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सेमीकंडक्टर चिप निर्माण में खुलेंगे रोजगार के असंख्य द्वार

दुनियाभर में सेमीकंडक्टर उद्योग में रोजगार की असीम सम्भावनाएं हैं। फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन, 5जी नेटवर्क और एआई आदि सभी इलेक्ट्रॉनिक्स व डिजिटल तकनीकों में चिप चाहिये। भारत में फैब यूनिट्स शुरू होते ही लाखों नौकरियां आएंगी और स्किल्ड पेशेवरों...

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दुनियाभर में सेमीकंडक्टर उद्योग में रोजगार की असीम सम्भावनाएं हैं। फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन, 5जी नेटवर्क और एआई आदि सभी इलेक्ट्रॉनिक्स व डिजिटल तकनीकों में चिप चाहिये। भारत में फैब यूनिट्स शुरू होते ही लाखों नौकरियां आएंगी और स्किल्ड पेशेवरों की मांग होगी। बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजी., केमिकल इंजी., क्लीन रूम तकनीशियन, वेफर प्रोसेस इंजी., पैकेजिंग विशेषज्ञ, ऑटोमेशन और रोबोटिक्स इंजी. व टेस्टिंग विशेषज्ञों की जरूरत होगी।

सेमीकंडक्टर चिप डिजिटल युग की रीढ़ है और प्रत्येक तकनीक की आत्मा बन चुकी है। स्मार्टफोन, लैपटॉप, चिकित्सा आधारित मशीनें, इलेक्ट्रिक वाहन, 5जी नेटवर्क और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित सभी के केंद्र में यही सूक्ष्म चिप काम करती है। दुनिया भर में चिप्स की मांग तेज़ी से बढ़ रही है और भारत अब सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है। युवाओं के पास उच्च वेतन, स्थायी कैरियर और वैश्विक अवसरों का लाभ उठाने का समय है। भारत आज लगभग 90 प्रतिशत चिप आयात करता है। जैसे-जैसे डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण बढ़ रहा है, भारत में फैब, असेम्बलिंग, टेस्टिंग, मार्किंग, पैकेजिंग और डिजाइन कंपनियों की तेजी से स्थापना हो रही है। सरकार ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन, पीएलआई स्कीम और 50 प्रतिशत तक कैपिटल सब्सिडी जैसी नीतियों के माध्यम से सेमीकंडक्टर निर्माण को नई गति दी है। आने वाले पांच से सात वर्षों में भारत में अनेक फैब और असेम्बलिंग, टेस्टिंग, मार्किंग, पैकेजिंग यूनिट्स शुरू होने जा रही हैं। एक अकेला फेब्रिकेशन प्लांट 12,000-15,000 प्रत्यक्ष रोजगार और 25,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करता है। अनुमान है कि 2030 तक इस उद्योग में 25-30 लाख से अधिक नौकरियां उपलब्ध होंगी। इसके संदर्भ को समझें तो निकट भविष्य में भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर, केमिकल इंजीनियर, क्लीन रूम तकनीशियन, वेफर प्रोसेस इंजीनियर, सेमीकंडक्टर पैकेजिंग विशेषज्ञ, ऑटोमेशन और रोबोटिक्स इंजीनियर, क्वालिटी और टेस्टिंग विशेषज्ञ की बड़े स्तर पर आवश्यकता होगी।

