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हेल्दी फूड का जुनून होना भी ठीक नहीं

ऑर्थोरेक्सिया

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कुछ लोग शादी या अन्य किसी पार्टी में भी चुनिंदा चीजें व बेहद कम खाते हैं। यह आदत ऑर्थोरेक्सिया नर्वोसा नामक साइकोलॉजिकल ईटिंग डिसऑर्डर हो सकती है। हेल्दी फूड खाना बेहतर है लेकिन हर वक्त स्वस्थ खानपान का जुनून सेहत व सामाजिक जीवन पर असर डालता है। इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ. संजय गर्ग एवं डाइटीशियन संगीता मिश्र से बातचीत।

अर्पिता की नई जॉब लगी थी। सभी सहेलियां पार्टी के मूड में थीं। इसलिए अर्पिता ने रेस्तरां में पार्टी दी थी। सब फ्रेंड्स मजे से डोसा, इडली, सांभर बड़ा आदि का स्वाद लेते हुए गप्पें लड़ा रही थीं। लेकिन श्वेता ने सिर्फ वैनीला आइसक्रीम ऑर्डर की थी। नीलम ने उसे टोका तो उसने कहा- ना यार, मैं सिलेक्टिव और हेल्दी फूड्स ही लेती हूं। नीलम ने समझाने की कोशिश की कि इडली, डोसा से कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन श्वेता ने उसकी एक न सुनी। नीलम समझ गई कि श्वेता ऑर्थोरेक्सिया नर्वोसा नामक साइकोलॉजिकल ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित है।

क्या है ऑर्थोरेक्सिया नर्वोसा

हेल्दी फूड खाने की आदत जब सनक का रूप ले ले तो इसे मनोविज्ञानी आर्थोरेक्सिया नर्वोसा कहते हैं। सबसे पहले अल्टरनेटिव मेडिसिन के विशेषज्ञ स्टीवन ब्रेटमैन ने 1997 में इस टर्म का प्रयोग किया था। इस आदत का शिकार व्यक्ति यथासंभव कुछ भी खाना ही नहीं चाहता। बहुत जरूरी होने पर वह बेहद चुनिंदा चीजें अत्यंत सीमित मात्रा में खाता है। आधिकारिक रूप से भले ही यह एक बीमारी नहीं है लेकिन इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य, सामाजिक व व्यक्तिगत जीवन बाधित होता है।

लक्षण

किसी व्यक्ति को जब आप हर वक्त हेल्दी फूड या कैलोरी इनटेक जैसे विषयों पर बातचीत करते देखें, दिन में दो-तीन घंटे हेल्दी फूड पर विचार करते देखें, अगले दिन का मैन्यू सोचते हुए देखें या बेहद सीमित वैरायटी के फूड लेने पर जोर देते देखें तो समझ लें कि वह आर्थोरेक्सिया नर्वोसा का शिकार है। ऐसे व्यक्ति भोजन को एंजॉय तो बिल्कुल नहीं करते। ये अक्सर विवाह या किसी अन्य समारोह में शामिल होने से, दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ मिलने-जुलने से भी कतराते हैं क्योंकि इनके मन में डर रहता है कि वहां कुछ खा लिया तो तबीयत खराब हो जाएगी। इन्हें अपने घर में बना हुआ विशेष भोजन ही पसंद आता है। किसी कारणवश इन्हें बाहर या अपनी मर्जी से अलग भोजन खाना पड़ गया तो ये अपराधबोध के शिकार हो जाते हैं। ये अक्सर दूसरों की हेल्दी ईटिंग हैबिट्स की भी चर्चा करते हैं।

खुद और परिवार को रखते हैं परेशान

आर्थोरेक्सिक लोग खानपान को लेकर बेहद कठोर नियमों का पालन करते हैं। ये चीनी ,नमक, अल्कोहल, गेहूं , यीस्ट, ग्लूटेन,सोया और डेयरी फूड या किसी भी चीज को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं। ये प्रोसेस्ड, आर्टिफिशियल और प्रिजर्व्ड फूड भी नहीं खाते। आमतौर पर ये सिर्फ फल और सब्जियों पर निर्भर रहना चाहते हैं। लेकिन व्यावहारिक रूप से ऐसा संभव नहीं। ऐसा करने पर शरीर दुर्बल हो सकता है ,थकान ,कमजोरी ,एनीमिया ,निम्न रक्तचाप आदि के साथ-साथ हार्ट की प्रॉब्लम भी हो सकती है। भले ही इन्हें लगता हो कि हेल्दी डाइट ले रहे हैं लेकिन ये कई प्रकार के पोषक तत्वों,प्रोटीन ,आयरन और विटामिन बी से वंचित रह सकते हैं। साथ ही इस तरह के भोजन में तृप्ति भी नहीं मिलती। आमतौर पर पढ़े-लिखे मिडल क्लास लोग ही इस तरह की समस्या के शिकार होते हैं। वे किसी भी अखबार या पत्रिका में किसी फूड के बारे में पढ़कर इंटरनेट पर उसके बारे में सर्च करते हैं व उस पर अपनी राय बना लेते हैं।

समाधान

ऐसे व्यक्ति को किसी न्यूट्रीशनिस्ट के साथ-साथ मनोविज्ञानी से भी मिलना चाहिए। न्यूट्रीशनिस्ट जहां उसे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की जानकारी देगा और विभिन्न तरह की दालें ,अनाज, दही, सूखे मेवे आदि के साथ-साथ फल ,सब्जियां डाइट में शामिल करने की उपयोगिता और महत्व बताएगा, वहीं मनोविज्ञानी उसके मन में गहराई तक बैठ चुकी फूड से संबंधित इनसिक्योरिटी दूर करने की कोशिश करेगा।

 

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