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हिमाचल सरकार ने कमियां स्वीकारी, रोडमैप के लिए छह महीने का समय मांगा

पारिस्थितिक असंतुलन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
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हिमाचल में पारिस्थितिक असंतुलन से निपटने के लिए मौजूदा उपायों में कमियां स्वीकार करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से रोडमैप तैयार करने के लिए छह महीने का समय मांगा है। शीर्ष न्यायालय में दायर एक हलफनामे में राज्य सरकार ने हाल के वर्षों में देखी गई विनाशकारी स्थितियों और साथ ही जारी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कमियों की पहचान करने और एक व्यापक भविष्य की कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जैसे ही यह मामला सुनवाई के लिए आया हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता अनूप कुमार रतन और अतिरिक्त महाधिवक्ता वैभव श्रीवास्तव ने जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि राज्य ने एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें मौजूदा व्यवस्थाओं और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण दिया गया है।

राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि इसके लिए संबंधित अधिकारियों, विभिन्न संस्थानों के भूवैज्ञानिकों, जल विज्ञानियों, जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों और सामुदायिक प्रतिनिधियों से युक्त एक कोर ग्रुप गठित किया जाएगा, ताकि इन कमियों की पहचान की जा सके और भविष्य के लिए एक रोडमैप सुझाया जा सके।

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हिमाचल प्रदेश सरकार ने कहा कि उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए भविष्य के लिए एक व्यापक रोडमैप आवश्यक है। उन्होंने रोडमैप पर विचार करने के लिए कम से कम छह महीने का अतिरिक्त समय मांगा। पीठ ने हिमाचल प्रदेश में पारिस्थितिक असंतुलन पर स्वतः संज्ञान से शुरू की गई जनहित याचिका में सहायता के लिए एक न्यायमित्र नियुक्त करने का निर्णय लिया, जो हाल के वर्षों में प्रकृति के प्रकोप का शिकार रहा है। पीठ ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की।

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