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पूरक चिकित्सा पद्धतियों में रोजगार की संभावनाएं

12वीं बायोलॉजी के बाद कैरियर

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एलोपैथी व आयुर्वेद के अलावा देश में चिकित्सा की कई पूरक पद्धतियां कैरियर के बेहतर विकल्प प्रदान करती हैं। ये सभी प्राकृतिक, सुरक्षित और दीर्घकालिक स्वास्थ्य देने पर केंद्रित हैं। आज दुनिया भर में आयुष प्रणालियों की मांग तेजी से बढ़ रही है।

भारत की पारंपरिक एवं पूरक चिकित्सा प्रणालियां- आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा, सोवा-रिगपा, होम्योपैथी, नेचुरोपैथी और योग- न केवल स्वास्थ्य संरक्षण का मजबूत आधार हैं, बल्कि आज युवाओं के लिए कैरियर के विशाल अवसर भी प्रस्तुत करती हैं। इनका साझा लक्ष्य शरीर, मन और आत्मा का संतुलन स्थापित कर, व्यक्ति को एक स्वस्थ्य एवं प्रसन्नचित्त जीवन प्रदान करना है।

बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी)

यूनानी चिकित्सा प्रणाली शरीर के चार रसों (खून, बलगम, सफ़रा, सऊदा) के संतुलन से स्वास्थ्य निर्धारित करती है। लाभ : जड़ी-बूटी आधारित उपचार, क्रोनिक बीमारियों में प्रभावी। कोर्स की कुल अवधि 5.5 वर्ष है, इसमें 4.5 वर्ष की अकादमिक पढ़ाई + 1 वर्ष की अनिवार्य इंटर्नशिप। न्यूनतम योग्यता12वीं कक्षा (पीसीबी– भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान) न्यूनतम 50 फीसदी अंक (अनुसूचित जाति , जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग को छूट) के साथ उत्तीर्ण हो। प्रवेश ‘नीट’ स्कोर के आधार पर। इंटर्नशिप : विभिन्न यूनानी अस्पतालों, औषधनिर्माण यूनिट, ओपीडी में 1 वर्ष की इंटर्नशिप। जॉब अवसर: यूनानी डॉक्टर/हकीम, यूनानी अस्पताल, डिस्पेंसरी, रिसर्च इंस्टीट्यूट,यूनानी फार्मेसी व औषधि उद्योग, निजी क्लिनिक स्थापना का अवसर, सरकारी आयुष सेवाएं यानी आयुष मेडिकल ऑफिसर।

बीएसएमएस (बैचलर ऑफ सिद्धा मेडिसिन एंड सर्जरी)

तमिल परंपरा पर आधारित सिद्धा चिकित्सा पंचभूत सिद्धांत पर कार्य करती है। लाभ : त्वचा, अस्थि, और दीर्घकालिक दर्द रोगों में कारगर। कोर्स अवधि : 5.5 वर्ष (4.5 वर्ष अध्ययन + 1 वर्ष इंटर्नशिप)। न्यूनतम योग्यता:12वीं (पीसीबी विषयों) में 50 फीसदी अंक से उत्तीर्ण। प्रवेश नीट आधारित (अधिकतर संस्थान तमिलनाडु में)। इंटर्नशिप : सिद्धा अस्पताल, पंचकर्म/वरमा क्लिनिक आदि में 1 वर्ष। अवसर : सिद्धा चिकित्सक, सिद्धा अस्पताल, रिसर्च केंद्र, टीचिंग संस्थान, औषध निर्माण—हर्बल/मिनरल दवाइयां, निजी क्लिनिक व वेलनेस सेंटर में जॉब।

बीएसआरएमएस ( बैचलर इन सोवा-रिगपा मेडिसिन एंड सर्जरी)

तिब्बती चिकित्सा प्रणाली मन-ऊर्जा-शरीर को केंद्र में रखती है। लाभ : मानसिक स्वास्थ्य, क्रोनिक रोगों, और ध्यान-आधारित उपचार में उपयोगी। कोर्स अवधि: 5.5 वर्ष (4.5 वर्ष अध्ययन + 1 वर्ष इंटर्नशिप), न्यूनतम योग्यता : 12वीं (पीसीबी) 50 फीसदी अंक। कुछ संस्थान अपनी प्रवेश परीक्षा लेते हैं मुख्यतः लद्दाख, हिमाचल, अरुणाचल आदि क्षेत्रों में इसके संस्थान हैं। इंटर्नशिप : तिब्बती चिकित्सा अस्पतालों व अनुसंधान केन्द्रों में 1 वर्ष। जॉब अवसर : सोवा-रिगपा चिकित्सक, तिब्बती अस्पताल, औषधि यूनिट, रिसर्च व डॉक्टरी प्रैक्टिस, सरकारी आयुष सेवाओं में अवसर।

बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी)

‘सिमिलर क्योर्स सिमिलर’ सिद्धांत पर आधारित यह पद्धति अत्यंत सूक्ष्म खुराकों से उपचार करती है। लाभ: बिना दुष्प्रभाव के, बच्चों और वृद्धों के लिए सुरक्षित। कोर्स अवधि, 5.5 वर्ष (4.5 वर्ष पढ़ाई + 1 वर्ष इंटर्नशिप) है। न्यूनतम योग्यता12वीं (पीसीबी विषयों के साथ) 50 फीसदी अंक से उत्तीर्ण की हो। प्रवेश नीट स्कोर आधारित। इंटर्नशिप : होम्योपैथिक अस्पतालों, डिपार्टमेंट्स और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 1 वर्ष। जॉब अवसर :होम्योपैथी डॉक्टर, सरकारी आयुष विभाग, होम्योपैथिक अस्पताल, निजी क्लिनिक, वेलनेस सेंटर, फार्मास्युटिकल उद्योग व रिसर्च में।

बीएनवाईएस (बैचलर इन नेचरोपैथी एंड योगा )

नेचुरोपैथी प्रकृति की पंचतत्वीय शक्तियों—जल, वायु, मिट्टी, सूर्य और आहार—द्वारा उपचार करती है। लाभ: दवा-रहित उपचार, जीवनशैली सुधार, मोटापा, मधुमेह और तनाव नियंत्रण में प्रभावी। कोर्स अवधि 5.5 वर्ष (4.5 वर्ष पढ़ाई + 1 वर्ष इंटर्नशिप) है। न्यूनतम योग्यता :12वीं (पी सी बी) 50 फीसदी अंक के साथ उत्तीर्ण हो। कुछ संस्थान नीट स्कोर स्वीकार करते हैं, कई अलग प्रवेश परीक्षा/मेरिट सूची तैयार करते हैं। इंटर्नशिप, नेचुरोपैथी अस्पताल, योग थेरेपी विभाग, आहार विज्ञान केंद्र में 1 वर्ष की रहती है। जॉब अवसर : नेचरोपैथी डॉक्टर, योग थेरेपिस्ट, नेचुरोपैथी विशेषज्ञ, वेलनेस क्लिनिक, हेल्थ रिसॉर्ट, कॉर्पोरेट योग ट्रेनर, सरकारी आयुष सेवाएं व शिक्षण क्षेत्र।

योग एवं योग-चिकित्सा (डिप्लोमा/स्नातक/ थेरेपी कोर्स)

योग केवल आसन ही नहीं, बल्कि प्राणायाम, ध्यान और जीवनशैली का सम्मिलित स्वरूप है। लाभ: मानसिक शांति, तनाव-नियंत्रण, हार्मोनल संतुलन, क्रोनिक रोगों में सहायक। अवधि डिप्लोमा : 1 वर्ष, स्नातक डिग्री (योग): 3 वर्ष, स्नातकोत्तर (योग): 2 वर्ष, पीजी डिप्लोमा इन योग थेरेपी : 1 वर्ष है। न्यूनतम योग्यता डिप्लोमा के लिए 12वीं उत्तीर्ण, स्नातक कोर्स के लिए 12वीं (किसी भी स्ट्रीम), स्नातकोत्तर हेतु किसी भी विषय में ग्रेजुएशन। जॉब अवसर : योग प्रशिक्षक, योग थेरेपिस्ट, अस्पतालों, स्पोर्ट्स संस्थानों, वेलनेस सेंटर, अंतरराष्ट्रीय योग शिक्षक, कॉर्पोरेट/स्कूलों में योग ट्रेनर, निजी योग स्टूडियो स्थापित करने का अवसर उपलब्ध हैं। आयुष मंत्रालय/एनआईएसएम जैसे संस्थानों में भी अवसर उपलब्ध रहते हैं।

 

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