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बनावटी सुंदरता की चाह में दांव पर न लगाएं जिंदगी

काॅस्मेटिक सर्जरी

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आधुनिक समाज में जहां सुंदरता को सफलता व पहचान से जोड़ा जाता है, वहां महिलाओं खासकर उच्च वर्ग की महिलाओं पर परफेक्ट दिखने का दबाव बढ़ रहा है। सोशल मीडिया और ग्लैमर की दुनिया की इसमें बड़ी भूमिका है। सौंदर्य सर्जरी कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक गंभीर चिकित्सा कार्य है। ऐसे में सावधानी और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। कुछ हालिया उदाहरण स्पष्ट करते हैं कि उचित सुरक्षा मानकों, प्रशिक्षित डॉक्टर और पोस्ट सर्जरी केयर के बिना सौंदर्य सर्जरी जानलेवा हो सकती है।

जब सुंदरता की तलाश विवेक से बड़ी हो जाती है, तो परिणाम विनाशकारी हो सकता है। इसी का उदाहरण है बीते जून माह में एक बॉलीवुड अभिनेत्री और मॉडल की मौत की घटना। वे सुंदरता बढ़ाने के लिए सर्जरी कराने के साथ दवाइयों और इंजेक्शन का सेवन कर रही थीं। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई, जिसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उस प्रतिभाशाली अभिनेत्री की असमय मृत्यु चेतावनी देती है कि सुंदरता की खोज कभी भी जीवन से बड़ी नहीं होनी चाहिए। आधुनिक समाज में जहां सुंदरता को सफलता, पहचान और आत्मविश्वास से जोड़ा जाता है, वहां महिलाओं विशेषकर उच्च वर्ग की महिलाओं पर परफेक्ट दिखने का दबाव बढ़ रहा है।

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जोखिमपूर्ण चिकित्सीय प्रक्रिया

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असल में सोशल मीडिया और ग्लैमर की दुनिया ने महिलाओं पर ऐसा दबाव बना दिया है कि वे प्राकृतिक सुंदरता से ज्यादा कृत्रिम परिपूर्णता के पीछे भागने लगी। जबकि सर्जरी एक जोखिमपूर्ण चिकित्सीय प्रक्रिया है। इसमें संक्रमण, अधिक रक्तस्राव, हृदय संबंधी दिक्कतें या कभी-कभी मृत्यु का खतरा हो सकता है। कॉस्मेटिक सर्जरी एक चिकित्सीय प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य शरीर के किसी हिस्से को संतुलित या आकर्षक बनाना होता है। इसमें लिपोसक्शन, नाक की बनावट सुधारना (राइनोप्लास्टी), त्वचा खींचना (फेसलिफ्ट), बोटॉक्स और लेजर स्किन ट्रीटमेंट आदि शामिल हैं। पहले यह सर्जरी केवल फिल्मी सितारों या मॉडल्स तक सीमित थी, लेकिन अब यह एलीट क्लास से निकलकर मध्यम वर्ग तक पहुंच चुकी है।

भारत में किफायती कॉस्मेटिक सर्जरी

एक अनुमान के मुताबिक, भारत में यह उद्योग 2024 तक 8,500 करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका है और हर साल इसमें लगभग 12-15 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। वहीं मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहर कॉस्मेटिक सर्जरी के नए केंद्र बन गए हैं। विदेशों की तुलना में भारत में यह सर्जरी काफी सस्ती है। जहां अमेरिका में लिपोसक्शन सर्जरी 6,000 डॉलर (करीब 5 लाख रुपए) की होती है, वहीं भारत में 70,000 से 2 लाख रुपए में हो जाती है। इसके चलते भारत मेडिकल टूरिज्म का हब बनता जा रहा है, जहां विदेशी लोग कम खर्च में सुंदरता की खोज में आते हैं। हालांकि सर्जरी में जोखिम भी बहुत हैं। सर्जरी से होने वाली मौतों के पीछे कई कारण हैं, जैसे संक्रमण, अत्यधिक रक्तस्राव, फैट एम्बोलिज्म, हार्ट फेल्योर, एलर्जी या एनेस्थीसिया रिएक्शन।

