दिसंबर में सेहत रिसेट करने का मौका
पिछले कई सालों से मुंबई, बेंगलुरू, पुणे, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में युवा दिसंबर शुरू होते ही सुबह बड़ी तादाद में जॉगिंग करते नजर आते हैं। दरअसल वे थर्टी डेज टू न्यू ईयर फिट चैलेंज पूरा कर रहे होते हैं। यह केवल फिटनेस चैलेंज नहीं है बल्कि साल के आखिरी महीने में खुद को रिसेट करने की मुहिम है। सोशल मीडिया में इसे न्यू ईयर फिट से जाना जाता है।
युवाओं में हाल के सालों में दिसंबर माह में उन वायदों को पूरा करने के लिए ट्रेंड शुरू हुआ है जो एक साल पहले दिसंबर में खुद से किये थे लेकिन इस साल में अधूरे पड़े हैं। दरअसल दिसंबर की ठंड में रजाई की गर्माहट से बाहर जाना बहुत मुश्किल लगता है, ऐसे मौसम में यह ट्रेंड युवाओं को एक खास तरह की चुनौती पेश करता है, जो उन्हें खूब पसंद आती है। यही कारण है कि पिछले कई सालों से मुंबई, बेंगलुरू, पुणे, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में युवाओं को दिसंबर शुरू होते ही सुबह बड़ी तादाद में जॉगिंग करते देखा जा सकता है। दरअसल 2015-16 से यह ट्रेंड लंदन और न्यूयार्क से होते हुए भारत पहुंचा है और भारत के युवाओं को भी खासा पसंद आ रहा है। इसलिए दिसंबर में पिछले कई सालों से थर्टी डेज टू न्यू ईयर फिट चैलेंज का स्लोगन खूब सुना जाता है। दरअसल यह केवल फिटनेस चैलेंज नहीं है बल्कि साल के आखिरी महीने में खुद को रिसेट करने का एक अभियान है। सोशल मीडिया में न्यू ईयर फिट, थर्टी डेज रिसेट या विंटर वर्कआउट टैक के साथ जाना जाता है। जानिये इससे जुड़ने वाले युवाओं को इससे किस तरह का फायदा हो रहा है :
Advertisementखुद से किया गया कमिटमेंट
वास्तव में यह खुद से किया गया एक पर्सनल कमिटमेंट ही है, जो दिसंबर की फिट लाइफ का ग्लोबल ट्रेंड बन चुका है। दरअसल इसके पहले दिसंबर को लापरवाही वाला महीना माना जाता रहा है क्योंकि दिसंबर में पूरी दुनिया में त्योहारों, छुट्टियों और घुमक्कड़ी का माहौल होता है। लेकिन हाल के सालों में थर्टी डेज फिटनेस चैलेंज का कंसेप्ट आया है तो दिसंबर की पहचान बदलने लगी है। इस चैलेंज को स्वीकार करने के बहुत फायदे हैं। इससे युवाओं का डेली सेल्फ डिसिप्लिन रुटीन बनता है और बार-बार कमिटमेंट करके उन्हें पूरा न कर पाने के अपराधबोध से मुक्ति मिलती है। खास बात यह कि थर्टी डेज फिटनेस चैलेंज जिम जा कर पसीना बहाने तक सीमित नहीं है और न ही यह शरीर से जुड़ा फिटनेस मंत्र ही है। आप अपने घर में, पार्क में, होस्टल के रूफ टॉप में, कॉलेज के ग्राउंड में या कहीं भी अपनी फिटनेस के लिए जो करना चाहते हैं, कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि इसके बाद कोई कंपटीशन होना है और वह आपको जीतना है? बस, यह आपको डिसिप्लिन में लाने का एक सरल उपायभर है। ताकि अगले साल खुद के अन्य संकल्प पूरा करने का भी हौसला बना रहे।
चैलेंज की लोकप्रियता का कारण
इस चैलेंज की लोकप्रियता का बहुत बड़ा कारण सोशल मीडिया है। दरअसल इन दिनों युवा सबसे ज्यादा सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम, एक्स या यू-ट्यूब से मोटीवेट होता है और जब 30 दिनों में अपने आपसे किये गये वायदे के मुताबिक अपनी ही डिजाइन की गई किसी फिटनेस तकनीक से फिट होने के लिए युवा संकल्प लेते हैं, तो उसे वह पूरा करने में इसलिए ज्यादा प्रतिबद्धता दर्शाते हैं, क्योंकि इसके लिए सोशल मीडिया में रोज 30 दिनों तक अपने आपको पोस्ट करने का मौका मिलता है। न तो इस फिटनेस मंत्रा के लिए कोई तय पैमाना है, न इसकी कोई शर्तें हैं, न इसमें कोई विशेष लक्ष्य हैं। ये सब कुछ युवाओं को खुद ही तय करना होता है। इसलिए इसको लेकर बहुत कम बोझ महसूस होता है। इसलिए युवा इसे बहुत आसानी से करने की कोशिश करते हैं। फिर फायदा यह भी है कि इस चैलेंज के कारण कड़कड़ाती ठंड के महीने में भी उन्हें वार्म-अप करने का मौका मिलता है और इसके चलते उनका तनाव कम होता है, जिस कारण वह न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए नये ढंग से तैयार
रहते हैं।
चुनौती पूरी करने की तैयारी
इसलिए जो युवा 30 दिन के इस फिटनेस चैलेंज को अपनाने की हिम्मत करते हैं, वो वास्तव में अपने स्वास्थ्य के प्रति धीरे-धीरे गंभीर हो जाते हैं। अगर आपको इस 30 मिनट की चुनौती को पूरा करने के लिए दिमागी तैयारी करनी है, तो यह मान कर चलिए कि 10 मिनट तक ब्रिस्क वाक के, 10 मिनट तक मोबिलिटी ब्रिस्क और 5 मिनट योगा की ब्रिथिंग के लिए और 5 अन्य मिनट इन सारी फिटनेस स्थितियों को समायोजित करने के। वास्तव में इस तरकीब से शरीर को स्ट्रैच और मूवमेंट के लिए आसानी से तैयार किया जाता है। इस तरह थर्टी डेज चैलेंज आजकल युवाओं के बीच नये साल की अगवानी करते हुए ज्यादा लोकप्रिय है।
-इ.रि.सें.
