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Dharmendra @90 ‘सरसों दा साग’ और ‘जुगाड़ रेहड़ी’: धर्मेंद्र की इच्छाएं और लुधियाना गांव की 90वें जन्मदिन की तैयारियां

Dharmendra @90  लुधियाना के डांगों गांव में इन दिनों एक अलग ही उत्साह है। गांव के लोग अपने प्रिय सितारे धर्मेंद्र के ‘90वें जन्मदिन’ को अपनी तरह से खास बनाना चाहते हैं। यह सिर्फ जश्न नहीं, बल्कि उस भावनात्मक जुड़ाव...

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Dharmendra @90  लुधियाना के डांगों गांव में इन दिनों एक अलग ही उत्साह है। गांव के लोग अपने प्रिय सितारे धर्मेंद्र के ‘90वें जन्मदिन’ को अपनी तरह से खास बनाना चाहते हैं। यह सिर्फ जश्न नहीं, बल्कि उस भावनात्मक जुड़ाव का इजहार है जिसे धर्मेंद्र ने अपने व्यस्त फिल्मी जीवन के बावजूद हमेशा जीवित रखा।

गांव की पहचान रही ‘मक्की दी रोटी’ और ‘सरसों दा साग’ के साथ उनकी पुरानी ख्वाहिश ‘जुगाड़ रेहड़ी’ आज फिर चर्चा में है। ग्रामीण सामाजिक कार्यकर्ता कुलविंदर सिंह डांगों बताते हैं कि जब उन्हें पता चला कि देओल परिवार आठ दिसंबर को धूमधाम से जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रहा है, तो 2013 की एक मुलाकात याद आ गई। चंडीगढ़ में हुई उस बातचीत में धर्मेंद्र ने चूल्हे के पास बैठकर ‘सरसों दा साग’ और ‘मक्की दी रोटी’ खाने तथा ‘जुगाड रेहडी’ पर घूमने की इच्छा जाहिर की थी।

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गांव के खेतों से जाएगी सरसों

गांववालों की राय है कि जुगाड रेहडी मुंबई भेजना भले मुश्किल हो, पर सर्दियों की सौगात सरसों दा साग जरूर पहुंचना चाहिए। इसके लिए सरसों उन्हीं खेतों से तोड़ी जाएगी, जो जमीन धर्मेंद्र ने सात अप्रैल 2015 को गांववासियों शिंगारा सिंह और मंजीत सिंह को तोहफे में दी थी। यह रजिस्ट्री रायकोट के उप-निबंधक कार्यालय में दर्ज है।

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गांव से रिश्ता कभी नहीं टूटा

डांगों गांव के लोग बताते हैं कि धर्मेंद्र ने स्टारडम की ऊंचाइयों पर पहुंचकर भी गांव से अपना स्नेह नहीं छोड़ा। कई बार वह पहचान से बचने के लिए भेष बदलकर गांव आते रहे। उनके चाचा के बेटे मंजीत सिंह याद करते हैं कि जब भी गांववाले उनकी तारीफ करते, धर्मेंद्र मुस्कुराकर कहते कि उनकी सफलता गांव की दुआओं का नतीजा है।

गांव का स्नेह, शहर का जश्न

इस बार जन्मदिन भले मुंबई में मनाया जाएगा, लेकिन गांव का भावनात्मक उपहार पंजाब की मिट्टी की महक के साथ देओल परिवार तक पहुंचेगा। डांगों गांव के चूल्हों में पकता स्नेह ही इस मौके की असली गर्माहट होगा।

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