आंखों की सेहत का ख्याल नियमित जांच व देखभाल से
आधुनिक जीवनशैली के चलते व समुचित देखभाल के अभाव में कई बार आंखों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिनमें नजर कमजोर होने से लेकर दृष्टिहीनता तक शामिल हैं। ऐसे में सही संभाल, खानपान व पॉश्चर के अलावा नियमित जांच जरूरी है। आंखों के रोगों की वजहों, लक्षणों व उपचार को लेकर दिल्ली स्थित आइज स्पेशलिस्ट डॉ. नीलम अत्री से रजनी अरोड़ाकी बातचीत।
आंखों को अगर दुनिया को देखने की खिड़की कहा जाए तो गलत नहीं होगा। लेकिन आधुनिक कंप्यूटरीकृत जीवन-शैली, व्यस्ततम दिनचर्या के चलते कभी-कभी हम अपनी लापरवाही, गलत आदतों और समुचित देखभाल के अभाव में इन्हें नुकसान भी पहुंचा देते हैं। नज़र कमजोर होने, दृष्टिहीनता या अंधेपन का शिकार हो सकते हैं। ठीक से दिखाई न देने पर चश्मा, कॉन्टैक्ट लेंस, दवा या सर्जरी का सहारा लेना पड़ता है। यह दृष्टिहीनता स्त्री-पुरुष या बच्चों में किसी को भी और किसी भी उम्र में हो सकती है। बता दें कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया में 3.3 अरब लोगों को दृष्टि सुधार की जरूरत है। वहीं विश्व में दृष्टिहीन लोगों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है। अगर आपको आंखों में किसी समस्या की जरा-सी भी आशंका हो, तो तुरंत अच्छे आइज-स्पेशलिस्ट डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए। आइज-चेकअप कराकर बिना किसी हिचक के उनकी बात फॉलो करनी चाहिए।
Advertisementनजर में कमजोरी के कारण
आज के तकनीकी युग में स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। पढ़ाई व ऑफिस वर्क ज्यादातर कंप्यूटरीकृत हो गया है। मोबाइल पर दिन-रात सोशल मीडिया पर रील्स आदि देखने का ट्रेंड काफी बढ़ा है। घंटों स्क्रीन देखने से बच्चों की भी नजर कमजोर हो रही है। कई बार गलत तरीके से पढ़ने या टीवी देखने, समुचित प्रकाश न होने, आंखें कम झपकाने से ड्राई आई होने, हेल्दी डाइट न लेने, हाइजीन का ध्यान न रखने, चोट लगने आदि का इफेक्ट हमारी आंखों पर पड़ता है। आई-साइट कमजोर हो जाती है, स्पेक्स तक लगाना पड़ता है। इसके अलावा वजहें हैं -सिगरेट-शराब ज्यादा पीना, पुराने कॉस्मेटिक प्रसाधनों का उपयोग, यूवी किरणों से और वेल्डिंग करते हुए, हानिकारक कैमिकल्स से काम करते हुए या फिर स्विमिंग करते हुए उपयुक्त गॉगल्स का उपयोग न करना आदि। डॉक्टर की सलाह बिना दवाओं का सेवन, सही नंबर का चश्मा न पहनने से भी नजर खराब होती है।
आई-साइट कमजोर होने के लक्षण
घर-बाहर काम करते हुए, पढ़ते हुए या कंप्यूटर पर काम करते हुए अगर आपको देखने में किसी भी तरह की मुश्किल आ रही हो, तो तुरंत आइज-स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाना चाहिए। सही इलाज और देखभाल से दृष्टि ठीक भी हो सकती है। दूर की चीजें ठीक से नहीं देख पा रहे हो या देखने में आंखों पर स्ट्रेन पड़ रहा हो। पढ़ते समय धुंधला दिखाई दे रहा हो, स्क्रीन पर का म करते वक्त आई-स्ट्रेन से सिर में दर्द हो रहा हो। कुछ रंगों के बीच फर्क पहचान न पा रहे हों। इंफेक्शन से या धूप में जाने पर आंखों में इचिंग, इरिटेशन, स्वेलिंग या आई-फ्लू जैसी प्रॉब्लम्स हो रही हों तो जांच करा लें।
आंखों का ध्यान रखने के टिप्स
