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नवजात के सही पालन-पोषण में सजगता भरी हो देखभाल

न्यू बॉर्न केयर वीक
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पैरेंट्स के लिए बच्चे के दुनिया में आने के बाद करीब एक माह का समय सजग रहने का होता है। जरा सी चूक से आगे कई परेशानियां आ सकती हैं। नवजात बच्चों की मेडिकल केयर के साथ ही अपनों की स्नेह भरी सम्भाल, स्वच्छता, ब्रेस्ट फीडिंग और वैक्सीनेशन जैसी बातों को लेकर जागरुकता होनी आवश्यक है। मौसमी बीमारियों और इन्फेक्शन से बचाव को लेकर सतर्कता जरूरी है।

बच्चे के जन्म के बाद कुछ दिनों तक न केवल न्यू-बॉर्न बेबी की विशेष देखभाल की जरूरत होती है बल्कि बहुत सी छोटी-छोटी बातों को लेकर सजगता भी आवश्यक है। हमारे यहां नवजात यानि न्यू-बॉर्न बेबी की देखभाल और सुरक्षा के मामले में आज भी अवेयरनेस की कमी है। असल में नवजात बच्चों की मेडिकल केयर के साथ ही अपनों की स्नेह भरी सम्भाल, स्वच्छता, स्तनपान और वैक्सीनेशन जैसी बातों को लेकर जागरुकता होनी आवश्यक है। इसके लिए ‘न्यू बॉर्न केयर वीक’ हर साल 15 से 21 नवंबर तक मनाया जाता है। इस विशेष दिन को मनाने का उद्देश्य नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और सही संभाल-देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

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सजगता का समय

आम बोलचाल की भाषा में कुछ घंटों, दिनों या एक महीने तक के न्यू-बॉर्न बेबी को नवजात शिशु कहते हैं। वैसे जन्म से लेकर एक साल की उम्र नवजात अवस्था के तौर पर बच्चे की देखभाल के लिए अहम होती है। घर के बड़ों के लिए बच्चे के दुनिया में दस्तक देने के बाद का यह समय बहुत सजग रहने का होता है। इंफेंट केयर में जरा सी चूक शिशुओं को आगे के लिए भी कई परेशानियों का शिकार बना सकती है। खासकर पैरेंट्स को न्यू-बॉर्न बेबी की सुरक्षा और विकास के बारे में अवेयर रहना चाहिए। ब्रेस्ट फीडिंग से लेकर वैक्सीनेशन और किसी तरह की जन्मजात तकलीफ का इलाज करवाने तक, ये शुरुआती दिन बेहद अहम होते हैं। इतना ही नहीं, मौसमी बीमारियों और दूसरे इन्फेक्शन से बचाने के लिए साफ़-सफ़ाई का भी ध्यान रखना होता है।असल में ऐसी छोटी-छोटी गलतियों के चलते हमारे देश में आज भी इंफेंट मोरटैलिटी के आंकड़े चिंता का विषय बने हुए हैं। ऐसे में हर न्यू बॉर्न केयर वीक के दौरान नवजात शिशुओं की बेहतर ढंग से देखभाल करने की जागरूकता लाने का संदेश दिया जाता है। वर्ष 2025 के लिए इस सप्ताह का विषय ‘नवजात सुरक्षा- हर स्पर्श, हर बार, हर शिशु के लिए रखा गया है। जो कि सही मेडिकल केयर के साथ ही नवजात की देखभाल के लिए अपनों की सहभागिता पर भी बल देती है।

मां का दूध और स्वच्छता

मां के दूध को तो नवजात का पहला टीका कहा जाता है। शिशु के स्वास्थ्य के लिए अमृत माना जाता है। ऐसे में जन्म के बाद बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवाना आवश्यक है। इसके लिए माताओं में भी सजगता होना जरूरी है। साथ ही ब्रेस्ट फीडिंग शुरू करने में देरी हो जाए तो नवजात शिशु भी मां का दूध पीने में सहज नहीं रहता। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक सही समय पर बच्चे को मां का दूध पिलाना शुरू कर दिया जाए तो यह न्यू-बॉर्न बेबी के लिए की सेहत के लिए सुरक्षा कवच बन जाता है। इसके साथ ही इस समय साफ-सफाई का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। जन्म के बाद के शुरुआती दिनों में नवजात बच्चों को कई तरह के इन्फेक्शन हो जाते हैं। इनकी एक बड़ी वजह स्वच्छता न रखना भी है। हमारे यहां 40 प्रतिशत नवजात शिशुओं का जीवन डिलीवरी के दौरान या जन्म के बाद पहले चौबीस घंटों के भीतर छिन जाता है। इंफेंट मोरटैलिटी के इन आंकड़ों के कई कारण हैं। इन जानलेवा वजहों में जन्म के बाद संक्रमित होना भी शामिल है। न्यू बॉर्न केयर वीक में नवजात शिशु के जीवन के पहले 28 दिनों के नाजुक समय में सही केयर, साफ-सफाई, मेडिकल केयर और सही पोषण जैसे पहलुओं पर जागरूकता लाने का प्रयास किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक नवजात अवस्था बच्चे के जन्म के बाद शुरू होकर जीवन के पहले 28 दिनों तक चलती है।

वैक्सीनेशन और पोषण

खुशी का यह समय बहुत ज्यादा सावधान रहने का भी होता है। खासकर टीके लगवाने में तो कोई देरी नहीं होनी चाहिए। शिशु को नियमित डॉक्टर को दिखाने, उसके वजन का ध्यान रखने और चिकित्सक की सलाह के मुताबिक समय-समय पर लगने वाले वैक्सीन लगवाने की प्रक्रिया फॉलो करना जरूरी है। इस मामले में हुई गलती बच्चे को किसी बड़ी बीमारी के जाल में फंसा सकती है। साथ ही सही पोषण ना मिलने से बच्चे का वजन भी कम होने लगता है। यह विशेष दिन शिशुओं की सही सम्भाल-देखभाल कर उनका जीवन सहेजने की सजगता लाने से ही जुड़ा है। समझना मुश्किल नहीं कि सही समय पर वैक्सीनेशन और सही पोषण दोनों से जुड़ी अवेयरनेस नवजातों का जीवन सहेजने के लिए आवश्यक है।

जीवन सहेजने वाली पहल ‘न्यू बोर्न केयर वीक’ की शुरुआत वर्ष 2014 में की गई। बीते ग्यारह वर्ष से हर साल 15 से 21 नवंबर तक सप्ताह भर जागरूकता से जुड़े कई विषयों पर चर्चा होती है। ध्यान देने वाली बात है कि यह पहल भारत नवजात शिशु कार्य योजना का हिस्सा है। साथ ही दुनियाभर में अपनी तरह की यह पहली मुहिम है। इस पहल का लक्ष्य 2030 तक नवजात शिशुओं की मृत्यु और स्टिल बर्थ को कम करना है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत चल रही इस इस योजना के तहत डिलीवरी, जन्म के समय सही केयर और बीमार नवजात शिशुओं की देखभाल जैसी बातें शामिल हैं।

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