल देखने की लत है। इन सब वजहों के चलते आज ब्लडप्रेशर अब तक के किसी भी समय के मुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक हो गया है।

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बड़ी तादाद में मौतों की वजह

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 1.04 करोड़ लोगों की मौत रक्तचाप या उससे संबंधित परेशानियों के चलते होती है। इनमें से करीब 50 फीसदी मौतें स्ट्रोक और हार्ट अटैक के कारण होती हैं। जहां तक अपने देश में सीधे-सीधे हाई ब्लड प्रेशर से मौतों का सवाल है तो 22 लाख लोग हर साल इसके कारण हमेशा-हमेशा के लिए मौत के मुंह में समा जाते हैं। भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 30 फीसदी पुरुष और 25 फीसदी महिलाएं बीपी का शिकार हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और जांच की सुविधा न होने के कारण बीपी भयानक और अंजान खतरा बना हुआ है।

लापरवाही से नुकसान

सवाल है आखिर ब्लड प्रेशर के चलते मौतों में इतना अधिक इजाफा क्यों हो रहा है? इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ब्लड प्रेशर के शुरुआती लक्षण पता नहीं चलते। इसलिए लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जब एक बार बीपी अनियंत्रित हो जाता है, तो हृदय, गुर्दे, मस्तिष्क और आंखों को नुकसान पहुंचाने में जरा भी देर नहीं लगाता। कोरोना काल के बाद लोगों में बढ़ा मानसिक तनाव और दवाओं पर अत्यधिक बढ़ती निर्भरता ने भी, भारत में बीपी की समस्या को आसमानी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। कुछ लोग ब्लड प्रेशर की दवा बीच में ही खाना छोड़ देते हैं, इसलिए उनमें किसी दिन अचानक बीपी बढ़ता है और हार्ट अटैक के कारण उनकी मौत हो जाती है।

‘साइलेंट सोशल क्राइसेस’ से रहें सजग

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि साल 2030 तक दुनिया में हर तीसरा व्यक्ति उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित होगा। भारत में अगर मौजूदा जीवनशैली नहीं बदली तो 2035 तक ब्लड प्रेशर से होने वाली मौतों में 40 फीसदी का और इजाफा हो जायेगा। खतरनाक बात यह है कि छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में भी अब बीपी एक महामारी की तरह फैल रहा है। इसलिए हर भारतीय को चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से इससे पीड़ित हो या न पीड़ित हो, उसे बीपी को लेकर सजग रहना होगा। तभी कुछ हद तक नियंत्रण संभव है। बीपी अब केवल एक उम्र विशेष के बाद का रोग नहीं रहा बल्कि यह सीधे-सीधे जीवनशैली के असंतुलन का परिणाम हो चुका है। इसलिए इसे भारत की इस ‘साइलेंट सोशल क्राइसेस’ से सजग रहना होगा। अगर आप नहीं चाहते कि इस खतरे के दायरे में आएं, तो नियमित व्यायाम करिए, मानसिक संतुलन बनाकर रखिए और स्वस्थ आहार को अपनी नियमित जीवनशैली हिस्सा बनाइये।

नियंत्रित रखने के उपाय

बीपी को नियंत्रित रखने के लिए जरूरी है कि प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट पैदल चलें या योग करें। इसके अलावा नमक, चीनी और तले हुए भोजन को सीमित करें। नींद पूरी लें और मोबाइल से दूरी बनाकर रखें। हफ्ते में एक दिन डिजिटल डिटॉक्स को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। बीपी की नियमित जांच कराएं और समय समय पर घरेलू डॉक्टर से इसकी सलाह लें। गुस्सा और चिंता को गहरी सांसों या मेडिटेशन से नियंत्रित रखें। -इ.रि.सें.

बीपी के स्तर का सेहत से संबंध

बीपी स्तर रीडिंग स्थिति

120/80 सामान्य स्वस्थ

120-139/80-89 प्री-हाईपर टेंशन सावधानी जरूरी

140-159/90-99 हाई बीपी (स्टेज-1) इलाज जरूरी

160/100 से ऊपर स्टेज-2 हाई बीपी गंभीर खतरा

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