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कामयाबी के लिए 80 बनाम 20 फार्मूला

कई बार प्रतिभाशाली और स्मार्ट युवा भी कैरियर में इच्छित सफलता से दूर रह जाते हैं। दरअसल वे जरूरी फोकस व मेहनत के अभाव में सही अवसर खो देते हैं। कैरियर विशेषज्ञों के मुताबिक अगर 80 फीसदी बनाम 20 फीसदी...
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कई बार प्रतिभाशाली और स्मार्ट युवा भी कैरियर में इच्छित सफलता से दूर रह जाते हैं। दरअसल वे जरूरी फोकस व मेहनत के अभाव में सही अवसर खो देते हैं। कैरियर विशेषज्ञों के मुताबिक अगर 80 फीसदी बनाम 20 फीसदी के फार्मूले पर चला जाए तो सफलता निश्चित है। यह फार्मूला आप अपने कैरियर में सुनने, सीखने और मेहनत करने जैसी गतिविधियों में लागू कर सकते हैं।

हर युवा का सपना होता है कि वह अपने कैरियर में अकल्पनीय ऊंचाइयां छुए, लेकिन ज्यादातर युवा ये सपना हकीकत नहीं बना पाते। वे मेहनत और सही दिशा में काम करने के मामले में अकसर पीछे रह जाते हैं। कई बार तो प्रतिभाशाली और स्मार्ट युवा भी सही अवसर खो देते हैं। आखिर इस समस्या से बचने का तरीका क्या है? कैरियर विशेषज्ञों के मुताबिक अगर 80 फीसदी बनाम 20 फीसदी के फार्मूले पर चला जाए तो सफलता निश्चित है। यह फार्मूला आपको अपने कैरियर में सुनने, सीखने और मेहनत करने जैसी गतिविधियों में लागू करना चाहिए। केवल 20 फीसदी बोलने और सपने देखने में लगाना चाहिए।

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80 फीसदी सुनना, 20 फीसदी बोलना

आजकल भारतीय युवा सोशल मीडिया और नेटवर्किंग साइट्स में ज्यादातर समय बोलने और खुद को प्रोजेक्ट करने में लगाते हैं। कई बार तो वे इंटरव्यू के दौरान भी इतना बोलते हैं कि चयनकर्ता समझ जाते हैं कि इनमें धैर्य की कमी है और अंततः उनका चयन नहीं होता। इसलिए सुनना 80 फीसदी होना चाहिए और बोलना सिर्फ 20 फीसदी। जब कैंपस प्लेसमेंट के लिए कंपनियां कॉलेज परिसर में इंटरव्यू के लिए पहुंचती हैं, तो देखा जाता है कि वहां गैर अनुभवी युवा इतना ज्यादा बोलते हैं कि इंटरव्यूर पैनल उनके नाम पर बिना ध्यान दिये ही आगे बढ़ जाता है। वहीं ऑफिस कल्चर में भी बार-बार यह बात सामने आती है। कई युवा अपने सहयोगियों की पूरी बात सुने बिना पहले से ही जवाब देने लगते हैं। कैरियर सलाहकार इसे खराब आदत मानते हैं और सफलता के लिए बाधक गतिविधि में गिनते हैं। ऑफिस कल्चर में वही व्यक्ति सफल होता है, जो 80 फीसदी सुनकर, सिर्फ 20 फीसदी बोलता है। इसका व्यावहारिक उदाहरण है राजनीति। पॉलिटिक्स में वही नेता टिकते हैं, जो जनता की सुनते ज्यादा हैं और खुद बोलते कम। यानी ज्यादा सुनना, कम बोलना सफलता का पहला ठोस नियम है।

80 फीसदी मेहनत और 20 फीसदी सपने

लाखों युवा सरकारी नौकरी, आईआईटी, आईआईएम, सिविल सर्विसेज या बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने का सपना तो बहुत देखते हैं, लेकिन उसकी तुलना में मेहनत बहुत कम करते हैं। जबकि नियम कहते हैं सपने देखने के कम से कम 4 गुना ज्यादा मेहनत करनी होगी, तब सफलता की गारंटी होती है। प्रतियोगी परीक्षाओं में हर साल लाखों छात्र हिस्सा लेते हैं। यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग और रेलवे- ये सभी परीक्षाएं ऐसी हैं जिनमें वही छात्र सफल होते हैं जो सपने देखने की तुलना में चार गुना ज्यादा मेहनत करते हैं। जो छात्र 80 फीसदी समय तैयारी, अभ्यास और किताबों में बिताते हैं, उनके लिए इन परीक्षाओं में सफलता पाना बहुत आसान होता है। भारत में स्टार्टअप सक्सेस का रेट दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले बहुत कम है, तो इसकी एकमात्र वजह यही है कि हमारे युवा जिस हिसाब से सपने देखते हैं, उस हिसाब से मेहनत नहीं करते। यह बात सिर्फ नौकरी के मामले में ही नहीं, व्यवसाय और खेतीबाड़ी के मामले में भी लागू होती है।

जीवन में चुनौतियां और 80-20 फार्मूला

सिर्फ नौकरी पाने या कारोबारी सफलता के मामले में ही 80 बनाम 20 का फार्मूला लागू नहीं होता बल्कि जीवन में भी अप्लाई होता है। जो युवा ज्यादातर समय सोशल मीडिया में बड़ी-बड़ी बातें करने और दिखावे में लगे रहते हैं, वे सोशल मीडिया से कुछ सीखते नहीं बल्कि यहां खुद को बर्बाद करते हैं। क्योंकि विशेषज्ञ बताते हैं सोशल मीडिया का भी अपनी सफलता में इस्तेमाल किया जा सकता है, जब हम इससे 80 फीसदी समय सीखें और 20 फीसदी समय सिर्फ इधर उधर की बातों में बिताएं। अगर आप ये फार्मूला अपनाते हैं तो सोशल मीडिया आपके लिए सफलता का जरिया बन जायेगा। सही तरीका है कि सपने के देखने से चार गुना ज्यादा मेहनत करें। स्किल डेवलपमेंट में हर दिन 80 फीसदी समय लगाएं और 20 फीसदी वक्त ही सपने देखने में जाया करें।

फार्मूले का मनोवैज्ञानिक असर

जब हम इस फार्मूले के हिसाब से अपने कैरियर की राह तय करते हैं तो फोकस रहते हैं। लेकिन शॉर्टकट के जरिये सफलता हासिल कर लेंगे, यह संभव नहीं होता। वास्तव में सफलता के लिए मेहनत और धैर्य की संस्कृति जरूरी होती है। अगर बड़ी परीक्षा में सफल होना है तो आठ घंटे पढ़िये, दो घंटे बाकी चीजों में वक्त लगाइये। इसी तरह अगर ऑफिस में सम्मान पाना है तो 80 फीसदी अपने काम और काम की जरूरी चीजें सीखने में लगाइये। 20 फीसदी समय दूसरी बातों में खर्च करिये। यही बात निजी कारोबार के मामले में भी लागू होती है। इस तरह 80 बनाम 20 फीसदी का फार्मूला कामयाबी की गारंटी बन

जाता है। -इ.रि.सें.

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