एंट्री के लिए जरूरी कोर्स

सेमीकंडक्टर उद्योग में काम करने के लिए केवल पारंपरिक इंजीनियरिंग डिग्री पर्याप्त नहीं है। यहां विशेषज्ञता, व्यावहारिक प्रशिक्षण और क्लीन रूम आधारित प्रैक्टिकल स्किल्स की आवश्यकता होती है। इसी आवश्यकता को देखते हुए आईआईटी, एनआईटी और श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सहित कई संस्थान इनसे संबंधित कोर्स शुरू कर रहे हैं। सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन कोर्स काफी महत्वपूर्ण है। इसमें नैनोफैब्रिकेशन, फोटोलिथोग्राफी, ऑक्सीडेशन, डिपोज़िशन, आयन इम्प्लांटेशन जैसी प्रोसेस सिखाई जाती है। इसी तरह सेमीकंडक्टर पैकेजिंग कोर्स सबसे तेज़ी से बढ़ता क्षेत्र है, जहां चिप्स को पैक, टेस्ट और मार्क किया जाता है। इसके लिए युवा वायर बॉन्डिंग, फ्लिप-चिप पैकेजिंग, लेजर कटिंग, ऑटोमेटेड टेस्टिंग उपकरण का संचालन सीख कर अपना कैरियर बना सकते हैं। क्लीन रूम ऑपरेशन और मेंटेनेंस का फील्ड रोजगार के लिए काफी उपयुक्त है। सेमीकंडक्टर फैब में धूल का एक कण भी उत्पादन को प्रभावित कर सकता है, इसलिए प्रशिक्षित क्लीन रूम तकनीशियन की भारी मांग है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं वीएलएसआई डिजाइन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। जो युवा चिप डिजाइन में रुचि रखते हैं, उनके लिए वीएलएसआई, डिजिटल सर्किट डिजाइन, कैड टूल्स जैसे क्षेत्र सर्वोत्तम हैं। कंपाउंड सेमीकंडक्टर एसआईसी और जीएएन कोर्स की मांग बहुत तेजी से बढ़ने वाली है। भविष्य ईवी और हाई पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स का है, और इस क्षेत्र में प्रशिक्षित युवाओं की मांग कई गुना बढ़ेगी।

कैरियर के लिए श्रेष्ठता

सेमीकंडक्टर उद्योग में न केवल रोजगार की असीम सम्भावनाएं हैं, बल्कि शुरुआती वेतन भी काफी अच्छा रहता है। प्रारम्भिक वेतन 5 से 12 लाख वार्षिक तक होता है। भारत में फैब यूनिट्स शुरू होते ही लाखों नौकरियां आएंगी और कुशल लोगों को हाथोंहाथ लिया जाएगा। इतना ही नहीं, यह उद्योग दशकों तक लगातार बढ़ने वाला है। भारत में तो अवसरों की भरमार होगी ही, साथ ही ताइवान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों में भी काम करने के अवसर मिल सकते हैं। टेस्टिंग, सेंसर और उपकरण निर्माण जैसे क्षेत्रों में अपने स्टार्टअप की संभावनाओं को भी कमतर करके नहीं आंका जा सकता। इस क्षेत्र में उद्यमशीलता सोने पर सुहागा सिद्ध हो सकती है।

युवा ऐसे करें तैयारी

इसके लिए नैनोटेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फिजिक्स और केमिकल इंजीनियरिंग में अपना आधार मज़बूत करें। सेमीकंडक्टर पैकेजिंग या फैब्रिकेशन से जुड़े स्किल कोर्स करें। क्लीन रूम और सुरक्षा नियमों का प्रशिक्षण लें। ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मशीनरी का ज्ञान बढ़ाएं। इंटर्नशिप और हैंड्सऑन प्रैक्टिकल को प्राथमिकता दें। युवा इंडस्ट्री की आवश्यकताओं को पहचानें और उसी के अनुरूप अपने कौशल में वृद्धि करें।

स्किल्स सीख कदम बढ़ाने का वक्त

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि सेमीकंडक्टर उद्योग केवल एक उभरता हुआ सेक्टर नहीं, बल्कि भारत के भविष्य का प्रवेशद्वार है। जो युवा आज इस क्षेत्र को अपनाएंगे, वे आने वाले समय में टेक्नोलॉजी लीडर होंगे। भारत में फैब और चिप निर्माण, पैकेजिंग, टेस्टिंग और डिजाइन में रोजगार के ऐसे अवसर पैदा होंगे, जो किसी अन्य उद्योग में उपलब्ध नहीं हैं। यह समय कदम बढ़ाने का है। जो युवा आगे बढ़कर सही स्किल्स हासिल करेंगे, वे आने वाले वर्षों में भारत को डिजिटल सुपरपॉवर बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

 - लेखक पलवल स्थित श्री विश्वकर्मा कौशल विवि के कुलगुरु हैं।

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