चेकअप कराने के बाद आपके आइज के डॉक्टर के निर्देश फॉलो करने चाहिए। साथ ही अपने रूटीन का ध्यान और कुछ जरूरी बातों पर अमल भी करना चाहिए। बेहतर होगा साल में कम से कम एक बार आइज चेकअप कराते रहें। अगर आपकी आई-साइट कमजोर है चाहे वह पास की हो या दूर की- स्पेक्स जरूर पहनें। लेट कर न तो पढ़ें, न ही टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल देखें- इससे आंखों पर स्ट्रेन पड़ता है। इन कामों के लिए स्टडी टेबल से दोस्ती कर लें। वह टेबल न इतनी ऊंची हो कि आपकी कोहनियां उस पर टिक न सकें और न इतनी नीची हो कि काम करने के लिए झुकना पड़े। लाइट की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसे फॉन्ट का चयन करें जो काले, नीले या डार्क रंग के हों। कई रंगों का एक साथ प्रयोग न करें ताकि आंखों पर स्ट्रेन न पड़े। पढ़ते वक्त आप 20:20:20 का फंडा अपनाएं। टेबल पर रखी बुक से आपकी आंखें 20 इंच या दो हाथ की दूरी पर होनी चाहिए। लगातार पढ़ने के बजाय 20 मिनट के बाद एक छोटा-सा ब्रेक लें। इससे आप अच्छा परफॉर्म कर पाएंगे। इस ब्रेक में आप आंखें बंद कर बैठ सकते हैं और चाहे तो आंखों के व्यायाम कर सकते हैं। खीरे या आलू के स्लाइस बंद आंखों पर रखना तो और बेहतर है। लंबे समय तक कंप्यूटर, मोबाइल या टीवी की स्क्रीन न देखें। बीच-बीच में अपनी आंखों को बंद करें या कमरे में दूसरी तरफ देखें। कंप्यूटर, मोबाइल या टीवी की स्क्रीन की ब्राइटनेस और कंट्रास्ट को एडजस्ट करके इस्तेमाल करें। इससे आंखों में स्ट्रेस कम पड़ेगा और नजर कमजोर होने का रिस्क नहीं रहेगा। हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। इससे आप अपनी आंखों को इंफेक्शन से दूर रख सकते हैं। सूरज की यूवी किरणों से बचाव के लिए बाहर जाते वक्त गॉग्ल्स या फोटोक्रोमेटिक स्पेक्स जरूर पहनें। फैक्ट्री में काम करते वक्त काला चश्मा जरूर पहनें। इसी तरह स्विमिंग, स्नो सर्फिंग जैसे गेम्स खेलते हुए फोटोक्रोमेटिक स्पेक्स पहनें। 3 महीने से पुराने कॉस्मेटिक की चीजों का प्रयोग आंखों के लिए घातक है। कॉस्मेटिक्स की एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें।
संतुलित खान-पान
अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक तत्वों से भरपूर बैलेंस डाइट लेनी बहुत आवश्यक है। विशेषकर विटामिन ए से भरपूर डाइट फायदेमंद है। जो पीले-लाल फल और सब्ज़ियों में होती है। जैसे- पपीता, आम, तरबूज, अंगूर, गाजर, सीताफल, ब्रोकली, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, गोभी। इसके अलावा डेयरी उत्पाद, साबुत अनाज और हेल्दी फैट का सेवन आंखों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
दृष्टि के लिए लाभकारी योग
आंखों के ये योग आपको आराम पहुंचा सकते हैं- डेस्क-जॉब या स्टडी करते हुए हर 15-20 मिनट बाद अपनी आंखों को ब्रेक दें। धीरे-धीरे कोई दूर की चीज देखें, फिर अपनी नज़र अपने काम या कंप्यूटर स्क्रीन लाएं। ऐसा करीब 10 बार करें। अपनी आंखों को धीरे-धीरे दाएं-बाएं घुमाएं। अपनी आंखें कुछ सेकंड्स के लिए बंद करें। ऐसा 2-5 बार करें। इसी तरह धीरे-धीरे अपनी आंखें ऊपर-नीचे घुमाएं और कुछ समय के लिए बंद करें। धीरे-धीरे आंखों को चारों ओर क्लॉकवाइज और एंटी-क्लॉकवाइज दिशा में घुमाएं और अपनी आंखें बंद करें। फिर कुछ दूर देखो और 5 से उल्टी गिनती करें। अपनी किताब या कंप्यूटर स्क्रीन को देखें और 10 से उल्टी गिनती करते हुए ध्यान केंद्रित करें। अपनी आंखें बंद करो और 10 बार सांस धीरे-धीरे अंदर-बाहर खीचें। ऐसा करने से आपकी आंखें ही नहीं, शरीर भी रिलैक्स होगा।