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बच्चे को दें मेहमाननवाजी की सीख

त्योहारों की तैयारी
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बच्चों के लिए त्योहार अपने परिवार से बाहर निकलकर सामाजिकता सीखने का भी अवसर है। आस-पड़ोस, रिश्तेदारों से घुलने-मिलने व रीति-रिवाजों से परिचित होने का व सामाजिक शिष्टाचार सीखने का । खासकर अभिभावक इस मौके पर उन्हें अतिथि-सत्कार समझाएं व प्रोत्साहित करें।

त्योहारों और उत्सवों पर मेहमानों का घर आना खुशियों को कई गुणा बढ़ा देता है। ऐसे में घर की साफ-सफाई और सजावट से लेकर खाने-पीने तक हर चीज़ की तैयारी बेहद जरूरी हो जाती है। मेहमानों के स्वागत के इस क्रम में एक अहम चीज का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, बच्चों का। चूंकि बच्चों का मन कोमल होता है। इसलिए मेहमानों के आने के पहले उन्हें इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार करना चाहिए। यह उनके सामाजिक जीवन के लिए भी आवश्यक होता है। समाज के जरूरी कायदे उन्हें अभी से जानकर रखने चाहिए।

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त्योहारों पर घर आए मेहमानों के लिए बच्चों को तैयार करने के लिए उन्हें अतिथि-सत्कार के नियम सिखाएं, जैसे नमस्कार करना, मेहमानों के बैठने के बाद ही बैठना, और बिना टोके उनकी बात सुनना। इसके अलावा, बच्चों को त्योहारों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल करें, जैसे रंगोली बनाना या घर सजाने में मदद करना, और उन्हें मेहमानों के साथ घुलने-मिलने के लिए प्रोत्साहित करें।

चुनौती को बदलें अवसर में

त्योहार सिर्फ़ पूजा-पाठ या रीति-रिवाज निभाने तक सीमित नहीं होते, बल्कि रिश्तों को मज़बूत करने, अपनापन जताने और एक-दूसरे के साथ समय बिताने का भी अवसर होते हैं। आजकल की नन्ही पीढ़ी स्मार्टफोन, पढ़ाई में इतनी व्यस्त रहती है कि अचानक घर आए मेहमानों से घुलना-मिलना उनके लिए कभी-कभी सहज नहीं होता। इसलिए त्योहारों पर आने वाले मेहमानों के स्वागत-सत्कार के लिए बच्चों तैयार किया जाए। जब बच्चा देखता है कि घर में सफ़ाई, सजावट और रसोई की तैयारियों में सभी मिलकर हाथ बंटा रहे हैं, तो वह सामूहिकता सीखता है। इसी तरह वह समझता है कि रिश्ते साथ निभाने की जिम्मेदारी भी हैं।

बनाएं तैयारी में भागीदार

बच्चों की छोटी-छोटी मदद उन्हें जिम्मेदारी का अहसास कराती है। अभिभावक उन्हें रंगोली बनाने, मोमबत्तियां या दीये सजाने का काम दें। उनका कमरा व्यवस्थित करना या खिलौनों को सही जगह रखना उनके हिस्से की जिम्मेदारी बन सकती है। बड़े बच्चे रसोई में सलाद काटने, मिठाई सजाने या थाली लगाने जैसे काम भी सीख सकते हैं।

सिखाएं बातचीत का कौशल

आजकल बच्चे ज्यादातर किताबों, टीवी या मोबाइल में डूबे रहते हैं, इसलिए आमने-सामने की बातचीत में सहज नहीं हो पाते। त्योहारों पर यह कमी साफ़ झलकती है। उन्हें सिखाएं कि कैसे मेहमानों से पूछ सकते हैं कि ‘आपका सफ़र कैसा रहा?’, ‘आपको चाय दूं?’ या ‘आपको कौन-सा डिश पसंद है?’ त्योहारों से संबंधित कहानी सुनाने या कविता पढ़ने जैसी छोटी-छोटी चीज़ें बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा देती हैं।

अनुशासन और सीमाएं

ऐसा भी हो सकता है कि मेहमानों के आने पर बच्चे कभी-कभी शरारत या जिद करने लगें। इससे माहौल बिगड़ सकता है। इसलिए त्योहार से पहले ही बच्चों को समझाएं कि शोर-शराबा करने या टीवी-मोबाइल पर लगे रहने की बजाय मेहमानों से जुड़ना ज़रूरी है। मिठाइयां या पकवान बांटते समय भी बच्चों को संयम और मर्यादा सिखाएं। खेलते समय यह ध्यान रहे कि मेहमानों को असुविधा न हो।

परंपराओं और रीति-रिवाज़ों से जोड़ें

त्योहारों की असली खूबसूरती उनसे जुड़ी परंपराओं में ही है। बच्चों को बताना ज़रूरी है कि क्यों दीवाली पर दीप जलाए जाते हैं, होली पर रंग खेलते हैं? इन कहानियों को सुनाना बच्चों के लिए रोचक होगा।

मेहमाननवाज़ी के छोटे-छोटे तरीके

बच्चों को भी मेहमानों के स्वागत के छोटे काम करने दें। कहें कि पानी का गिलास, मिठाई की प्लेट या तोहफ़ा देने में सहयोग करें। यदि गाना गाने, नृत्य करने या कविता सुनाने में उनकी रुचि है, तो मेहमानों के सामने प्रोत्साहित करें। जब मेहमान वापस लौट रहे हों तो उन्हें अलविदा कहने का शिष्टाचार भी सिखाएं।

आधुनिक परिवेश और बच्चों की मानसिकता

बच्चे ज्यादातर अपने माता-पिता या भाई-बहनों तक ही सीमित रहते हैं। दादी-नानी या ताऊ-चाचा जैसे रिश्तों से उनका संवाद कम हो गया है। ऐसे में जब रिश्तेदार अचानक मिलते हैं, तो बच्चे असहज महसूस कर सकते हैं। तो हो सके तो बच्चों को बीच – बीच में भी रिश्तेदारों से परिचित कराएं। जब वे घर आएं तो ‘ये तुम्हारे मामा हैं, ये मौसी हैं, ये दादी की बहन हैं ’ इस तरह से उनके बारे में बताएं।

पढ़ाएं सामुदायिकता का भी पाठ

बच्चे जब मोहल्ले या कॉलोनी के सामूहिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, तो वे सहयोग, साझेदारी और सामाजिक उत्तरदायित्व सीखते हैं। झांकियों, पूजा समितियों या सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बच्चों की भागीदारी उन्हें आत्मविश्वास देती है।

जगाएं दान और साझा करने की भावना

त्योहारों पर बच्चों को यह भी सिखाना चाहिए कि वे अपने खिलौनों या किताबों को मेहमान बच्चों के साथ साझा करें। गरीब या वंचित बच्चों को मिठाई बांटना या कपड़े देना भी एक महत्वपूर्ण सीख है। त्योहारों का असली आनंद तभी है जब घर हंसी-खुशी और अपनेपन से गूंजे।

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