EPFO Reforms ईपीएफओ ने बदले निकासी के नियम: अब 100 प्रतिशत तक ईपीएफ निकाल सकेंगे
EPFO Reforms देशभर के करोड़ों कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने आंशिक निकासी नियमों में व्यापक बदलाव करते हुए अब ईपीएफ खातों से 100 प्रतिशत तक निकासी की अनुमति दे दी है। संगठन के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) की बैठक में ये महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिसकी अध्यक्षता श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने की। इस फैसले से देश के 7 करोड़ से अधिक ईपीएफओ सदस्यों को सीधा लाभ मिलेगा।
बैठक में अब तक लागू 13 निकासी नियमों को घटाकर 3 बड़ी श्रेणियों में समाहित कर दिया गया है।
आवश्यक जरूरतें (Essential Needs)
आवास संबंधी जरूरतें (Housing Needs)
विशेष परिस्थितियां (Special Circumstances)
इस कदम को ईपीएफओ की सबसे बड़ी ‘सरलीकरण पहल’ माना जा रहा है, जिससे सदस्यों को निकासी प्रक्रिया में न तो जटिल फॉर्म भरने पड़ेंगे और न ही अतिरिक्त दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे।
अब तक की तुलना में क्या बदला
1. शिक्षा और विवाह के लिए निकासी सीमा बढ़ी
अब सदस्य शिक्षा के लिए 10 बार तक और विवाह के लिए 5 बार तक अपने ईपीएफ खाते से आंशिक निकासी कर सकेंगे।
पहले ये सीमा कुल 3 बार तक सीमित थी।
2. सेवा अवधि घटकर मात्र 12 महीने
पहले किसी भी प्रकार की निकासी के लिए कर्मचारी को न्यूनतम 5 साल सेवा अवधि पूरी करनी होती थी।
अब यह घटाकर केवल 12 महीने कर दी गई है।
3. खाते में 25 प्रतिशत राशि रखना अनिवार्य
निकासी के बाद खाते में कम से कम 25 प्रतिशत राशि बनी रहनी चाहिए, ताकि ब्याज (वर्तमान दर 8.25% प्रति वर्ष) जारी रहे और दीर्घकालिक बचत प्रभावित न हो।
4. अब नहीं लगेगा दस्तावेजों का झंझट
ईपीएफओ ने ऑटो-सेटलमेंट प्रणाली शुरू की है, जिसके तहत अधिकांश आंशिक निकासी दावे बिना किसी दस्तावेज़ के स्वतः स्वीकृत हो सकेंगे।
5. ‘विशेष परिस्थितियों’ में कारण बताने की जरूरत नहीं
प्राकृतिक आपदाओं, आकस्मिक बेरोजगारी या अन्य कठिन परिस्थितियों में अब निकासी के लिए कारण बताने की आवश्यकता नहीं होगी।
निकासी से जुड़ी नई समय-सीमाएं
- ईपीएफ की अंतिम निकासी अवधि: अब 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दी गई है।
- पेंशन की अंतिम निकासी अवधि: 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दी गई है।
इससे नौकरी बदलने या अस्थायी बेरोजगारी की स्थिति में भी कर्मचारियों को वित्तीय राहत मिलेगी।
‘विश्वास योजना’ (Vishwas Scheme) का शुभारंभ
ईपीएफओ ने लंबित पीएफ भुगतानों से संबंधित कानूनी विवादों को निपटाने के लिए एक नई योजना ‘विश्वास योजना’ शुरू की है।
इसके तहत देर से भुगतान करने वाले नियोक्ताओं पर लगने वाले दंडात्मक ब्याज और पेनल्टी दरों को घटाया गया है, ताकि उन्हें अनुपालन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और कानूनी बोझ कम हो।
ग्रामीण पेंशनरों के लिए डिजिटल सुविधा
ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के ईपीएस-95 पेंशनरों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, ईपीएफओ ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) के साथ समझौता किया है।
अब पेंशनभोगी डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (DLC) सेवा का लाभ घर बैठे मुफ्त में ले सकेंगे। इससे बुजुर्ग पेंशनरों को बैंकों या पीएफ दफ्तरों में जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
निवेश प्रबंधन में नया कदम
भविष्य निधि के निवेश को और बेहतर रिटर्न दिलाने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए ईपीएफओ ने चार नए फंड मैनेजरों की नियुक्ति की है:
- एसबीआई म्यूचुअल फंड
- एचडीएफसी एएमसी
- यूटीआई एएमसी
- आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी
ये चारों संस्थान अगले पांच वर्षों तक ईपीएफओ की ऋण पोर्टफोलियो (Debt Portfolio) का प्रबंधन करेंगे। इसका उद्देश्य है कि कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के लिए जमा निधि को स्थिर और लाभकारी निवेश में लगाया जा सके।
सरलीकरण का उद्देश्य
ईपीएफओ के मुताबिक, नए नियमों का उद्देश्य है:
- प्रक्रियाओं को सरल बनाना,
- दस्तावेजों की जटिलता घटाना,
- सदस्यों के निकासी अधिकारों को बढ़ाना, और
- डिजिटल प्रोसेसिंग के जरिए तेजी से भुगतान सुनिश्चित करना।
इन सुधारों के बाद, कर्मचारियों को अब अपने ईपीएफ खातों से निकासी के लिए महीनों इंतजार नहीं करना पड़ेगा।