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बालमन की उलझन समझ संबल बनें अभिभावक

टीनएजर का मेंटल हेल्थ

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किशोर उम्र के बच्चे कई वजहों से मानसिक तनाव का शिकार हो सकते हैं। जब वे तनाव झेलने में असमर्थ हो जाते हैं तो कई बार खुद की जान लेने जैसा अतिशयी कदम उठा सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि पैरेंट्स निगरानी व संवाद रखें। उसका संबल बनें। उसके भीतर पनप रहे मानसिक तनाव, चिड़चिड़ेपन आदि को पहचानें। आदतों व मूड में बदलाव इसका खास संकेत है।

आजकल टीनएजर बच्चों द्वारा अपने जीवन के बारे में अतिवादी कदम उठाने के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। यह बच्चे कई कारणों से मानसिक रूप से तनावग्रस्त होने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं, वजह कोई भी हो सकती है। एग्जाम में अच्छे स्कोर हासिल करने का दबाव, अच्छे कॉलेज में एडमिशन का दबाव, खेल में सुपरस्टार बनने की तमन्ना, सोशल मीडिया में बुलिंग होने का तनाव, गरीबी, धन की कमी, जाति लिंग, विकलांगता के आधार पर भेदभाव का शिकार, इनके अलावा और कई गंभीर मुद्दों के कारण बच्चे लंबे समय तक मानसिक तनाव का शिकार रहते हैं और जब वह उस मानसिक तनाव को झेलने में असमर्थ हो जाते हैं तो वे अपनी जान लेने जैसा गंभीर कदम उठा लेते हैं।

सवाल है कि पैरेंट्स क्या उनके भीतर पनप रहे मानसिक तनाव, चिड़चिड़ेपन आदि को पहचान नहीं पाते? नहीं, ऐसा नहीं है। बच्चों की नींद, खानपान की आदतों या दैनिक जीवन में और कई तरह के ऐसे बदलाव होते हैं, जो पैरेंट्स की नजर में तो आते हैं, लेकिन पैरेंट्स उन लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते। अपनी मनपसंद गतिविधियों में अचानक अरुचि पैदा होना, दूसरे लोगों से दूरी बनाना, अपने करीबी दोस्तों से मिलने-जुलने की बजाय उनसे दूर रहना, कुछ पूछने पर इनकार कर देना, जैसे लक्षण पैरेंट्स को दिखायी दें तो उन्हें समझ जाना चाहिए कि बच्चा मानसिक तनाव में है।

तनाव पहचानने में मददगार बातचीत

बच्चे के मूड में बदलाव, स्कूल में उसका खराब प्रदर्शन, हार्मोनल बदलाव, इन तमाम कारणों से बच्चा तनावग्रस्त हो जाता है, लेकिन अगर पैरेंट्स को एक साथ कई लक्षण दिखायी देते हैं, तो उन्हें सतर्क हो जाना चाहिए। इन तमाम बातों के अलावा अगर बच्चा किसी किस्म के नशे का सेवन करता है तो इसे इस उम्र की एक समस्या तो माना ही जा सकता है, लेकिन अगर वह इसके दुष्चक्र में ज्यादा फंस जाता है तो पैरेंट्स के लिए यह खतरे की घंटी है। कई बार शराब और नशीले पदार्थों का सेवन टीनएजर कठिन भावनाओं और परिस्थितियों से निपटने के लिए कर सकते हैं। यह इस ओर भी इशारा करते हैं कि आपका बढ़ता बच्चा भावनात्मक रूप से दर्द से परेशान है। पैरेंट्स को अपने टीनएज बच्चे की मेंटल हेल्थ के बारे में जरा सी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, उनके साथ लगातार संवाद ही उसके तनाव के कारण को पहचानने में मददगार हो सकता है।

समस्या जानने के लिए जरूरी भरोसा जीतना

अपने बच्चे के साथ उसकी समस्याओं पर बात करके उसे सुरक्षित बनाना जरूरी है। बच्चे अकसर संवेदनशील विषयों पर बात करने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें इसके लिए पैरेंट्स की बातें सुननी पड़ सकती हैं। बच्चे को विश्वास दिलाएं कि वह खुलकर आपसे बताए और आप भी उसके साथ सख्ती से पेश न आएं। बातचीत के दौरान अपने डर पर काबू पाकर उससे खुलकर सब बताने के लिए कहें और पैरेंट्स भी उसकी बतायी चीजों को और उसकी गलतियों को उसकी इस नादानी भरी उम्र की एक सामान्य गलती मानें। हर चीज को अपने जीवन के चश्मे से न देखें। बच्चे के नकारात्मक व्यवहार को सीधा प्वाइंट आउट करने की बजाय उससे घुमा-फिराकर पूछेंगे तो वह ज्यादा सहजता से आपसे बात करेगा। अगर आपको लगता है कि बच्चा अपनी भावनाओं को छिपाने की कोशिश कर रहा है और खुलकर आपसे कोई बात नहीं कर पा रहा है तो आप उसे सोचने के लिए थोड़ा इंतजार करें ताकि वह मानसिक रूप से आपको अपनी समस्या बताने के लिए समय दें।

गलतियां माफ करने वाली भूमिका

बच्चा अगर मानसिक रुप से परेशान है तो पैरेंट्स इसे उतना ही गंभीर मानें, जितना कोई शारीरिक समस्या होती है और अपने टीनएजर को समझाएं कि वह अपनी समस्या बताने में डर या शर्म महसूस न करे। याद रखें, टीनएज में बच्चा बहुत कठिन दौर से गुजरता है और अपने सामने आने वाले दबाव से निपटने के लिए वह पूरी कोशिश करता है। इसलिए बच्चे के प्रति बेहद पॉजीटिव रहकर उसकी गलतियों को माफ करने की भूमिका में रहें। अपने टीनएजर के प्रति प्यार, विश्वास और सम्मान दिखाने से उसकी समस्या तो हल होगी ही, आपको भी इससे नुकसान नहीं होगा।

अपनों का साथ व पॉजिटिव गतिविधियां

आपका टीनएज बच्चा अगर आपको शारीरिक-मानसिक रूप से सही दिखता है, तब भी उसे समय दें, उसकी मनोदशा को स्वस्थ बनाने वाली आदतों की ओर उसको डाइवर्ट करें। परिवार के रूप में एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए समय निकालें। पॉजीटिव गतिविधियां और रिश्ते उसके मानसिक स्वास्थ्य पर ढाल का कार्य करते हैं। पैरेंट्स को समझना चाहिए कि अच्छे और बुरे दोनों तरह के दिन हमारे जीवन में आते हैं। हमारी मेंटल हेल्थ के साथ साथ बच्चे की मेंटल हेल्थ भी जरूरी है। अगर समस्या गंभीर दिखती है तो समय रहते अपने बच्चे और उसके बाल रोग विशेषज्ञ से उसके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात की जा सकती है। समस्या अगर गंभीर लगे तो उसको काउंसलिंग के जरिये सुलझाया जा सकता है। -इ.रि.सें.

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