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सेहत संवारने में भी मददगार हैं आभूषण

आभूषणों को विशेष तौर पर व्यक्तित्व में आकर्षण व सौंदर्य बढ़ाने के मकसद से पहना जाता है। लेकिन इसके साथ ही वे अच्छा निवेश भी माने जाते हैं। इन वजहों के अलावा गहने पहनने के स्वास्थ्य लाभ भी कम नहीं...

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आभूषणों को विशेष तौर पर व्यक्तित्व में आकर्षण व सौंदर्य बढ़ाने के मकसद से पहना जाता है। लेकिन इसके साथ ही वे अच्छा निवेश भी माने जाते हैं। इन वजहों के अलावा गहने पहनने के स्वास्थ्य लाभ भी कम नहीं हैं। सिर से पैर तक पहने जाने वाले गहनों के सेहत को अलग-अलग फायदे हैं।

धनतेरस या दीपावली के अवसर पर कुछ धातुओं की खरीद शुभ मानी जाती है। ऐसे में आभूषणों की बात न चले ऐसा तो हो ही नहीं सकता। दरअसल, सभी महिलाएं गहनों से संवरना चाहती हैं। वैसे तो गहने शारीरिक सौंदर्य बढ़ाने व ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ही पहने जाते हैं। मगर हमारी परंपरा में गहनों में कई अन्य प्रयोजन भी दिखाई पड़ते हैं। प्राचीन भारतीय ग्रंथों के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति स्वर्णाभूषण धारण करता है, तो वे उसे जीवन भर स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं। दरअसल, पुराने समय से ही गहने पहनने के पीछे कई चिकित्सकीय कारण भी रहे हैं। आज, आमतौर पर बहुत कम लोगों को जानकारी है कि गहने सौंदर्य ही नहीं, सेहत भी संवारते हैं।

एक्यूप्रेशर का प्रभाव

गहनों से शऱीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में पर्याप्त तथ्य मिलते हैं। एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर, चिकित्सा पद्धति का प्रचलन पूरे विश्व में बढ़ रहा है। इस पद्धति की जानकारी जिन्हें है, उन्हें गहनों के चिकित्सकीय महत्व को जानना बहुत मुश्किल नहीं, सीधे-सीधे शब्दों में हमारे शरीर में कई ऐसे बिंदु होते हैं जिन पर दबाव डालने से कई विकार और रोग स्वतः ठीक हो जाते हैं। इन बिंदुओं को मर्मस्थल या मेरेडियन कहते हैं।

मर्मस्थलों पर असर

गहने शरीर के मर्मस्थलों के लिए उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। सोना और चांदी जैसी मूल्यवान धातुएं ऊर्जा चालन एवं विकिरण की क्षमता रखती हैं। ये धातुएं शरीर के किसी विशेष मर्मस्थल की स्पंदन क्रिया के साथ उत्प्रेरक के रूप में जुड़ जाती हैं तो इनकी यह क्षमता ज्यादा असरदार हो जाती है। जानिये कौन से आभूषण का सेहत के दृष्टिकोण से कितना महत्व है-

गले के गहने

गले में पहने जाने वाले गहने जैसे- हार, चेन जंजीर आदि का श्वास रोगों, भोजन नलिका और कंठ स्वर पर अच्छा असर होता है। इन गहनों का दबाव गर्दन के पिछले भाग में पड़ता है। वहां ‘वैगस नर्व’ नामक महत्वपूर्ण मर्मस्थल होता है।

कलाई में पहने जाने वाले जेवर

कंगन, चूड़ी, दस्तबंद जैसे कलाई में पहने जाने वाले गहने श्वास रोग, हृदय रोग तथा मानसिक विकार कम करते हैं। आजकल आपने खिलाड़ियों को भी रिस्ट बैंड का प्रयोग करते देखा होगा।

बाजूबंद

बाजूबंद जैसे कोहनी के ऊपर पहने जाने वाले गहने शरीर की रोग निवारक क्षमता बढ़ाते हैं। इनसे रक्तचाप ठीक रहता है, चर्म रोगों की आशंका घटती है व मस्तिष्क भी तनावमुक्त रहता है।

कमर के आभूषण

तगड़ी या करधनी जैसे कमर के आभूषण मूत्र रोगों, प्रजनन अंगों की बीमारियों, कमर दर्द, यूटरस, संबंधी बीमारियों, फर्टिलिटी प्राब्लम्स, अनियमित पीरियड आदि तकलीफों को रोकते हैं। साथ ही इनसे पेट का अनावश्यक रूप से बढ़ना व कमर का फैलना भी रुकता है।

पैरों के गहने

पायल, बिछुआ आदि पैरों के गहने गैस विकार, आंव रोग, पेचिश आदि रोगों से छुटकारा दिला सकते हैं। साथ ही पायल से एड़ियों में दर्द नहीं होता व बिछुआ से पैरों की अंगुलियों का रक्त संचार ठीक रहता है।

अंगुलियों के आभूषण

हाथ की अंगुलियों में पहना जाने वाला आभूषण अंगूठी बड़ा कमाल करती है। तर्जनी अंगुली में अंगूठी पहनना सिरदर्द से मुक्ति दिलाने में काफी मददगार है। मध्यमा की अंगूठी पहनना मानसिक तथा सीने के विकारों, अनामिका में रिंग पहनना कान के रोगों में तथा छोटी अंगुली में अंगूठी पहनना हृदय रोगों व छोटी आंत के रोगों में राहतकारी है। हाथ के अंगूठे में कोई कसी हुई अंगूठी पहनी जाए तो श्वास रोग में आराम मिलता है।

माथे व सिर के गहने

सिर व माथे के जेवर में बोरला प्रमुख माना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, मांग टीका (बोरला) पहनना दिमाग को शांत बनाए रखने में काफी मददगार माना जाता है।

 

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