परीक्षा में सफलता स्मार्ट तैयारी से
अच्छे नंबरों और रैंक से परीक्षाएं पास करने के लिए कठोर परिश्रम अपनी जगह लेकिन आंख और कान खुले रखने वाले परीक्षार्थी स्मार्टनेस का इस्तेमाल करके कम पढ़ते हुए भी ज्यादा बेहतर ढंग से परीक्षा पास कर सकते हैं। नये...
अच्छे नंबरों और रैंक से परीक्षाएं पास करने के लिए कठोर परिश्रम अपनी जगह लेकिन आंख और कान खुले रखने वाले परीक्षार्थी स्मार्टनेस का इस्तेमाल करके कम पढ़ते हुए भी ज्यादा बेहतर ढंग से परीक्षा पास कर सकते हैं। नये शिक्षातंत्र के तहत फोकस रटने पर नहीं, कंसेप्ट की क्लीयरिटी पर रखें। वहीं स्मार्ट तैयारी के लिए टाइम मैनेजमेंट, स्टडी तकनीकें, डिजिटल लर्निंग व मूल्यांकन कारगर हैं।
स्कूल की परीक्षाओं से लेकर बोर्ड परीक्षाओं और उच्च अध्ययन परीक्षाओं तक में एक विशेष प्रकार के परिश्रम की ही नहीं, सजगता और कुशलता की भी जरूरत होती है, जिसे आजकल ‘स्मार्टनेस’ कहा जाता है। सिर्फ दिन-रात पढ़ाई करने वाले आखिर में अच्छे नंबरों और रैंक से परीक्षाएं नहीं पास करते बल्कि अपनी आंख और कान खुले रखने वाले परीक्षार्थी स्मार्टनेस का इस्तेमाल करके कम पढ़ते हुए भी ज्यादा बेहतर ढंग से इन परीक्षाओं को पास करते हैं या कर सकते हैं। इसलिए एग्जाम में ही स्मार्टनेस दिखाना जरूरी नहीं रह गया बल्कि थोड़ी-बहुत स्मार्टनेस हमें एग्जाम की तैयारी में भी दिखाना चाहिए।
रटने से आगे बढ़ें
स्मार्ट एग्जाम तैयारी का सबसे सटीक फार्मूला है कि रटने के मंत्र से अपनी तैयारी को आगे ले जाएं। एक जमाना था जब सीनियर हमें समझाते थे कि घंटों-घंटों किताबों को पढ़कर घोट लो, तो एग्जाम अच्छे हो जाते हैं। लेकिन नये शिक्षातंत्र को यह मंजूर नहीं है। इसलिए अब फोकस रटने पर नहीं, कंसेप्ट की क्लीयरिटी पर रखें। अगर आपको किसी विषय या धारणा का कंसेप्ट क्लीयर होगा तो आप बहुत आसानी से इस विषय पर पूछे जाने वाले सवाल का जवाब लिख सकते हैं और वह भी अपनी भाषा में। इससे बेहतर एग्जाम पास करने की उम्मीदें 70 से 80 फीसदी तक बढ़ जाती हैं। जो भी चैप्टर पढ़कर क्लीयर करें, उस चैप्टर में अपनी कल्पना से तरह तरह के सवाल पूछने की कल्पना करें और फिर उन्हें अपने शब्दों में जवाब दें।
टाइम मैनेजमेंट
आज के 50 साल पहले भी परीक्षाओं में समय बहुत महत्वपूर्ण था और आज भी टाइम मैनेजमेंट उतना ही महत्वपूर्ण है। अगर हम परीक्षा देते समय, समय की प्रतिबद्धता को लेकर सजग हैं, तो गैर सजग छात्रों के मुकाबले हमारे एग्जाम के 40 फीसदी तक बेहतर होने की उम्मीद की जा सकती है। पढ़ाई को टाइम टेबल नहीं बल्कि टाइम टारगेट से जोड़ना चाहिए। हमें अपनी एग्जाम तैयारी के दिनों को तीन हिस्सों में बांट देना चाहिए। पहले हिस्से में पढ़ाई करें, दूसरे हिस्से में रिवीजन करें और तीसरे में इंटरटेन या रेफ्रेशमेंट हो। इससे टाइम मैनेजमेंट पर हमारी अच्छी पकड़ हो जाती है।
न्यूरो स्टडी मैथड
यह कोई तकनीक नहीं दिमाग की स्मार्ट ट्रेनिंग है। जिसे हम न्यूरो मैथड या न्यूरो स्टडी ट्रिक भी कह सकते हैं। एक बात यह देखिए हमारा दिमाग लगातार नई जानकारी को तभी याद रख सकता है, जब हम उन जानकारियों को एक खास क्रम और कनेक्शन के रूप में स्टोर करें। इसलिए जानकारियों को जोड़कर या उनको किसी के साथ कनेक्ट करके पढ़ना सबसे प्रभावी तरीका है। इसलिए अगर कुछ स्मार्ट स्टैप यानी कदम उठाये जा सकते हैं, तो उसके तहत सबसे पहले माइंड मैप बनाइए यानी हर विषय का एक विजुअल जीस्ट या सारांश तैयार करें। साथ ही रिवीजन करने में फ्लैश कार्ड तकनीक का इस्तेमाल करें, इससे स्मृति तेज रहती है। बिना नोट्स देखे भी खुद से सवाल पूछें और जवाब देने की कोशिश करें, बाद में चेक करें।
फायदा उठाएं डिजिटल लर्निंग का
यू-ट्यूब चैनल, बायजू, अनअकेडमी, खान अकेडमी और एआई आधारित आज डिजिटल दुनिया में हजारों एप्स हैं, जो छात्रों को उनकी व्यक्तिगत अध्ययन शैली के मुताबिक सिखा रहे हैं। जरूरी है कि आप भी इसका फायदा उठाएं। किसी ऑनलाइन टेस्ट सीरीज एग्जाम को ज्वाइन कर लें। एआई नोट्स टूल से सहायता लेना आसान है, लेकिन इसे कम से कम लें।
मूल्यांकन का आईना
हर छात्र या परीक्षार्थी को परीक्षा की तैयारी करते समय सतत आत्म मूल्यांकन करना बहुत जरूरी होता है। खुद को तैयारी का आईना दिखाना ही चाहिए। क्योंकि स्मार्ट तैयारी तभी पूरी होती है, जब हमारे पास कोई ऐसे टूल्स हों, जो हमारी तैयारी को रियल टाइम एनालिसिस कर सकें। इससे यह पता चलता है कि हम कौन से विषय में मजबूत हैं और किस विषय में हमें अभी सुधार की जरूरत है। हर सप्ताहांत सामूहिक रूप से मॉक टेस्ट प्रतियोगिताओं में शामिल हों। -इ.रि.सें.

