वायु की शक्ति का प्रचंड रूप
अब यूपीएससी द्वारा आयोजित आईएएस आदि एग्जाम में ही नहीं बल्कि सभी तरह की परीक्षाओं में जनरल स्टडीज के व्यापक दायरे से सवाल पूछे जाते हैं। जिसमें ज्योग्राफी के टॉपिक भी शामिल हैं। तो जानिये ‘चक्रवाती तूफान’ के बारे में-
चक्रवाती तूफान या साइक्लोन पृथ्वी के वायुमंडलीय तंत्र की अत्यंत शक्तिशाली प्राकृतिक घटना है। चक्रवाती तूफान मुख्यतः उष्णकटिबंधीय समुद्रों में पैदा होते हैं, जब सतह का तापमान 27 डिग्री सेंटीग्रेड या उससे अधिक हो जाता है। वास्तव में तापमान का यह स्तर जल के वाष्पीकरण को बढ़ाता है, जिससे वायु में नमी और ऊर्जा दोनों बढ़ जाते हैं। ऐसे में यह गर्म और नम वायु ऊपर उठती है, तो निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है और आसपास की ठंडी हवा तेजी से उस जगह को भरने आती है और घूमती हुई ऊपर उठती है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण हवा का यह घूमना चक्राकार हो जाता है, जिसे चक्रवात या साइक्लोन कहते हैं। चक्रवाती तूफान विशाल वायु पुंज होते हैं, जिनकी गति 150 किलोमीटर प्रतिघंटे से लेकर 300 किलोमीटर हो सकती है। यह सैकड़ों किलोमीटर का होता है।
Advertisementनामकरण समुद्रों के आधार पर
विश्व मौसम संगठन और क्षेत्रीय मौसम केंद्रों द्वारा चक्रवातों का नामकरण अलग-अलग समुद्रों के आधार पर किया जाता है। मसलन अटलांटिक महासागर में उठने वाले चक्रवातों को ‘हरीकेन’, प्रशांत महासागर में उठने वाले तूफान को ‘टाइफून’, हिंद महासागर में बनने वाले तूफान को साइक्लोन या चक्रवात कहते हैं। चक्रवातों या समुद्री तूफानों का वर्गीकरण उनकी गति के अनुसार होता है। मसलन डिप्रेशन, डीप डिप्रेशन, साइक्लोनिक स्टॉर्म , सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म, वेरी सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म, एक्स्ट्रीमली सीवियर और सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म।
भारत में हर साल औसतन 5-6 साइक्लोन
विश्व मौसम संगठन के मुताबिक दुनिया हर साल 80-90 चक्रवाती तूफानों से दो-चार होती है। इनमें से लगभग दो तिहाई उष्णकटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न होते हैं। भारत चक्रवातों के लिए बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। समुद्री तूफान से प्रभावित राज्यों में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात शामिल हैं। हर साल भारत औसतन 5-6 चक्रवाती तूफानों से टकराता है, जिसमें 2-3 तूफान ही तट तक पहुंचते हैं। साल 2019 में उड़ीसा में आया फानी, 2020 में महाराष्ट्र में निसर्ग, 2021 में गुजरात से टकाराया ताउते, 2021 में बंगाल व उड़ीसा में आया यास और साल 2023 में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में मोचा नाम का समुद्री तूफान कुख्यात रहा है।
भविष्यवाणी अब आसान
ग्लोबल वार्मिंग के चलते चक्रवाती तूफानों की तीव्रता और आकृति बदले हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले 40 सालों में गंभीर श्रेणी के समुद्री तूफानों में 15 से 20 फीसदी की वृद्धि हुई है। चक्रवातों को रोकने या उनकी दिशा को मोड़ने की तकनीक नहीं है। हालांकि अब समुद्री तूफानों की भविष्यवाणी करना किसी हद तक आसान है। इससे तैयारी करने का समय मिल जाता है और इंसान तथा जान माल के नुकसान में भारी कमी आ गई है। भारतीय मौसम विभाग, इसरो और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सहयोग से अब सरकार समुद्री तूफानों का अनुमान 72 से 96 घंटे पहले लगा लेती है। उच्च रिजोल्यूशन सैटेलाइट की बदौलत निगरानी संभव है। डोपलर वेदर रडार की बदौलत गति और दिशा का सटीक अनुमान भी लगाया जा सकता है।
-इ.रि.सें.
