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सर्वाइवर्स गिल्ट में कारगर है साइकोथैरेपी

सरवाइवर्स गिल्ट यानी किसी दुर्घटना में दूसरे लोगों के मारे जाने या गंभीर घायल हो जाने व खुद के बच जाने पर उपजी अपराधबोध की मनोवैज्ञानिक स्थिति । इसमें मरीज खुद को दोषी मानने लगता है। जिसमें वहगंभीर अवसाद-तनाव व...

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सरवाइवर्स गिल्ट यानी किसी दुर्घटना में दूसरे लोगों के मारे जाने या गंभीर घायल हो जाने व खुद के बच जाने पर उपजी अपराधबोध की मनोवैज्ञानिक स्थिति । इसमें मरीज खुद को दोषी मानने लगता है। जिसमें वहगंभीर अवसाद-तनाव व हताशा का शिकार हो जाता है। यह पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से जुड़ा हो सकता है। सरवाइवर्स गिल्ट के उपचार के बारे में कोलकाता स्थित मनोचिकित्सक डॉ. संजय गर्ग से शिखर चंद जैन की बातचीत।

कुछ माह पूर्व अहमदाबाद में हुई एयर इंडिया के प्लेन क्रैश की दर्दनाक हवाई दुर्घटना कई दिनों तक सुर्खियों में रही। आपको याद होगा कि इस हादसे में पायलट और एयर होस्टेस के साथ साथ सभी यात्री भी मारे गए थे। चमत्कारिक रूप से सिर्फ एक यात्री विश्वास कुमार रमेश जीवित बच गया था। क्या आपको पता है कि विश्वास कुमार तब से आज तक चैन की नींद नहीं सो पाया है? वह अवसाद, अज्ञात भय और चिड़चिडेपन का शिकार हो गया है। आज इतने महीनों बाद भी वह बहुत कम बोलता है और अपनी मां से भी बात नहीं करता। मनोविज्ञानियों ने परिजनों को बताया है कि विश्वास सरवाइवर्स गिल्ट की स्थिति से जूझ रहा है।

क्या है सरवाइवर्स गिल्ट

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यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को किसी ऐसी दुखद घटना (जैसे दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा, युद्ध, या किसी प्रियजन की मृत्यु) से बचने के बाद अपराधबोध महसूस होता है जिसमें अन्य लोग उस घटना में हताहत हुए या प्रभावित हुए। यह भावना तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति सोचता है कि “मैं क्यों बच गया?” या “मैंने उनको बचाने के लिए कुछ किया क्यों नहीं किया?” यह पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का एक हिस्सा हो सकता है।

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लक्षण

सरवाईवर्स गिल्ट के कई विभिन्न लक्षण देखे जाते हैं जैसे,अपराधबोध। पीड़ित व्यक्ति यह महसूस करता है कि उसका जीवित रहना अनुचित है या उसने समय रहते दूसरों को बचाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किया। इनमें उदासी और अवसाद देखा जाता है। ये लगातार दुखी, निराश रहने लगते हैं या जीवन से हताश होने लगते हैं।

चिंता और तनाव इन्हें अत्यधिक सताते हैं। बार-बार उस घटना के बारे में सोचना, चिंता, या नींद में परेशानी इस स्थिति की विशिष्ट पहचान है। इन्हें लगता है कि इनकी वजह से दूसरों को नुकसान हुआ है। इसी कारण इनमें सामाजिक दुराव होने लगता है। दूसरों से दूरी बनाना या सामाजिक गतिविधियों में भाग न लेना इनकी आदत हो जाती है। इन्हें उस दुखद घटना की बार-बार याद आती है या दृश्य नजर आते हैं।

शारीरिक लक्षण

उपरोक्त मानसिक समस्याओं या सामान्य जीवन में व्यवधान के साथ साथ इनमें कई शारीरिक कष्ट भी उभरने लगते हैं जैसे सिरदर्द, थकान, या पेट की समस्याएं।

उपचार

सरवाइवल गिल्ट के इलाज के लिए कई चरणों में विभिन्न उपाय किये जाते हैं। जैसे-

साइकोथैरेपी

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) : नकारात्मक विचारों को पहचानकर उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण में बदलने में मदद करती है।

ट्रॉमा-फोकस्ड थैरेपी: दर्दनाक अनुभवों को प्रोसेस करने और अपराधबोध को कम करने में मदद करती है।

ग्रुप थैरेपी : अन्य प्रभावित लोगों के साथ अनुभव साझा करना सहायक हो सकता है।

दवाइयां : यदि अवसाद या चिंता गंभीर है, तो मनोचिकित्सक एंटी-डिप्रेसेंट या एंटी-एंग्जाइटी दवाएं लिख सकता है। लेकिन दवाएं केवल अनुभवी डॉक्टर की सलाह पर लेनी चाहिए।

सेल्फ-केयर और सपोर्ट

परिवार और दोस्तों से बात करना, ध्यान (मेडिटेशन), योग और गहरी सांस लेने यानी प्राणायाम की तकनीकें तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा जर्नलिंग (डायरी आदि लिखना) भावनाओं को व्यक्त करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।

सावधानियां अपनाना भी फायदेमंद

समय पर विशेषज्ञ की मदद लें। अगर अपराधबोध या दुखद भावनाएं लंबे समय तक बनी रहें, तो तुरंत किसी मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से संपर्क करें। ट्रिगर्स से बचें, खास तौर से उन जगहों, लोगों, या चीजों से दूरी बनाएं जो दुखद घटना की याद दिलाती हों। वहीं स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं यानी नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और पर्याप्त नींद लें। खुद को दोष न दें। आप को यह समझना चाहिए कि हर घटना आपके नियंत्रण में नहीं होती। अपना एक सपोर्ट सिस्टम बनाएं। अपने करीबी लोगों से खुलकर बात करें और उनकी मदद लें। शराब या नशीले पदार्थों से बचें। ये अस्थायी राहत दे सकते हैं, लेकिन लंबे समय में समस्या को और गंभीर कर सकते हैं।

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