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दुनिया के सबसे प्यारे जीव की सबसे बड़ी लड़ाई

अंतर्राष्ट्रीय रेड पांडा दिवस 20 सितंबर
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पिछले 20 सालों में रेड पांडा की आबादी में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आयी है। अनुमानों के मुताबिक पूरी दुनिया में ढाई हजार से दस हजार के बीच ही रेड पांडा बचे हैं, जो कि हिमालयन रेंज की जीव प्रजाति है। रेड पांडा के अस्तित्व की इस गंभीरता को देखते हुए ‘रेड पांडा नेटवर्क’ संस्था द्वारा साल 2010 से अंतर्राष्ट्रीय रेड पांडा दिवस का आयोजन करती है।

दुनिया की सबसे खूबसूरत जीव प्रजातियों में से एक रेड पांडा या मूल पांडा जिन्हें लेसर पांडा, फायरफॉक्स और रेंडी बिल्ली-भालू भी कहते हैं। अवैध वन्यजीव तस्करी के कारण लुप्त होने की कगार पर हैं। पिछले 20 सालों में रेड पांडा की आबादी में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आयी है। अनुमानों के मुताबिक पूरी दुनिया में ढाई हजार से दस हजार के बीच ही रेड पांडा बचे हैं, जो कि हिमालयन रेंज की जीव प्रजाति है। रेड पांडा के अस्तित्व की इस गंभीरता को देखते हुए ‘रेड पांडा नेटवर्क’ संस्था द्वारा साल 2010 से अंतर्राष्ट्रीय रेड पांडा दिवस का आयोजन करती है। यह आयोजन हर साल सितंबर माह के तीसरे शनिवार को होता है।

इस दिन अंतर्राष्ट्रीय रेड पांडा दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि दुनिया की इस सबसे खूबसूरत जीव प्रजातियों की वनों की कटाई, अवैध शिकारियों के अंधाधुंध शिकार करने, इनके आवास के खात्मे और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियांे के चलते ये लुप्त होने के कगार पर पहुंच गये हैं। इस दिवस के माध्यम से दुनियाभर के लोगों को इनको बचाने का संदेश देने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 2010 में हुई और यह शुरुआत रेड पांडा नेटवर्क नामक एक गैर-लाभकारी संस्था द्वारा की गई। इस संस्था द्वारा पहली बार इंटरनेशनल रेड पांडा दिवस 18 सितंबर, 2010 को मनाया गया।

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रेड पांडा दिवस मनाने के लिए दुनियाभर के ऐसे चिड़ियाघरों में जहां रेड पांडा होते हैं, विशेष कार्यक्रम किये जाते हैं। इस दिन चिड़ियाघर घूमने आने वाले लोगों से रेड पांडा की देखरेख करने वाले केयरटेकर इनके लुप्तप्राय होने की आशंका की बात करते हैं। लोगों को इनके महत्व को समझाते हैं कि किस तरह इनके बचाने से हमारी विविध पारिस्थितिकी तंत्र का बचाव संभव है। सोशल मीडिया में इस दिन कई तरह के अभियान देखने को मिलते हैं, जिनमें हैश टैग सेव पांडा, हैश टैग इंटरनेशनल रेड पांडा डे तथा हैश टैग आईआरपीडी 2025 जैसे स्लोगन देखने को मिलेंगे। जो लोग इस मासूम जीव प्रजाति को बचाने के लिए संरक्षण अभियान में शामिल होते हैं, वो इनको बचाने और इनके आवासों की व्यवस्था करने वाली संस्थाओं आदि को दान देते हैं तथा रेड पांडा रेंजर जैसी गतिविधियों को सक्रिय किया जाता है।

रेड पांडा का दुनिया में अस्तित्व इसलिए जरूरी है, क्यांेकि यह जीव प्रजाति अपनी अद्वितीय पारिवारिक वर्ग में एकमात्र बची जीव प्रजाति है, जो जैव विविधता में इसकी अनोखी भूमिका और महत्व को दर्शाती है। ये पूर्वी हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र यानी बैंबू फॉरेस्ट (बांस के जंगलों) के स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी है। इनके गायब होने से सम्पूर्ण बैंबू पारिस्थितिकी का संतुलन बिगड़ सकता है। भारत में दुनिया के कई दूसरे देशों की तरह रेड पांडा को जैव विविधता संरक्षण अधिनियम के तहत उच्चतम कानूनी सुरक्षा मिली हुई है। इस दिवस को मनाते हुए जो संदेश सबसे ज्यादा मजबूती से प्रसारित करने की कोशिश की जाती है, वह यह कि इस मासूम जीव प्रजाति को कैसे अवैध शिकार और व्यापार से बचाया जाए? रेड पांडा पारिस्थितिकी संतुलन में अद्वितीय वर्ग में आता है।

हम सोशल मीडिया पर इनके बचाव को लेकर इस दिन किसी हैश टैग का उपयोग तो कर ही सकते हैं। किसी चिड़ियाघर या संरक्षण संगठन के इस दिन से संबंधित कार्यक्रम में भाग लें या रेड पांडा नेटवर्क जैसे संस्थानों को दान देकर या इस दिन ऐसे संस्थानों द्वारा चलाये जाने वाले स्वयं सेवा कार्यक्रमों में भाग लें। बच्चों को विशेष करके इस बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए और रेड पांडा रेंजर कार्यक्रम जैसी गतिविधियों में उन्हें शामिल किया जाना चाहिए। भारत में मुख्यतः पूर्वोत्तर के हिमालयी क्षेत्रों में खासकर सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग क्षेत्र विशेष में पाये जाते हैं। देश में करीब 10 ऐसे नेशनल पार्क और सेंचुरी हैं, जहां रेड पांडा को संरक्षित किया गया है।

इनमें पद्मजा नायडू हिमालयन जियोलॉजिक पार्क दार्जिलिंग भारत का सबसे उन्नत और ऊंचाई पर मौजूद रेड पांडा संरक्षण पार्क हैं। यहां न केवल रेड पांडा का गौरवूपर्ण संरक्षण और प्रजनन कार्यक्रम संचालित है बल्कि उन पर कई महत्वपूर्ण शोध और अध्ययन भी यहां होते रहते हैं। यह पार्क केंद्रीय जू अथॉरिटी का प्रमुख केंद्र है।

दार्जिलिंग के ‘फ्रोजन जू’ की पहल पर रेड पांडा सहित अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों का डीएनए संरक्षित किया जा रहा है। यह तकनीकी समर्थन भारत में रेड पांडा की लंबी अवधि तक रक्षा सुनिश्चित करती है। इ.रि.सें.

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