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आवाज के हुनर से छुएं कैरियर की नयी बुलंदियां

रेडियो जॉकी का पेशा

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मीडिया जगत में रेडियो जॉकी के लिए भरपूर अवसर हैं। वे ऑल इंडिया रेडियो से लेकर कई छोटे-बड़े निजी एफएम चैनलों में नौकरी कर सकते हैं। वहीं अनुभव के बाद वॉइस ओवर कमर्शियल, लाइव शो होस्ट, टेलीविजन शो, फिल्मों और डबिंग में भी राह खुल जाती है। इस क्षेत्र में रेडियो जॉकी के अलावा म्यूजिक मैनेजर, न्यूज़ रीडर, प्रोडक्शन डायरेक्टर या कंटेंट राइटर के रूप में भी कैरियर निर्माण की संभावनाएं हैं।

आजकल मनोरंजन के मायने बदल गए हैं। कल तक रेडियो गुजरे जमाने का मीडिया माना जाता था, लेकिन एफएम स्टेशनों और खासकर इन पर गूंजने वाली रेडियो जॉकी की आवाज ने रेडियो को एकबार फिर लोकप्रिय बना दिया गया है। आज की युवा पीढ़ी तो रेडियो जॉकी के प्रति क्रेजी सी हो गई है। इसका कारण है उनकी प्रभावशाली आवाजें और दिलचस्प प्रस्तुतियां जो युवाओं को उनसे जोड़े रखती हैं। जो युवा ऐसी प्रतिभा रखते हैं और रेडियो जॉकी के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत करना चाहते हैं, उनके लिए संभावनाओं का आसमान हिलोरें ले रहा है। वे अपनी प्रतिभा और योग्यता के दम पर न केवल करोड़ों युवाओं के दिल की धड़कन बन सकते हैं बल्कि एक रोमांचक व ग्लैमरस कैरियर भी बना सकते है। भारत में रेडियो जॉकी कैरियर के लिए भरपूर संभावनाएं हैं।

रोजाना सुबह से लेकर देर रात तक रेडियो के अलग-अलग चैनलों पर प्रसारित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में कुछ ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं जिनमें श्रोताओं को अपनापन लगता है। रेडियो पर बतियाने वाला शख्स श्रोताओं से इस तरह हिल-मिल जाता है जैसे कि वह उनका कोई दोस्त, नजदीकी रिश्तेदार या मार्गदर्शक है। वह अपनी मोहक वाणी के जरिये आपसे बातचीत व हंसी-मजाक करता है वहीं बीच-बीच में आपकी पसंद का संगीत सुनाता है। इस शख्स को रेडियो जॉकी या आरजे कहा जाता है ।

प्रस्तुति के अलावा लेखन व प्रोडक्शन का कार्य

वैसे तो प्रतीत होता है कि रेडियो जॉकी का काम आपका मनोरंजन करना और आपसे बतियाना है। लेकिन इनका काम इससे भी ज्यादा होता है। वे प्रोग्रामिंग, स्टोरी राइटिंग, रेडियो एडवरटाइजिंग करने से लेकर ऑडियो मैगजीन और डॉक्यूमेंट्री भी प्रस्तुत करते हैं। उनके काम का कोई एक निश्चित समय नहीं होता। क्योंकि अधिकांश रेडियो चौबीस घण्टे प्रसारण करते हैं। किसी एक जॉकी के बस की बात नहीं है कि वह पूरे समय आपसे बतियाता रहे। इसके लिए अलग-अलग जॉकी होते हैं जो अपनी विशेषज्ञता के आधार पर अलग-अलग विषयों पर कार्यक्रम करते हैं। उन्हें शिफ्टों में दिन या रात कभी भी शो होस्ट करना होता है। वे देश-विदेश में होने वाली गतिविधियों के साथ-साथ अपने शहर की सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारियों का इस्तेमाल कर शो को प्रासंगिक, बेहतर व जानकारी परक बना कर भरपूर मनोरंजन करते हैं।