सौंदर्य सर्जरी से होने वाली मौतें

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस तरह की सर्जरी कराने वालों में पिछले पांच साल में 150-200 मौतें दर्ज हुई हैं। ज्यादातर कारण संक्रमण, अनधिकृत डॉक्टर और पोस्ट-सर्जरी निगरानी की कमी रहे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस तरह की मौतों के उदाहरण मिलते हैं। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, 2009-2022 के बीच केवल डोमिनिकन रिपब्लिक में सौंदर्य सर्जरी कराने गए अमेरिकी नागरिकों में 93 मौतें हुईं। दक्षिण कोरिया में हर साल दर्जनों महिलाएं पोस्ट-सर्जरी जटिलताओं या संक्रमण के कारण जान गंवाती हैं। चीन और मैक्सिको में भी सौंदर्य सर्जरी के दौरान कई जानलेवा घटनाएं सामने आई हैं। चीन में 2020 में एक महिला ने केवल एक ही दिन में छह अलग-अलग सर्जरी करवाई। जिसके बाद अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। इसी तरह मैक्सिको में भी डुरांगो की 14 वर्षीय लड़की ने ब्रेस्ट इम्प्लांट, बट लिफ्ट और लिपोसक्शन सर्जरी करवाई, लेकिन कुछ दिनों के भीतर उसकी मौत हो गई। मातमोरोस के दो सौंदर्य क्लिनिकों में एपीड्यूरल एनेस्थीसिया के कारण फंगल मेनिनजाइटिस का प्रकोप हुआ, जिसमें सात महिलाओं की जान चली गई।

दिखावे की जानलेवा चाह

हर साल लाखों लोग दुनिया भर में सौंदर्य सर्जरी कराते हैं। भारत में भी यह तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन कभी-कभी यह दिखावे की चाह जानलेवा बन जाती है। एक बॉलीवुड अभिनेत्री और कुछ साल पहले 31 साल की तेलुगू अभिनेत्री की मौत इसका सबसे दर्दनाक उदाहरण है, जिसने ग्लैमर की दुनिया और समाज को झकझोर कर रख दिया। ये घटनाएं यह सोचने पर भी मजबूर करती हैं कि क्या सुंदरता की कृत्रिम खोज जीवन से अधिक मूल्यवान हो गई हैं? भारत में सटीक सरकारी डाटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कई महिलाएं अनधिकृत या कम अनुभव वाले क्लिनिक में हुई गड़बड़ी के कारण अपनी जान गंवा चुकी हैं। सौंदर्य सर्जरी में सावधानी और विशेषज्ञता की अत्यधिक आवश्यकता होती है।

सुरक्षा व विशेषज्ञ देखभाल जरूरी

अंतर्राष्ट्रीय एस्थेटिक सोसाइटी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में लगभग हर साल साढ़े तीन करोड़ सौंदर्य सर्जरी और नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया की जाती हैं। इनमें से अधिकांश सफल होती हैं, लेकिन एक बहुत छोटी संख्या फिर भी महत्वपूर्ण मौतों की भी होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि लिपोसक्शन जैसी सर्जरी में मृत्यु दर लगभग एक लाख पर 19 प्रक्रियाएं तक पहुंच चुकी है। सौंदर्य सर्जरी के लिए पूर्ण सुरक्षा, प्रमाणित डॉक्टर और विशेषज्ञ देखभाल अनिवार्य हैं। सर्जरी से पहले प्रमाणित डॉक्टर और मान्यता प्राप्त क्लिनिक का चयन करना चाहिए। मरीज की पूरी शारीरिक और मानसिक जांच अनिवार्य हो। पोस्ट-सर्जरी देखभाल के लिए आईसीयू और प्रशिक्षित कर्मचारी की उपलब्धता सुनिश्चित करें। अनधिकृत क्लिनिकों पर निगरानी और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही समाज में जागरूकता बढ़ाएं कि असली सुंदरता आत्मविश्वास, सादगी और स्वास्थ्य में निहित है। योग , संतुलित आहार जैसी विधियां भी सुंदरता प्रदान करती हैं।

जोखिम की न करें अनदेखी

असल में आज का समाज बाहरी सुंदरता को सिर्फ आकर्षण नहीं, बल्कि सफलता और प्रतिष्ठा का प्रतीक मानने लगा है। खासकर एलीट वर्ग की महिलाएं, जो शिक्षित, संपन्न और प्रभावशाली हैं, अब अपने रूप-रंग और युवावस्था को बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा रही हैं। यह हद कभी-कभी खतरनाक हो जाती है। सौंदर्य सर्जरी अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि सामाजिक दबाव, ग्लैमर और व्यक्तिगत अपेक्षाओं का हिस्सा बन गई है। फेसलिफ्ट, बोटॉक्स, स्किन टाइटनिंग, लिपोसक्शन और अन्य प्रक्रिया अब दिखावे का साधन बन चुकी हैं। इनसे जुड़े जोखिमों को कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है। सौंदर्य सर्जरी का विरोध नहीं, बल्कि विवेकपूर्ण उपयोग जरूरी है। समाज को अब यह दृष्टिकोण बदलना होगा कि केवल संपूर्ण चेहरा या परफेक्ट बॉडी ही आत्मविश्वास का प्रतीक है। असली सुंदरता वह है, जो भीतर से झलकती है। यदि किसी सर्जरी की चाह जीवन को संकट में डाल दे, तो यह समझ लेना चाहिए कि सुंदरता नहीं, बल्कि जीवन ही सबसे बड़ा सौंदर्य है। जरूरी है कि महिलाएं और समाज दोनों इस सोच को अपनाएं। रूप से पहले जीवन और दिखावे से पहले स्वास्थ्य।

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