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श्रवणशक्ति से भी जुड़ी है बुजुर्गों की सुरक्षा

बुजुर्गों को सुनने संबंधी कोई परेशानी न हो इसके लिए उनके कानों के स्वास्थ्य की संभाल-देखभाल के प्रति जागरूक रहना चाहिये। सुनने की क्षमता कम होना उन्हें दुर्घटना का शिकार बना सकता है। गिरने पर फ्रैक्चर या सिर में चोट...
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बुजुर्गों को सुनने संबंधी कोई परेशानी न हो इसके लिए उनके कानों के स्वास्थ्य की संभाल-देखभाल के प्रति जागरूक रहना चाहिये। सुनने की क्षमता कम होना उन्हें दुर्घटना का शिकार बना सकता है। गिरने पर फ्रैक्चर या सिर में चोट लग सकती हैं। एक रिसर्च में सामने आया कि बुजुर्गों द्वारा हियरिंग एड्स के इस्तेमाल से उनके गिरने की घटनाओं में कमी आती है।

बुजुर्गों की सेफ्टी को लेकर सामने आयी एक जरूरी रिसर्च चेताने वाली है। जो उम्रदराज लोगों में सहज सी समझी जाने वाली स्वास्थ्य समस्या को लेकर सजग करती है। द लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक बुजुर्गों द्वारा हियरिंग एड्स का इस्तेमाल करने और उनकी काउंसलिंग करने से उनकी गिरने की घटनाओं में कमी आती है। हम सब जानते हैं कि घर के बुजुर्ग लोगों के साथ गिरने और चोट लगने के वाकये खूब होते हैं। आमतौर पर इसका कारण उम्र के चलते शरीर में आई थकावट को माना जाता है। ऊर्जा की कमी से शरीर का संतुलन बिगड़ने को ऐसे हादसों की वजह के तौर पर देखा जाता है। ऐसे में यह रिसर्च बड़ों की सेफ़्टी को लेकर एक और समस्या पर भी ध्यान देने की बात लिए है।

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सुनने में परेशानी भी समस्या

सुनने में दिक्कत का सामना कर रहे 70 से 84 वर्ष की आयु के 977 बुजुर्गों पर अमेरिका में हुए इस क्लिनिकल ट्रायल में सामने आया कि केवल शरीर का बैलेंस या सोचने-समझने की क्षमता ही नहीं, सुनने की शक्ति में कमी आना भी बुजुर्गों के गिरने का एक बड़ा कारण हो सकता है। इस अध्ययन में शामिल आधे प्रतिभागियों को हियरिंग एड्स देने और उनके फैमिली मेंबर्स की काउंसलिंग करने से बड़ा बदलाव आया। हियरिंग एड्स काउंसलिंग लेने वालों में गिरने की घटनाओं में 27 प्रतिशत की कमी देखी गई। जिसका मतलब है कि बुजुर्गों की सुरक्षा उनकी श्रवण शक्ति से भी जुड़ी है। ऊंचा सुनने की परेशानी चोट पहुंचाने वाली ऐसी दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ा देती है। जबकि इस समस्या की तरफ ध्यान कम ही जाता है। जिस तरह दूसरी हेल्थ प्रॉबलम्स को लेकर जांच कारवाई जाती है, सजगता बरती जाती है। इस परेशानी को लेकर वैसी जागरूकता नहीं है। ऐसे में बुजुर्गों की सुनने की शक्ति कम होने की स्वास्थ्य समस्या पर ध्यान देना भी जरूरी है।

ना हो देरी

आमतौर पर जब बुजुर्ग बातचीत ही नहीं समझ पाते तब सुनने की शक्ति घटने की समस्या को गंभीरता से लिया जाता है। संवाद का सिलसिला रुक जाने पर परिजन समझते हैं कि अब बुजुर्ग सुन नहीं पा रहे। ना सुनने के कारण जवाब भी नहीं दे पा रहे। ऐसे में यह रिसर्च चेताती है कि सुनने की शक्ति को सिर्फ संवाद से ही नहीं, सुरक्षा से भी देखा जाए। हालांकि सुनने की क्षमता में गिरावट आना सामाजिक-पारिवारिक रूप से बुजुर्गों के अलग-थलग पड़ जाने का भी बड़ा कारण है। अपनों से कुछ-सुन ना पाने की स्थितियां अवसाद और अकेलेपन की भी वजह बनती हैं। ऐसे में समय रहते सचेत होना जरूरी है। इस आयुवर्ग में हड्डियों या जोड़ों की समस्याएं तो होती ही हैं, शारीरिक संतुलन भी बिगड़ने लगता है। ऐसे में हियरिंग कैपेसिटी कम होना तो हादसों को न्योता देने वाला बन जाता है। तो हियरिंग एड्स और काउंसलिंग के माध्यम से घर के बड़ों को बहुत सी दुर्घटनाओं से बचाया जा सकता है। सक्रियता के मामले में उनका लाइफस्टाइल बेहतर हो सकता है। अपनों-परायों से अच्छे से संवाद कर पाना इमोशनल हेल्थ अच्छी रखने में मददगार है।

हर मोर्चे पर आए चेतना

गिरना उम्रदराज लोगों में सबसे आम दुर्घटना है। ऐसे में यह रिसर्च उम्रदराज लोगों से जुड़ी एक बड़ी समस्या को लेकर घर-परिवार के सदस्यों, पॉलिसी मेकर्स और डॉक्टर्स सभी को सजग करने वाली है। बुजुर्गों की हियरिंग हेल्थ की संभाल-देखभाल के प्रति जागरूक रहने की बात लिए है। आजकल बहुत से बुजुर्ग अकेले रहते हैं। ऐसे में सुनने की क्षमता कम होना बाहर ही नहीं घर के भीतर भी दुर्घटना का शिकार बनाता है। गिरने पर कई बार फ्रैक्चर या सिर में चोट लगने से बुजुर्गों के साथ गंभीर हादसे भी हो जाते हैं। पिछले साल द एविडेंस जर्नल में छपे अध्ययन के मुताबिक हमारे यहां 60 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के 11.43 प्रतिशत बुजुर्गों के साथ गिरने के हादसे हुए। इस उम्र में खोखली और कमज़ोर हड्डियों की समस्या ऑस्टियोपोरोसिस भी आम है। यही कारण है कि बुजुर्गों में गिरने की घटनाएं होने पर हड्डियां टूटने का खतरा अभिक होता है। आंकड़े बताते हैं कि गिरने से बुजुर्गों को लगभग 20 मामलों में कूल्हे की हड्डी का फ्रैक्चर या सिर में गंभीर चोट का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इन हादसों के कारणों में शामिल श्रवण शक्ति की कमी को लेकर भी सचेत रहना जरूरी है।

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