जॉब के मौके और वेतन

इस समय देश की मीडिया इंडस्ट्री में रेडियो जॉकी के लिए भरपूर अवसर उपलब्ध हैं। वे ऑल इंडिया रेडियो से लेकर माई एफएम रेडियो मिर्ची, टाइम्स एफएम, रेडियो मिड−डे, रेडियो वाणी व अन्य लोकल रेडियो स्टेशंस में कैरियर बना सकते हैं। थोड़े अनुभव के बाद वॉइस ओवर कमर्शियल, लाइव शो होस्ट, टेलीविजन शो व फिल्मों और डबिंग में भी कैरियर की राह खुल जाती है।

रेडियो जॉकी की सैलरी उनके अनुभव, स्किल्स व लोगों के रेसपॉन्स पर निर्भर करती है। युवा यहां शुरुआती दौर में 30 से 40 हजार रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं। वहीं अनुभव और लोकप्रियता हासिल करने के बाद सैलरी लाखों में पहुंच सकती है। आज कई आरजे ऐसे हैं जो सालाना 60 से 75 लाख तक के पैकेज ले रहे हैं। इस क्षेत्र में रेडियो जॉकी के अलावा म्यूजिक मैनेजर, न्यूज़ रीडर, प्रोडक्शन डायरेक्टर या कंटेंट राइटर जैसे पदों पर भी कैरियर निर्माण की संभावनाएं हैं।

जरूरी स्किल्स

रेडियो जॉकी को सुनना दिलचस्प लगता है। यह काम भी दिलचस्प है लेकिन इसके लिए आरजे के पास कुछ अतिरिक्त कौशल या स्किल्स का होना भी जरूरी है जो उसे सफल आरजे बना सकता है। सबसे पहले उसे संगीत का जानकार और प्रेमी होना जरूरी है क्योंकि इसके बिना अपने कार्यक्रम में रोचकता नहीं लाई जा सकती है। उन्हें फिल्मी और शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ प्रचलित विदेशी संगीत, पॉप व रैप संगीत की अच्छी जानकारी होनी जरूरी है। प्रोग्र्रामिंग के साथ-साथ कंटेंट राइटिंग की प्रतिभा भी होनी चाहिए।

वहीं तात्कालिक रूप से अपने कार्यक्रम में बदलाव करने की क्षमता और योग्यता भी होनी चाहिए। उन्हें एक बेहतर वक्ता होने के साथ हर सिचुएशन को संभालना भी आना चाहिए। साथ ही प्रेजेंटेशन स्किल भी बेहतर हों। आरजे में आत्मविश्वास चाहिये वहीं हाजिरजवाबी भी। आवाज प्रभावशाली होने के साथ−साथ आपका उच्चारण बेहद साफ व आवाज के मॉडुलेशन पर नियंत्रण भी होना चाहिए। उन्हें स्थानीय भाषाओं और बोलियों का ज्ञान भी होना चाहिए। इस क्षमता के चलते वे युवाओं और दर्शकों से घनिष्ट संबंध स्थापित कर सफलता पा सकते हैं।

शैक्षणिक योग्यता

वैसे तो रेडियो जॅाकी बनने के लिए किसी प्रोफेशनल कोर्स की आवश्यकता नहीं है। इसमें व्यक्ति की नेचुरल क्वालिटी ही ज्यादा काम आती है। फिर भी प्रोफेशनल तौर पर इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए 12वीं के बाद किसी भी कॉलेज से मॉस कम्युनिकेशन या रेडियो प्रोग्रामिंग/जॉकिंग में डिग्री या डिप्लोमा किया जा सकता है। इसके लिए डिप्लोमा इन रेडियो प्रोग्रामिंग व ब्रॉडकास्ट मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन रेडियो प्रोडक्शन व रेडियो जॉकी, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रेडियो एंड ब्रॉडकास्ट मैनेजमेंट, सर्टिफिकेट कोर्स इन रेडियो जॉकिंग उपयोगी हैं।

प्रमुख संस्थान

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल, रेडियो सिटी स्कूल ऑफ ब्रॉडकास्टिंग मुंबई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन नई दिल्ली, जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली, जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ कम्युनिकेशंस मुम्बई व द मुद्रा इंस्टीटयूट ऑफ मास कम्युनिकेशन अहमदाबाद।

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