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मधुमेह में राहतकारी स्वस्थ जीवनशैली

महिलाओं में डायबिटीज रोग

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मधुमेह की बीमारी महिलाओं की सेहत के लिए कुछ अतिरिक्त चुनौतियां लेकर आती है। मसलन वजन ज्यादा बढ़ने-घटने या फिर दीर्घकालिक परहेज से उपजा तनाव। इसके अलावा मधुमेह मातृत्व प्रक्रिया व हृदय रोग के जोखिम बढ़ा देता है। व्यायाम व संतुलित खानपान से इस रोग का प्रबंधन संभव है।

वैसे तो किसी भी बीमारी से स्त्री या पुरुष दोनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज की बीमारी महिलाओं की सेहत चौपट करने के साथ-साथ मातृत्व से संबंधित प्रक्रिया में भी कई प्रकार के जोखिम बढ़ा देती है। साथ ही उन्हें सामाजिक व मानसिक परेशानी भी ज्यादा होती है।

बॉडी इमेज की समस्या

डायबिटीज के कारण वजन घटना या बढ़ना सामान्य बात है। साथ ही इंसुलिन लेने और स्किन की समस्या बढ़ने से महिलाओं को अपनी बॉडी इमेज की परवाह होने लगती है। उनके ग्लो और बाह्य सौंदर्य में स्वाभाविक कमनीयता में फर्क पड़ता है। इससे उनके आत्मविश्वास में कमी देखी जाती है। कई बार इस बीमारी से महिलाओं को मानसिक समस्याएं और ईटिंग डिसऑर्डर भी होने लगता है। कुछ मामलों में परिवार के लोगों के ताने भी सुनने पड़ते हैं, जिससे उन्हें दुःख होता है।

डायबिटीज बर्नआउट

डायबिटीज मैनेजमेंट एक श्रमसाध्य, मेंटली डिस्टर्बिंग और लॉन्ग टर्म प्रक्रिया है। कई बार तमाम प्रतिबंधों और परहेज से महिलाएं उकता जाती हैं। इससे उन्हें लगता है कि वे सुखपूर्वक अपनी इच्छा के अनुरूप नहीं जी पा रही। यह स्थिति हताशा, थकान और उदासी का सबब बन जाती है। अनियंत्रित ब्लडशुगर और इससे उत्पन्न हेल्थ मसले परेशान करने वाले हो सकते हैं।

इनफर्टिलिटी संबंधी मसले

डायबिटीज के कारण संबंधित अंगों में कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं और सेक्सुअल हेल्थ प्रभावित होता है। उन जगहों पर ड्राइनेस, अंगों की ब्लड वेसल्स में क्षति, दर्द आदि आम समस्याएं हैं। साथ ही पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर जैसी समस्याएं भी महिलाओं को परेशान करती हैं। इससे मेंस्ट्रूअल साइकिल में गड़बड़ी ,फर्टिलिटी और ओवुलेशन की प्रॉब्लम होती है। जाहिर है इससे गर्भधारण और डिलीवरी की प्रक्रिया जटिल और चुनौतीपूर्ण होने लगती है। साथ ही गुप्तांग संक्रमण की समस्या भी देखी जाती है ।

हार्ट डिजीज का जोखिम

डायबिटीज हार्ट डिजीज का एक बड़ा रिस्क फैक्टर होता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसका ज्यादा जोखिम होता है। टाइप-टू डायबिटीज से पीड़ित कई महिलाओं में तो हार्ट डिजीज पहले से होता है या कार्डियोवैस्कुलर जटिलताएं दिखने लगती हैं। डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ना ,हाइपरटेंशन, मोटापा ,वैस्कुलर फंक्शन में गड़बड़ी आदि समस्याएं दिखने लगती हैं। असल में महिलाओं में डायबिटीज से इन्फ्लेमेशन और हार्मोनल असंतुलन भी बढ़ सकता है। इसलिए उन्हें खास सावधानियां बरतते हुए दवा के साथ-साथ लाइफ स्टाइल और खानपान की आदतें भी बदल लेनी चाहिए।

समयपूर्व मेनोपॉज

आमतौर पर मेनोपॉज की उम्र 45 से 55 साल की होती है। मगर मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में यह कई बार जल्दी ही हो जाता है। डायबिटीज के कारण मेटाबॉलिक प्रक्रिया तो डिस्टर्ब होती ही है, साथ ही फीमेल हार्मोंस भी डिस्टर्ब होते हैं। एस्ट्रोजन लेवल गिरने पर इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाती है। इससे उनकी समस्या और भी ज्यादा हो जाती है ।

रोकथाम के लिए करें ये उपाय

डायबिटीज स्पेशलिस्ट डॉ. रविकान्त सरावगी ने डायबिटीज रोग के मुकाबले के लिए कुछ उपाय बताए हैं–

वजन घटाएं – अगर आपका वजन औसत से ज्यादा है, तो कोशिश करके इसे घटाएं। पांच किलो वजन घटाना भी काफी मायने रखता है। 50 से 70 की उम्र में ओवरवेट होना समयपूर्व मृत्यु का एक बड़ा कारण हो सकता है।

एक्सरसाइज करें – नियमित व्यायाम से ब्लड शुगर कम होता है, वजन घटता है और हार्ट डिजीज से भी प्रोटेक्शन मिलता है। जो डायबिटीज के रोगियों की मृत्यु का प्रमुख कारण है। हर रोज 20-30 मिनट टहलने की आदत डालें।

वसा कम लें – हर एक ग्राम वसा में 9 ग्राम कैलोरी होती है जबकि प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट में सिर्फ 4 ग्राम। आप वसा के सेवन में कटौती करके कैलोरी से बच सकते हैं। अच्छी वसा भी कम ही लें।

बैड कार्बोहाइड्रेट से बचें – चीनी, मैदा, चावल, सॉफ्ट ड्रिंक्स में प्रयुक्त स्वीटनर और प्रोसेस्ड फूड अच्छी चीजें नहीं हैं। इसमें फाइबर न होने से ये सीधी और तेजी के साथ एब्जार्ब हो जाती हैं जिससे ब्लड शुगर बढ़ जाता है। इससे पैंक्रियाज इंसुलिन उत्पन्न करने लगता है। लगातार ऐसा होने पर डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है।

गुड कार्बोहाइड्रेट लें – फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लेग्यूम, सोया आदि फाइबर के समृद्ध स्रोत हैं। इनके सेवन से पेट जल्दी भरता है जिससे आप ओवरइटिंग से बच सकते हैं। इससे आपका ब्लड शुगर नियंत्रण में रहेगा।

मेडिटेशन करें – स्ट्रेस की स्थिति में शरीर ऐसे हार्मोन उत्पन्न करता है, जो ब्लड शुगर को बढ़ा सकते हैं। क्रॉनिक स्ट्रेस से शरीर इंसुलिन रेजिस्टेंट हो सकता है है, जिससे डायबिटीज हो सकती है। इसलिए मेडिटेशन का सहारा लें और तनाव मुक्त रहें।

-कोलकाता स्थित एंडॉक्रायोनोलॉजिस्ट डॉ. रविकांत सरावगी से बातचीत पर आधारित।

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