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विदेश जाने की पहली सीढ़ियां

विदेशी संस्थानों में मान्य प्रवेश टेस्ट

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विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो वहां जाने के पहले कुछ टेस्ट क्लीयर करने जरूरी हैं। मसलन, अमेरिका की किसी इंस्टिट्यूट में बतौर अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट एडमिशन लेने के लिए सेट एग्जाम देना पड़ेगा। इसी तरह कई जगह एक्ट नामक टेस्ट मान्य है। वहीं अंग्रेजी पर आपकी अच्छी पकड़ होना जरूरी है जिसके लिए टोफल व आइल्ट्स जैसे टेस्ट जरूरी हैं।

 

विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करने का सपना कई विद्यार्थियों का होता है। लेकिन विदेशी संस्थान अपने यहां दाखिला देने से पहले कुछ खास योग्यताएं देखते हैं,जिनका निर्धारण कुछ टेस्टों के माध्यम से किया जाता है। इसलिए अगर आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो विदेश जाने से पहले कुछ टेस्ट क्लीयर करने जरूरी हैं।

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एसएटी (सेट)

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अगर आप अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट हैं और अमेरिका की किसी इंस्टिट्यूट में एडमिशन लेने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको सेट एग्जाम देना पड़ेगा। इसमें एविडेंस बेस्ड रीडिंग, राइटिंग और मैथ्स का एग्जाम होता है। सिंगापुर और कनाडा के कुछ कॉलेज भी सेट एग्जाम प्रिफर करते हैं। आप फीस जमा कर सेट एग्जाम चाहे जितनी बार दे सकते हैं। इसे स्कोर्स च्वॉइस प्रोसेस से भेजा जा सकता है। यूएस की कुछ पॉपुलर इंस्टिट्यूटस एडमिशन के लिए सेट सब्जेक्ट टेस्ट क्लियर करने को कहती हैं। ये सब्जेक्ट टेस्ट फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथ्स ,वर्ल्ड हिस्ट्री , यूएस हिस्ट्री, फ्रेंच, स्पेनिश और लिटरेचर हो सकते हैं। विस्तृत जानकारी और रजिस्ट्रेशन के लिए डब्लूडब्लूडब्लू कॉलेजबोर्ड डॉट कॉम पर सर्च कर सकते हैं। इसका उद्देश्य छात्रों की कॉलेज-स्तरीय शैक्षणिक सफलता की तैयारी और क्षमता का आकलन करना जो कॉलेज बोर्ड नामक संगठन द्वारा आयोजित और प्रबंधित किया जाता है। यह आमतौर पर बहुवैकल्पिक प्रश्नों के साथ एक पेन-और-पेपर या डिजिटल परीक्षा है, जिसमें गणित, पढ़ने और लिखने के खंड होते हैं। परीक्षा का स्कोर 400 से 1600 के बीच होता है, जहां प्रत्येक खंड के लिए 200 से 800 अंक होते हैं। नकारात्मक अंकन नहीं होता है।

एसीटी (एक्ट)

यह एक स्टैंडर्ड टेस्ट है जो यूनाइटेड स्टेट्स यानी अमेरिका के कॉलेजों में भर्ती के लिए क्लियर करना पड़ता है। इसे एक्ट नामक एनजीओ संचालित करता है। इसके तहत इंग्लिश, मैथ, रीडिंग और साइंस रीजनिंग टेस्ट लिए जाते हैं। इसमें वैकल्पिक तौर पर डायरेक्ट राइटिंग टेस्ट का चयन भी किया जा सकता है। क्लास 11 ओर 12 के स्टूडेंट इस एग्जाम को क्लियर करके दाखिले का चांस बढ़ा सकते हैं। एक्ट परीक्षा देने के लिए कोई तय आयु सीमा नहीं है। यह मुख्य रूप से हाई स्कूल के छात्रों के लिए है जो स्नातक कार्यक्रमों में आवेदन करना चाहते हैं। आवेदन के लिए आधिकारिक ACT वेबसाइट पर पंजीकरण करना और फीस देना आवश्यक है। परीक्षा के दिन एक वैध पहचान पत्र प्रस्तुत करना होगा, जैसे कि पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस।

इंग्लिश के ये टेस्ट भी जरूरी

विदेश में पढ़ाई करने जाना हो तो स्थानीय भाषा और हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी पर आपकी अच्छी पकड़ होना जरूरी है। विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए तीन तरह के टेस्ट उपलब्ध हैं- टेस्ट ऑफ इंग्लिश एज ए फॉरेन लैंग्वेज (TOEFL), इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम (IELTS) और पियर्सन टेस्ट ऑफ इंग्लिश एकेडमिक (PTE)।

जान लें खास बातें

इतने विकल्पों की उपलब्धता के कारण स्टूडेंट अक्सर कन्फ्यूज हो जाते हैं। सभी यूनिवर्सिटीज इन तीनों टेस्टों को मान्यता नहीं देतीं। TOEFL आमतौर पर नार्थ अमेरिका (यूएस और कनाडा) और IELTS आमतौर पर यूके, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में स्वीकार किया जाता है। वहीं अब PTE को भी दुनिया भऱ में मान्यता मिलने लगी है। बेहतर तो यह होगा कि आप जिस यूनिवर्सिटी विशेष के लिए यह टेस्ट दे रहे हैं, तो टेस्ट चुनने से पहले वहां से पूछताछ कर ली जाए।

कुछ अलग है हर टेस्ट

वैसे तो हर एग्जाम ओर्गेनाइजर अपने टेस्ट को इंग्लिश का ‘यूनिवर्सल’ टेस्ट बताता है लेकिन सब में कुछ अंतर है। जैसे IELTS में ब्रिटिश स्टाइल की इंग्लिश पर जोर दिया जाता है जबकि TOEFL में यूएस की। PTE दोनों शैलियों का मिश्रण है। पियर्सन इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट विकास सिंह के मुताबिक टेस्ट लेने के लिए कोई भी स्टूडेंट 24 घंटे पहले बुकिंग कर सकता है जो देश भर में 200 सेंटर्स पर उपलब्ध है।

स्पीकिंग सेक्शन

कई विद्यार्थी फिजिक्स, केमिस्ट्री या बायोलॉजी जैसे कोर सब्जेक्ट में तो बेहतर होते हैं लेकिन जब बात अंग्रेजी भाषा की ती है, तो दिक्कत आती है। विशेषतया बोलने के मामले में। ऐसे विद्यार्थी को अगर च्वाइस मिले तो IELTS ही चुननी चाहिए। तुलनात्मक रूप से इस टेस्ट को ज्यादा स्टूडेंट पसंद करते हैं।

पसंद का बेहतर क्रम

फॉरेन एजुकेशन कंसलटैन्ट्स का मानना है कि तीनों टेस्टों में सबसे ज्यादा पॉपुलर IELTS ही है। इसे यूएस, यूके, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के ज्यादातर इंस्टीट्यूट स्वीकार करते हैं। लेकिन किसी यूएस के लिए तैयारी करनी हो तो TOEFL को प्राथमिकता देनी चाहिए। वहीं अगर कोई आस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड के किसी इंस्टीट्यूट में प्रवेश पाने की तैयारी कर रहा हो तो उसकी पसंद का क्रम IELTS, PTE और अंत में TOEFL होना चाहिए।

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