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चयन में इंटरव्यू का अहम चरण

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा

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यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता की दर मामूली ही है। प्री-लिम्स एग्जाम के बाद मेंस व इंटरव्यू के अलग-अलग चरणों में छंटनी के बाद करीब 0.2 फीसदी का ही अंतत: चयन हो पाता है। हालांकि पहले दोनों स्तर जरूरी हैं लेकिन साक्षात्कार लिखित परीक्षा के मुकाबले कहीं ज्यादा कठिन व अहम होता है।

साल 2025 में यूपीएससी की रिक्तियां 979 हैं और अभी मुख्य परीक्षा यानी मेन लिखित परीक्षा में पास होने वालों की संख्या 14,161 है, जबकि इंटरव्यू के लिए सिर्फ 2736 परीक्षार्थियों को शॉर्ट लिस्ट किया गया है। इसी तरह साल 2024 में 1056, साल 2023 में 1105 और साल 2022 में 1011 रिक्तियों के लिए मुख्य परीक्षा पास करने वाले परीक्षार्थियों में से इंटरव्यू के लिए क्रमवार सालों हेतु 2845, 2916 और 2529 को शॉर्ट लिस्ट किया गया था। जबकि अंतत: चयन 2024 से 2022 तक के लिए क्रमशः 1009, 1016 और 933 उम्मीदवारों का ही किया गया।

यूपीएससी मेन पास कर लेने वाले उम्मीदवारों में से अंतिम रूप से इन सालों में क्रमशः 6.9 प्रतिशत, 6.9 प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत का ही चयन हो सका। इस तरह यूपीएससी में सफलता के लिए लिखित परीक्षा के मुकाबले भी इंटरव्यू कहीं ज्यादा कठिन होता है। क्योंकि जहां मेंस पास कर इंटरव्यू के लिए बुलाये जाने वालों का अनुपात करीब 18 से 22 प्रतिशत के बीच ही रहता है, वहीं चयन सिर्फ 6 से 7 प्रतिशत उम्मीदवारों का होता है।

आधे से ज्यादा मेंस पास की छंटनी

इस तरह 80 से 84 फीसदी तक उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा में चयन से बाहर हो जाते हैं, फिर मेंस पास करने वालों में से भी 12 से 13 फीसदी तक बाहर हो जाते हैं। परीक्षा में देने वालों में से सिर्फ 6-7 फीसदी का चयन होता है। अंतिम कसौटी इंटरव्यू है, जहां मेंस पास करने वालों में से भी दोगुने से ज्यादा उम्मीदवारों को छांट दिया जाता है। ऐसे में केवल मेंस पास कर लेनेभर से यह नहीं समझ लेना चाहिए कि आपका चयन इंटरव्यू में हो ही जायेगा। लेकिन मेंस जरूरी है, उसे पास किये बिना, इंटरव्यू का मौका नहीं आयेगा।

दोनों चरणों की एप्रोच अलग

लेकिन मेंस पास करना जहां बहुत ज्यादा और दिनरात पढ़ाई करने का नतीजा होता है, वहीं इंटरव्यू में पास होना परिश्रम के अलावा व्यक्तित्व प्रभावशाली होना व अकादमिक के बजाय व्यावहारिकता पर फोकस करना फायदेमंद होता है। साल 2024 में 13 लाख 40 हजार छात्रों ने प्री-लिम्स का एग्जाम दिया था, जिसमें से 14,627 ने मेंस क्वालीफाई किया। इनमें से महज 2845 का ही चयन साक्षात्कार के लिए हुआ था। इस तरह 0.2 प्रतिशत उम्मीदवार ही सफल हुए। इसलिए महज पढ़ाई में अच्छे होने से आपका चयन हो जाए, यह जरूरी नहीं। कहीं न कहीं चांस या भाग्य भी एक कसौटी है।

कुछ समीकरण योग्यता के अलावा भी

इसलिए हर यूपीएससी का बड़ा सपना देखने वाले छात्र को कुछ छोटे सपने भी देखने चाहिए। क्योंकि अगर कुल मेंस पास करने वालों में से महज 20 से 25 फीसदी ही इंटरव्यू के लिए मुफीद पाये गये और उनमें से भी अंतिम रूप में सिर्फ 6 से 7 फीसदी चयनित हुए, तो इस चयन में सब कुछ प्रतिभा यानी योग्यता पर निर्भर नहीं है। कई समीकरण, योग्यता और मेहनत से बाहर के भी हैं। जैसे इंटरव्यू पैनल को आपका व्यक्तित्व प्रभावशाली लगना, आपके संवाद का तौर-तरीका, हावभाव और कन्विंस करने की क्षमता।

बड़ी छंटनी से एक सीख भी

जब रिक्तियां सिर्फ 1000 ही होंगी और उनके लिए किस्मत आजमाने वालों की संख्या 14-15 लाख होगी, तो 99.98-99 फीसदी उम्मीदवारों का असफल होना लाजिमी है। इसलिए यूपीएससी के ही भरोसे रहना या अपने कैरियर को अंतिम रूप से इसके मोहजाल से बांध लेना सही नहीं है और न ही यह बात सही है कि कम चयन प्रतिशत के कारण यूपीएससी का एग्जाम दिया ही न जाए। यूपीएससी के एग्जाम में जटिल छंटनी से हम कुछ सकारात्मक सीख सकते हैं। मसलन तैयारी इस लेवल तक की कर लें कि यूपीएससी में हमारा चयन करीब-करीब हो सकने के नजदीक पहुंचता है, तो देश की बाकी 40 से ज्यादा सरकारी, अर्धसरकारी और पीएसयू में नौकरी पाना काफी हद तक आसान हो जायेगा।

यूपीएससी की गंभीरता से तैयारी करके एग्जाम देने के अनेक फायदे हैं। अगर यूपीएससी में चयन हो जाए, तब तो कहना ही क्या और अगर यूपीएससी में नहीं होता, तो बाकी सरकारी, अर्धसरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों की नौकरियों में चयन की संभावना 70 से 75 फीसदी तक बढ़ जाती है। यूपीएससी का ख्वाब साकार करने को किताबों से बाहर की दुनिया के लिए भी सजग रहें वहीं लगातार अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने की भी कोशिशों में लगे रहें। यूपीएससी रेस जीतने की इंटरव्यू सबसे कठिन बाधा है, तो शुरू से ही इसके तौर-तरीके सीखते रहना चाहिए। -इ.रि.सें.

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